Arunima Thakur

Abstract Inspirational

4.3  

Arunima Thakur

Abstract Inspirational

समय - सुपर पावर

समय - सुपर पावर

6 mins
426


पुरानी एल्बम के पन्ने पलटते हुए अनिता जी की बहू बोली, "वाओ! मम्मा आपके सलवार सूट कितने प्यारे हैं। आपका टेलर बहुत टैलेंटेड रहा होगा"।

अनीता जी मुस्कुराते हुए बोली, "नहीं बेटा! यह सारे सूट मैंने खुद से सिले थे"। अनीता जी की बहू रिया आश्चर्य से आँखें बड़ी करते हुए बोली, "मेरी शादी को चार साल हो गए हैं। आप हमेशा मुझे आश्चर्यचकित कर देती हो। आप ने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स भी किया था क्या"? 

अनीता जी मुस्कुराते हुए बोली, "इसमें आश्चर्य करने की क्या बात है ? बस शौक था इसलिए सीख गई। हमारे जमाने मे कोर्स वगैरह नही करते थे। बस अडोस पड़ोस की भाभी, चाची और मम्मी को करता देख कर ही सीख लेते थे। पहले गुड़ियाँ गुड्डो के कपड़ो पर हाथ साफ करते थे। फिर अपना सिलने लगते थे"। 

"पर मम्मा आपको पेंटिंग आती है। सिर्फ आती ही नहीं है, आप शानदार पेंटिंग करती हैं। आप इतनी अच्छी कविताएं, कहानियाँ लिखती हैं। ऐसी कोई गणित की पहेली नहीं है जो आपसे कोई पूँछे और उसका उत्तर आपको ना आता हो। आज भी अखबार के सुडोकू और गणित की अन्य पहेलियाँ आप दो मिनट में हल कर देती हो। क्या क्या शौक है आपके ? मैं तो सोच भी नहीं सकती इतना सब करने के बारे में"। 

अनिता जी बोली, "उस समय में यह सब आना, करना बहुत साधारण बात थी। हमारी उम्र के लोगों को यह सब आता ही है"।

 रिया मुँह पर हाथ रख कर बोली, "मम्मा आप मेरी मम्मा से मिले हो ना ? उन्हें तो यह सब कुछ नहीं आता" और फिर जोर से हँस पड़ी। 

अनीता उसके सिर पर टपली मार कर बोली, "शैतान लड़की! रुक, आज तेरी मम्मी से तेरी शिकायत करती हूँ"। 

नहीं मम्मा सच्ची, आपने अभी कोरोना के समय पर कितने सुंदर-सुंदर मास्क बनाए थे। वह भी अलग-अलग कढ़ाई वाले। मेरी सहेलियाँ तो बोल रही थी कि सिंधी कढ़ाई का मास्क तो बिल्कुल लगता ही नहीं कि घर में बना है। आपको सारी कढ़ाई भी आती है। आप स्वेटर भी बिन लेते हो"। 

अनिता जी सिर्फ रिया को प्यार से देख कर मुस्कुराती रही। आज छुट्टी थी। रिया भी घर पर थी। अनिता जी आज अपनी अलमारी व्यवस्तिथ कर रही थी। तभी रिया आ गयी। एलबम बाहर ही रखे थे तो उठा कर देखने लगी। अनिता जी रिया की बाते भी सुन रही है। साथ ही साथ कपड़ो को ठीक से रखती भी जा रही है।

रिया फिर बोली, "अच्छा मम्मा सिंधी कढ़ाई आपने किससे सीखी ? कढ़ाई बुनाई की तो क्लासेस आपने करी ही होंगी "। 

"नही बिटिया, कोई क्लास करने की जरूरत ही नही पड़ती थी। सिंधी कढ़ाई तो मालूम है मैं अपने मामा के घर गयी थी। वहाँ उनकी किरायेदार की दोस्त से सीखी थी। वो भी मालूम है सिर्फ एक दिन, कुछ घण्टों में। क्योंकि छुट्टियाँ शुरू हो रही थी तो वो अपने घर जा रही थी"।

"वाओ मम्मा यू आर सो टैलेंटेड एंड फ़ास्ट लर्नर"(मम्मा आप तो बहुत गुणवान और अच्छी शिष्या हो)।

"नही बिटिया मुझे लगता है उन दीदी ने मुझे बहुत मन से सिखाया था कि मैं एक बार मे सीख गई। जैसे आजकल तुम लोग हर बात इंटरनेट से सीखते हो, हमारे समय में किताबें आती थी 'मनोरमा, सरिता' उनसे भी सीखने में मदद मिलती थी"।

बस यही बात तो मम्मा आपको सबसे अलग बनाती है, आपकी विनम्रता। आपको इतना कुछ आता है। आप पढ़ी-लिखी भी हो। अपने गणित से एम. एस. सी. और बी. एड. किया है। पर आप कभी दिखावा नही करती कि आप को इतना कुछ आता है"।

"आज सुबह सुबह क्या खाया है कि मेरी इतनी तारीफे हो रही है ? तू छोटी बच्ची होती तो मैं पूछती कि क्या चाहिए ? मम्मा को मस्का क्यो मारा जा रहा है"? 

नही मम्मा , सीरियसली, आप नौकरी भी करती थी, शादी से पहले भी शादी के बाद भी। आपको इतना सब सीखने का समय कैसे मिलता था ? इनफैक्ट आपको टेटिंग, क्रोशिया सब कुछ ही तो आता है। जब भी आपके टेटिंग की लेस वाले रुमाल लेती हूँ सब एक बार तो जरूर पूछते है, कहां से लिया ? मम्मा वो आपने जो टेटिंग की तितलियों वाली टी शर्ट मुझे दी है ना और वो क्रोशिया वाला श्रग, मेरी सहेलियाँ तो देख कर बिल्कुल फ्लेट हो गयी। उनको बहुत अच्छा लगा। वह बोल रही थी कि तुम बहुत नसीब वाली हो जो ऐसी सासू माँ मिली है, जो बहू के लिए बनाती है। हम तो आज नौकरी करते हैं तो घर का काम भी नहीं कर पाते है। आपने तो संयुक्त परिवार में रहते हुए भी अपने शौक को जीवित रखा। कितना मुश्किल काम था न .... जबकि....."।  

अनीता जी बोली, "पुरानी बातों को याद मत कर। नसीब वाली तो मैं हूँ जो तेरे रूप में मुझे बेटी मिली। मुझे बेटी नहीं थी ना तो उसके लिए कपड़े बनाने का, उसे पहनाने सजाने सवारने का शौक मन में ही रह गया था। आज से बीस साल पहले लोगों में घर के बने सामान की कीमत नहीं थी। इसीलिए देवरानी जेठानी के बच्चों के लिए कुछ करना चाह कर भी नहीं कर पायी क्योंकि उनका जमाना दूसरा था। तू मेरी बनाई चीजें पहनती है, उनकी तारीफ करती है, तो मुझे सुकून मिलता है। मैं एक बेटी चाहती थी, अब तू है ना तो सुकून है। मेरे सारे सपने तेरे साथ पूरे हो रहे हैं"। 

 "पर मम्मा ! सच्ची बताना आपके पास कोई सुपर पावर है क्या ? जो आप यह सब करने के लिए समय निकाल लेते हो ? देखा जाए तो आपको किस चीज का शौक नही है या ऐसी कौन सी चीज जो आपको नही आती है। साइकिलिंग, योगा, बैडमिंटन, किताबें पढ़ना, पेंटिंग करना, कढ़ाई, सिलाई, बुनाई ऐसा कोई क्षेत्र है ही नहीं जो आपको ना आता हो। मैं जब शादी करके आयी तो साईकल देख कर सोचती किसकी है ? कौन चलाता है ? फिर आपको साईकल मैराथन में भाग लेते देखा। यहां तक की धर्म ग्रंथ पौराणिक कहानियों पर भी आपकी उतनी ही पकड़ है। पक्का मम्मा आपमें कुछ सुपर पावर तो है।

अनिता जी मुस्कुराते हुए, "पागल कोई सुपर पावर नहीं है। तुम्हारे प्रश्न में ही उत्तर है। मुझे समय बर्बाद करना नही आता। मैं समय का उपयोग करती हूँ। मेरी माँ ने मुझे कभी खाली बैठना सिखाया ही नहीं। मेरी डिक्शनरी में 'बोर' शब्द है ही नहीं। आजकल के बच्चों को देखती हूँ तो उनके पास बस एक ही शब्द है "बोर हो रहे हैं"। हमारे समय में हमारे पास बोर होने का भी समय नहीं था। इतनी सारी चीजें थी करने के लिए। हमारे समय में पढ़ाई में प्रतिस्पर्धा नहीं थी बल्कि गुणों की प्रतिस्पर्धा थी। कि अरे उसको यह आता है और मुझे नहीं आता। समय हर एक के पास उतना ही होता है। यह हम पर निर्भर करता है कि हम उसे बर्बाद करना चाहते हैं या उसका उपयोग कर अपने शौक पूरा करना चाहते हैं। अपने आप को अपडेट करना चाहते हैं। समय सबसे बड़ी सुपर पावर है। बस आपको इसका सही प्रकार से उपयोग करना आना चाहिए।

ओके, मम्मा बॉस, आज से मैं आपसे और कुछ सीखूँ या ना सीखूँ, पर समय संचालन जरूर सीखूँगी और कोशिश करूँगी कि समय का पूरा सदुपयोग कर सकूँ। तब ही सही मायने में मैं आपकी बिटिया कहलाऊंगी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract