Phool Singh

Abstract Classics Inspirational

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Phool Singh

Abstract Classics Inspirational

सम्राट अशोक महान

सम्राट अशोक महान

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चन्द्रगुप्त का पौत्र, जो बिन्दुसार का पुत्र था

बौद्ध धर्म का बना अनुयायी, जो धर्म-सहिष्णु सम्राट था।। 


माता जिसकी धर्मा कहलाती, सुशीम नाम का भाई था 

इष्ट देव शिव-शंकर जिसके, ज्ञान-विज्ञान का बड़ा जिज्ञासु था।।


परोपकार की भावना जिसमे, उत्सुक जो अभिलाषी था

दुखी के दुख का भागीदार बना, मिला महेंद्र-संघमित्रा जैसे पुत्र-पुत्री का साथ था ।।


बेहतरीन अर्थव्यवस्था गजब सुशासन, जिसका कल्याणकारी द्रष्टिकोण था

देवताओं का प्रिय प्रजा का रक्षक, जिसका देवानांप्रिय नाम था।।

 

प्रजावत्सल वो कर्तव्यपरायण, न जिसे पलभर का आराम था 

धर्मग्रंथो की सत्यता जाने, व्याख्याताओं के ज्ञान का भान था।।

 

व्यापारियों का संरक्षक, जिसके राज में उन्नत विकसित समाज था 

उत्तराधिकारी की लड़ाई जो जीता, जो कलिंग विजयी सम्राट था।।


अपार शृद्धा हृदय में रखता, प्रतिरूप जो अहिंसा-दया-धर्म जो करुणा था 

राष्ट्रीय एकता का था पोषक, जो शांति का पैगंबर था।।

 

जीव हत्या का बड़ा विरोधी, अद्वितीय कुशल प्रशासक था

स्तूप-भवनो का वो निर्माता, जो अहिंसावादी सम्राट था।।


जाति बंधन ना बोझ दिलों में, समानता व्यवहार जो रखता था

कर्तव्य परायण हर वर्ग था, शिक्षा-साहित्य का रक्षक था।।


लिंग-भेद या ऊंच-नीच का भान न मन, ऐसा वो मानवतावादी सम्राट था

मिस्र-सीरिया तक रिश्ते जिसके, चोल-पाण्डेय तक संबंध था।।


रौद्र रूप जो धारण करता, कलिंग युद्ध में बना महाकाल था

युद्ध करने उनसे जो भी आया, उसका क्षणभर में विनाश था।।

 

आकर्षित हुआ बौद्ध धर्म की ओर वो, हुआ पूर्णजन्म उसे अहसास था 

सभी धर्मो का समावेश राज्य में, जो रक्षक नैतिकता-सदाचार था।।


पशु हत्या निषेध जहाँ पर, उद्देश्य प्राणी को न हानि पहुंचाना था 

वृद्धजनो की सेवा-सुश्रुषा, रखता मात-पिता संग गुरुजनों के प्रति आदर था।।

 

आत्म-निरीक्षण बहुत जरूरी, दिया उपदेश यही सम्राट था 

उचित व्यवहार का नियम लागू रखा, चाहे किसी वर्ग का प्राणी था।।

 

क्रोध-निष्ठुरता-अभिमान-ईर्ष्या, होता काम यह चांडाल था 

धार्मिक भावना न आहात करो न, मूल उद्देश्य होता ये ज्ञान था।।

  

धर्म महामात्रों की नियुक्ति करता, कार्य जिनका बौद्ध धर्म प्रचार-प्रसार था

लिपिबद्ध करना धार्मिक शिक्षा, मार्ग जो आत्म-साक्षात्कार था।।


भेरी घोष था बंद कराया, चहुं ओर धर्म-घोष का शोर था  

धर्म-संदेश को प्रसारित करता, जिसका धर्म-श्रावण नाम था।।


विदेशिओं से न हारने वाला, इतिहास का ऐसा सम्राट था 

जीत लिए जिसने देश-विदेश भी, वो अशोक महान सम्राट था।।


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