Phool Singh

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जबरन विवाह

जबरन विवाह

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कब सहोगे जबरन विवाह को

वक्त अब तो बदल गया

ऊंचाई छू रही जहां नारी अब

क्यूं सहने बेमेल विवाह को मजबूर खड़ा।

मनोवैज्ञानिक दवाब बनाकर

पक्षदारों संग छला गया

इच्छा विरुद्ध जो विवाह है होता

जबरन विवाह उसे कहा गया।

कुंडली गुण-दोष अब कौन मानता

क्यों अंधविश्वास में जकड़ा खड़ा

स्वयंवर होते थे वैदिक काल में

कभी गन्धर्व विवाह भी प्रधान रहा।

मैचमेकर कभी बिचौलिए द्वारा

नर-नारी को छला गया

राक्षस कभी पिशाच विवाह कर

अंतर्रात्मा को उनकी मारा गया।

बाहुबल कभी मान-सम्मान मे

जबरन नर-नारी पर थोपा गया

बदसूरत कभी बेअक्ल से

बर्बाद गुणी नर-नारी का जीवन होता रहा।

झूठी शान कभी ऊंची हैसियत से

कभी धन से किसी पर मढ़ा गया

मोल-भावकर जीवन का

असहाय कभी भाग्य भरोसे छोड़ा गया।

बदलाव किए गए विवाह कानून में

शामिल निश्चित उम्र को इसमें किया गया

शिक्षा-स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़े न

ध्यान इस बात का बखूबी रखा गया।

वैवाहिक दासता का भद्दा रूप

जिसे उल्लघंन मानवाधिकार का माना गया

हानिकारक ये अभ्यास जीवन का

बाधक जो पूर्ण आनंद में हमेशा बना।

प्रतिबंध लगाए गए जबरन विवाह पर

अपराध भी इसको माना गया

निर्धारित की गई जेल की सजा तक

जिस नियम को अमल वास्तविकता में किया गया।

जीवन साथी चुनने का

संविधान ने सबको अधिकार दिया

बिन मर्जी किसी नर-नारी का

किसने तुमकों अधिकार दिया।

सभ्य शिक्षित नर-नारी आज

साथी चुनाव का ऑप्शन खोला गया

हसीं खुशी से जीवन काटे

जिसे विकास-उन्नति का मार्ग भी माना गया।


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