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Neerja Sharma

Classics Inspirational Thriller

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Neerja Sharma

Classics Inspirational Thriller

सम्मोहन

सम्मोहन

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 21 दिन का कोर्स करने के बाद बनारस से चंडीगढ़ की वापसी की ट्रेन रात को 2:00 बजे की थी। अजीब सा डर मन में छाया था पर जैसे ही अपने सामान के साथ ओटो से उतरी तो एक लड़का मेरे सामने आया और कहने लगा, "मैं आपका सामान उठाऊँ ?" अजीब लगा, कुछ लोगों ने डरा भी रखा था। मैंने कहा नहीं बेटा मैं खुद ले जाऊँगी। उसने कहा नहीं आँटी मैं आपको ट्रेन पर चढ़ा दूँगा। मैंने उससे पूछा तुम्हें पता है मुझे कहाँ जाना है ? " जहां भी जाओगे छोड़ दूँगा। अजीब सा सम्मोहन था उसकी बातों में, उसकी आँखों में। बात शायद 12:00 या 12:30 बजे की थी क्योंकि ट्रेन 2:00 बजे की थी। मैंने कहा नहीं मैं चली जाऊँगी। मना करने पर भी उसने मेरे सूटकेस की ट्रॉली को पकड़ लिया, आप डरिए मत मैं आपको चढ़ा कर आऊँगा, रात में यहाँ कुली नहीं मिलता।

कुछ समझ नहीं आया मैंने पूछा, " मुझे जानते नहीं हो, फिर भी मदद करना चाहते हो। उसकी बात सुनते ही मेरी आँखे गीली हो गई जब उसने कहा," आप बिल्कुल मेरी मम्मी जैसी दिखती हैं। " मुझे वेटिंग रुम में बिठा वह बोला, "मेरी ट्रेन 4 बजे की है, आपको मैं ट्रेन में बिठा दूँगा,2बजे कुली नहीं मिलेगा। " वह तो पैर छू निकल गया पर में उसके सम्मोहन में बंधी उसके बारे में सोचती रही। मेरी तंद्रा तब टूटी जब उसने दौबारा आकर कहा, " आँटी, जल्दी करो आपकी ट्रेन का प्लेटफार्म बदला है ..तीन नम्बर पर आएगी अब। फलाई ओवर से उस तरफ जाना होगा।

"इस बार बिना कुछ कहे मैं उसके पीछे चल पड़ी। अगर वह न होता तो शायद ट्रेन छूट जाती। मन ही मन गंगा मैया का धन्यवाद दिया जो उन्होंने अन्जान शहर में अपना दूत सहायक बना कर भेजा। 


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