Neerja Sharma

Classics Inspirational Thriller

4.5  

Neerja Sharma

Classics Inspirational Thriller

समझौता

समझौता

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नीरू की माँ से हर बार एक ही बात को लेकर बहस होती थी कि वह इतना काम क्यों करती हैं। बच्चों को भी बहुत मज़बूरी में काम बताती थी वरना एक ही जवाब, " जाओ, जाकर पढ़ लो, काम तो जिंदगी भर चलता ही रहता है। माँ के लिए जीवन का आनंद यही है कि बच्चे पढ़़ लिख कर अच्छे इंसान बनें।" 

  माँ की बात मान अच्छे बच्चों की तरह पढ़ने बैठ जाते थे, पर माँ को मुस्कुरा कर काम करते देख हैरानी होती थी। समय के साथ-साथ माँ ने सब सिखाया। अब जब करोना काल आया तो बार -बार नीरू को माँ की सीख याद आती थी --

हर हाल में खुश रहो ..

अच्छा हो या बुरा वक्त रोके नहीं रूकता ..

आशा किसी से नहीं, स्वयं पर भरोसा करो...

प्रेम व्यवहार हो,गुस्से पर काबू रखो.. 

चुप रहकर सुनना सीखो..

माँ आज नहीं हैं पर उनकी दी सीख और सिखाए काम जीवन का आनंद बढ़ा रहे हैं। नीरू सोच रही थी कि जीवन में कई भूमिकाएँ एक साथ निभा इस कठिन दौर को भी जीत कर जीवन का आनंद पाया है। सोशल डिस्टैंसिंग, मास्क लगाना ......नौकरी के साथ घर के सब काम करना।अचानक सब्जी काटना छोड़ .....फिर कोई कहानी या कविता लिखना ... अब समझ आता है हालात से समझौता कर जीवन जीने का आनंद कुछ और ही है ....


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