गिरवी
गिरवी
केमिस्ट की दुकान पर खड़ी थी कि छोटा सा बच्चा आया और जोर से बोला अंकल मम्मी बिल्कुल ठीक है। कैमिस्ट ने प्यार किया और कहा जाओ बेटा, माँ का ध्यान रखो ।
मुझे हैरान देख कैमिस्ट ने जो बताया वह सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे। यह बच्चा पास में ही रहता है और इसकी मां घरों में काम करती है। तेज बुखार से पीड़ित माँ के लिए यह मेरे पास दवाई लेने आया। एक बांसुरी और हाथ में पहनने वाले दो छोटे नजरिये मुझे देते हुए कहा, " माँ की दवाई दे दो, पैसे नहीं हैं यह रख लो, कान्हा जी के हैं।" मैं हैरान इतने छोटे बच्चे को भी यह समझ है कि यहाँ से मुफ्त में कुछ नहीं मिलेगा। गिरवी शब्द तो शायद उसे पता नहीं था पर मतलब यही था।
उस दिन मुझे लगा जैसे साक्षात कान्हा ही सामने खड़ा है। मैंने उसका दिया सामान रखा और कुछ दवाइयाँ लेकर उसकी माँ को देखने गया ।
सच में उसकी माँ को तेज बुखार था। मैं उन्हें गाड़ी में अपने मित्र डाक्टर के पास ले गया और चैक करवाया। शुक्र है वायरल ही था, सो कुछ दिन में ठीक हो गया। बालक के गिरवी रखे नजरिए व बाँसुरी वो सामने मंदिर में है। माँ को दूँगा, बच्चे की खुद्दारी का तोहफा।
सारी बात सुनकर 'जय श्री कृष्णा' कह मैं भी दवाई ले लौट पड़ी। बस यही सोच रही थी कि आज भी सच्चाई और अच्छे लोगों की कमी नहीं है। मेरे मन में उनके प्रति सम्मान और भी बढ़ गया ।