Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!
Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!

Susheela Pal

Abstract

4.3  

Susheela Pal

Abstract

सिर्फ राखी का रिश्ता

सिर्फ राखी का रिश्ता

3 mins
126


यह वाक्या मेरे विद्यार्थी काल का है। मेरे पिताजी बड़ौदा मे नया घर बनवा रहे थे, लगभग पूरा घर बन चुका था बस इंटीरियर का फाइनल टच चल रहा था जिसके कारण उन दिनों दादाजी सुबह से शाम वहीं रहते थे.। राखी के दिन छुट्टी थी इसलिए सुबह घर में भाइयों को राखी बाँध कर दादाजी के साथ मैं भी नए मकान पर चली गई। नई सोसायटी बन रही थी एक तो पहला बंगलों हमारा ही था, ऊपर से राजापुरी आम का बड़ा सा पेड़ भी था, इसी कारण कई मजदूरों ने आम के वृक्ष की छांव मे टेंट बना रखे थे। 

    मैं अक्सर दादाजी के साथ वहां जाया करती थी हमेशा की तरह आज भी जाते ही गार्डन की ओर टहल रही थी कि बाउंड्री के उस और से सात - आठ साल के बच्चे की रोने की आवाज सुनाई देती है। मैं उस आवाज़ की दिशा में देखने चली गई। देखा तो लड़का मां से कुछ बोलकर रोए जा रहा था, मैंने उसकी माँ से रोने का कारण पूछा तो मां ने बटाया की राखी बांधने के लिए रो रहा है। सुनने पर मां पर बड़ा गुस्सा आया कि एक राखी के लिए बच्चे को इतनी देर से रुला रही है। 

मैंने उसकी मां को आग्रह किया कि "मैं राखी देती हूं आप बाँध दीजिए क्यूं बच्चे को रुला रही हैं।" उस अदिवासी महिला ने उत्तर दिया कि "राखी तो बहनें ही भाई को बाँध सकती है मैं मां हूं नहीं बांधूगी।" मैं मन ही मन सोचने लगी कि कितनी निर्दोष सोच है। फिर दूसरे ही पल पूछा "मैं बाँध दूँ"... कुछ देर तक मुझे देखती रही बिना किसी उत्तर के, जब फिर से पूछा तो बस सिर "हाँ" मे हिला दिया। मैंने लड़के को घूम कर घर मे आने को कहा, उस बच्चे के चहरे की खुशी देखते बनतीं थी मैंने टीका लगाकर राखी बाँध दी और मिठाई का डिब्बा उसके हाथ में देते हुए मुस्कराकर उसे जाने का इशारा किया, वह बच्चा कूदते हुए वापस वहीं टेंट मे चला गया। 

सुबह का यह वाक्या लगभग मेरे दिमाग से निकल गया था, शाम को मैं और दादाजी पुराने घर जाने की तैयारी कर रहे थे की, वहीं लड़का दरवाज़े पर वापस आकर खड़ा हो गया। उसे देख कर फर्नीचर का काम करने वाला कारपेंटर बोलता है दीदी आपको बुरा नहीं लगे लेकिन इन लोगों को कभी मुँह नहीं लगाना चाहिए। उसके बोलते ही दादाजी ने उसकी बात काटते हुए डांट दिया, "ठीक है तू अपना काम कर"मैं ग्रिल के पास गयी और सिर हिलाकर उसे पूछा "क्या हुआ?" 

 वह बच्चा मां के पास से भागकर मेरे पास आया और हाथ में पांच सौ रुपये का नोट मुझे हाथ में थमाने लगा। मेरे मुँह से आश्चर्य से निकला अरे.. ये क्या है। तो मां बोली 'तमे राखडी बाधीं ने! एटले। सुनते ही मैं थोड़ी सकपका गई फिर बच्चे के हाथ से पैसे उसकी जेब मे रखते हुए बोली कि तुम खुद कमाने लगना तब ये पैसे मैं तुमसे ले लूंगी लेकिन आज नहीं। तुम खूब पढ़ो लिखो अपनी मां की तरह मजदूरी मत करना।" मां बेटे वहां से चले गए 

     पंद्रह वर्ष के बाद वहीं लड़का मेरे घर आया और दादाजी और मेरे बारे में पूछने लगा तब मम्मी ने बताया कि दादाजी तो गुजर गए और दीदी की शादी हो गई अब वो अपने घर है। मम्मी से मेरा नम्बर लिया। मुझे फोन करके सारी घटना याद दिलवाई और बोलता है" दीदी आपका ये भाई रमेश मकवाना, बैंक ऑफ बड़ौदा मे मैनेजर हैं", इसमे मेरा कोई योगदान नहीं, लेकिन सुनकर असीम खुशी हुई। है न सिर्फ राखी का रिश्ता!



Rate this content
Log in

More hindi story from Susheela Pal

Similar hindi story from Abstract