Susheela Pal

Others

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बड़े नाम के छोटे मुखौटे

बड़े नाम के छोटे मुखौटे

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 "कैन आई सीट हियर"... मुनीश की भारी भरखम आवाज सुनते ही स्वीटी झल्लाहट से भर गई। और गुस्से से पलट कर देखने लगी, सामने एक हैंडसम बॉय, चेहरे पर मुस्कुराहट लिए मुनीश, बैठने के लिए पूछ रहा था। दरअसल पूरे रेस्टोरेंट में कही भी जगह खाली नहीं थी। चार कुर्सियों के टेबल पर स्वीटी अकेले ही बैठी हुई थी। इसलिए मुनीश ने पूछ लिया।दूसरी ओर... किसी भी लड़के का साया भी स्वीटी को मंजूर नहीं रहता था।मुनीश के पूछते ही स्वीटी के तन - बदन में आग सी लग गई। 

गुस्से भरी निगाह से देख, स्वीटी वहां से भुनभुनाते हुए उठ कर चल दी। "कामयाबी किसी के बाप की जागीर नहीं होती न । एक तो पुरुष हैं हमारे देश में जन्मजात दबंगई बपौती में मिली होती है इन्हें, ऊपर से रहीश जादे, फिर तो क्या कहने..!!इनका रुतबा तो वैसे ही बढ़ जाता है

मुनीश की कद काठी औसतन बहुत गठीली है उसपर 6 की हाइट वह डॉक्टर कम अपितु जिम्नास्टिक खिलाड़ी अधिक प्रतीत होता है

मैं बैठे बैठे सारा दारोमदार देख रही थी, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि स्वीटी को क्या हुआ है?

उस लड़के ने तो महज वहां बैठने के लिए पूछा था फिर क्यूँ स्वीटी इतना झल्ला गई..!! 

और वह लड़का भी स्वीटी के ऐसे रवैये के बावजूद प्यार से उसे घूरते हुए, गेट से बाहर निकल रहा है

 मैं मुनीश को देखते हुए विचारों में गोते लगा रही थी कि अचानक स्वीटी ने आकर मुझे कंधे से पकड़कर झकझोर दिया... रिंकी, तू क्या इस लंपट को निहार रही है..!! 

अरे! स्वीटी, ये क्या बात हुई? गुस्से मे तू किसीको कभी 

भी कुछ भी बोलेगी?

चल गुस्सा थूक दे। और बैठ मेरे साथ, कॉफ़ी ऑर्डर की है, पीकर फिर चलते हैं.. कॉफ़ी पीते - पीते स्वीटी अतीत में गोते लगाने लगती है..

                "अभी अभी तो बारहवीं की परीक्षा पास की थी.. फर्स्ट क्लास पास हुई थी,लेकिन कोई बहुत बड़ा सपना नहीं देखा था। किसान की बेटी थी न..! बहुत बड़ी सोच रखने का कोई मतलब ही नहीं था। बी. ए मे ऐडमिशन लेने शहर नहीं जाती तो ऐसे मेरे कुछ वर्ष बरबाद न होते...।"

सुन न स्वीटी कब से आवाज दे रहीं हूँ..! 

कहाँ सपनों मे खो गई? उसी हैंडसम लड़के के खयाल मे न।

स्वीटी कुछ तुकबंदी जोड़ने मे लगी है..... 


गुनाहों के टोकरियों को

तु ढोता कैसे है...

समय की जंजीरों को

तु खोलता कैसे है

जमीर तेरा क्यूँ..

कभी नहीं कोसता...

बिना सिर पैर की बातों को

तु समेटता कैसे है..

बेरंगी बेवजहों के हालातों से

तु उबरता कैसे है...!!


            कहते हुए जोर से एक मुक्का टेबल पर दे मारती है।और उठकर चल देती है। रेस्टोरेन्ट मे बैठे सभी लोगों की आंखे जो कि अनजान सवालों से भरी हुई, स्वीटी का पीछा करते हुए दिखती है। 

यह देखकर रिंकी ठिठक गई और झल्लाहट मे बरबस चिल्ला उठी। यह क्या दौरा पड़ता है तुम्हें स्वीटी?

         क्यूं तुम आपे से बाहर हो जाती हो? इतने सालों से हम दोनों परिचित हैं किन्तु मैं तुम्हारी इस गुत्थी को लेकर असफल ही रहती हूँ।सुलझा ही नहीं पाती हूँ, तुम्हारे इस व्यवहार के कारण विचारों के भंवर में धंसी चली जाती हूँ। रिंकी के इस उद्बोध से स्वीटी आँख बड़ी करके डांटने का निरर्थक प्रयास करती है फिर बिना कुछ कहे वहां से चली जाती है लेकिन रिन्की के मन में आज एक शक का बीज पनपता छोड़ जाती है।और वह मुनीश की खोज बीन में लग जाती है

               रेस्टोरेन्ट का मालिक रिंकी को देखते हुए हाथ हिलाता है वह विचारों के बहाव के साथ ही रेस्टोरेन्ट के मालिक की ओर दौड़ी  चली जाती है। रेस्टोरेन्ट का मालिक बड़ी ममतामयी दृष्टि से देखते हुए नमस्ते करते हुए पूछता है  मैडम आप और स्वीटी जी एयर होस्टेस की ट्रेनिंग के दिनों से साथ हो, इतने सालों से मैं आप दोनों को हंसते - मुस्कराते, हंसी -, ठिठोली करते देखता था किंतु आज पहली बार आपको इतना गुस्से में देखा। अपनी दोस्ती को सम्भाल लेना। इतना सुनते ही रिन्की का गुस्सा हवा हो गया और मीठी सी मुस्कान बिखरते हुए बोली 'शुक्रिया अंकल जी, मेरी दोस्ती को कुछ नहीं होगा। अच्छा एक बात बताइए अभी कुछ देर पहले हमारे टेबल पर एक जैन्टलमैन बैठ गए थे, आप उन्हें जानते हैं? 

किसे? कहीं आप डॉ. मुनीश जी के बारे में तो नहीं पूछ रहीं हैं। 

अच्छा तो डॉ. मुनीश नाम है..!! 

हाँ, उन्हीं महाशय के कारण ही मेरी दोस्त के मिजाज का रंग बदला है। 

रेस्टोरेन्ट का मालिक आश्चर्य से.. "सिर्फ मिजाज़ ही बदला है? रिन्की रोष से अमूमन डांटने के लहजे से 'क्या मतलब सिर्फ मिजाज़ ही बदला है?" और क्या होना चाहिए था! 

और क्या होगा मैडम' अच्छी खासी हँसती - खेलती जिंदगी  थी दोनों की जिस में आग लग गई! 

 मतलब तुम दोनों को पहले से जानते हो? 

जी हाँ! मैडम। 

कैसे? 

स्वीटी जी डॉ. मुनीश की वाइफ हैं। 

क्या बकवास बात है अंकल जी? 

मै और स्वीटी पिछले पांच सालों से परिचित हैं। 

रिंकी के पेट में एक हूक सी उठने लगी 

अब ये क्या माजरा है!! 

हाँ, मैडम जी मेरा विश्वास नहीं कर पा रही हैं तो आप स्वीटी जी से पूछ लीजिए। 

जब स्वीटी जी ने कालेज के पहले वर्ष में एडमिशन लिया था तब मुनीश जी उनके साथ बराबर आते जाते थे। 

फिर काफी दिन तक स्वीटी जी कालेज नहीं आयी 

बाद में जब आने भी लगी तो अकेले! 

फिर छात्रों की आपस मे कानाफूसी  सुनी की दोनों शादी के बंधन से अलग हो गए हैं। 

                रिंकी भौंहे चढ़ाते हुए पूछती है कि आप का कहने का मतलब है कि स्वीटी डिवोर्सी है? 

जी, मैडम, आप कहें तो अपने रोजी की कसम खा लूँ! 

रिंकी आंखे तरेरते हुए कहती हैं 'नहीं रहने दीजिए I 

लेकिन हाँ एक बात से मुझे भी आज तक  हैरानी होती है 

रिंकी आश्चर्य से 'क्या?' 

यही कि इतने वर्षो में एक दिन ऐसा नहीं गया होगा कि डॉ मुनीश स्वीटी मैडम को बिना देखे यहां से  गए हो I 

रिंकी के मन में प्रश्नों का सैलाब था रेस्टोरेन्ट के मालिक की ओर अनमने से देखते हुए थैंक्स अंकल जी कह कर अपनी गाड़ी की ओर चल देती है।रेस्टोरेन्ट से घर तक का सफर रिन्की ने स्वीटी के विचारों मे ही तय किया। इसी कारण वह ढंग से सो भी नहीं पायी। 

           दूसरे दिन तड़के ही स्वीटी के घर पहुँच जाती है, उसे सोते हुए देखकर उसका टेड़ी बियर अपनी बाहों में भरकर जोर जोर से गाने लगती है… 


"रंग तेरा चढ़ा जो सांवरिया

दूजा रंग कैसे चढ़ेगा

लौटना भी न समझ आया 

कैसे मन उसने लुभाया।

कहते हो दोस्त फिर

 कैसे दोस्ती को आजमाया।।" 

       स्वीटी उनींदे लहजे में रिंकी से ठिठोली करती है। क्या मैडम, क्यूँ नाहक इश्क की बीमारी पाल रही हो? अच्छी खासी जिंदगी पर पलीता मत घुमाओ। 

       इतना सुनते ही रिंकी बाहों में भरे टेड़ी बियर को उठाकर स्वीटी के मुँह पर दे मारती है। 

और उस पर झपटते हुए कहती हैं.. ये इश्किया बयानी  मेरी नहीं आपकी है मोहतरमा। 

       रिंकी पहले मेरा मुँह छोऽऽऽड़ बहुत दर्द हो रहा है।रिंकी की पकड़ और मजबूत हो जाती है… छोड़ दूंगी! पहले ये बता रेस्टोरेन्ट वाले अंकल, मुनीश को तेरा पति क्यूँ बता रहे थे!! 

      यह सुनते ही स्वीटी के पैर से जमीन सरक गई। 

और सोचने लगी कि इतने सालों से जिसे दबा कर रखा था आज कैसे बेपर्दा कर दूँ। अपने पिता को किसी भी सूरत में अनैतिक मानने को ही तैयार नहीं थे, हमारी शादी के बाद मम्मी  भी गायत्री परिवार से जुड़ गईं और हरिद्वार रहने लगी।  आशिर्वाद देते समय पापा जी की वो अजीब सी छुअन को याद करते हुए आज भी मन सिहर जाता है। किंतु बताने पर मुनीश मेरा यकीन करने को तैयार ही नहीं था। हर दिन इन्हीं बातों को लेकर मेरी और मुनीश की अनबन होने लगी। और मौका देखकर उस आदमी ने खेल खेल ही दिया। मुनीश के सामने मुझ पर चरित्रहीन का आरोप लगाया। मुनीश ने एक शब्द भी नहीं बोला, मैं भी इससे आहत होकर पिता के घर चली आई। इस विश्वास के साथ की मुनीश  सच्चाइ जानते ही मुझे लेने आ जाएंगे। किन्तु एक वर्ष बीत गया मुनीश ने किसी भी प्रकार से सम्पर्क नहीं किया। सीधे तलाक का नोटिस भेज दिया। अब तो तलाक भी हो गया। तलाक का सुनकर मम्मी जी नहीं नहीं…. Yeये क्या कह दिया साधु - फकीरों के तो कोई रिश्तेदार नहीं होते, इसलिए दीदी जी ये ठीक रहेगा। आधी रात को मुझ से मिलने आयी थी। उस समय जो बताया वह सुनकर तो पैरों तले से जमीन सरक गई। उनका कहना था कि हम जिनके साथ रह रहे थे वे मुनीश के पिताजी थे ही नहीं,एक हादसे में मम्मी जी का पूरा परिवार खत्म हो गया था, उस समय स्वयम तीन महीने की गर्भवती थी, हादसे के बाद अस्पताल में सीधे तीसरे दिन होश आया, उस समय इन्होंने मुझे सम्भाला जो कि उसी अस्पताल में सीनियर डॉक्टर थे। जब तक इनकी हरकतों और नीयत समझ आयी तब बहुत देर हो चुकी थी, मैं इनके एहसान तले दबी थी इसलिए कुछ न कर पायी किन्तु अब बस...काश कि तुम दोनों ने मेरा इंतजार कर लिया होता, ये सारी बातें मुनीश बरामदे में खड़े होकर सुन रहा था जो अचानक सामने आया और उग्रता से मम्मी जी को कहता है कि काश आपने मुझ से ये बात शेयर की होती तो स्वीटी की नजरों में मैं नहीं गिरता। और वहां से चला जाता है। मोबाइल मे आयी कॉल से स्वीटी की तन्द्रा टूट जाती है, सामने रिंकी की आवाज़ थी, "स्वीटी तैयार होकर 4 बजे तक मेरे घर आजा परसों मुझे जो लड़का देखने आया था, उससे आज मेरी सगाई है! "

           स्वीटी ने मेहंदी रंग का वेलवेट गाउन उस पर मैरुन नेट का दुपट्टा, डायमंड का बड़ा सा स्टड और हाई बन में अप्रतिम सुन्दर लग रही है। रिन्की के द्वार पर पहुंची तो पाया कि रिन्की के माता पिता मेहमानों का स्वागत कर रहे थे, स्वीटी जैसे नमस्ते बोलने गई, रिन्की की मम्मी ने आँख से काजल निकाल कर स्वीटी के बाएं कान के पीछे लगा दिया। स्वीटी शर्म से लाल हो गई और शर्मीले भाव से ही आगे बढ़ गई। रिंकी के महलनुमा घर से पहले से परिचित थी किन्तु आज उसकी शोभा देखते बनती थी, बड़ा सा होल जो चाय निज बल्ब की लडियों से जगमगा रहा था। एक किनारे पर डाइनिंग सजा हुआ है, खाने पीने की हर वो चीज़ दिख रही है जो आज की रहीशी बयां करती है। होल पर एक नजर घुमाते हुए स्वीटी सीढ़ियां चढ़ते हुए, रिन्की के कमरे की ओर चली गई। मुनीश की नजर स्वीटी पर पड़ते ही ठहर  गई, एक झलक स्वीटी की पाकर जैसे उसकी आत्मा तृप्त हो गई। और स्वीटी इन सबसे बेखबर अपनी सहेली की खुशियो मे खुश थी। 

        रिन्की के पास पहुंचते ही स्वीटी ने उसे गले लगा लिया, अचानक ही बुलबुल को कैद होने की क्यूँ सूझी..! फिर स्वयं ही चल ठीक है बहुत बहुत बधाई, तेरा जीवन मंगलकारी रहे।

जीवन के कुछ अनमोल वचन कर ले तू याद 

खुश कटेगी जिंदगी होगी न कभी फ़रियाद 

क्या बात है स्वीटी, तूझे बड़ा तजुर्बा है! जिंदगी का, स्वीटी ने आंखे मटकते हुए कहा, और नहीं तो क्या 

इसीलिए कहते हैं हमारी बात मान लिया करो। 

कभी कोई पुरुष स्त्री के कंट्रोल मे नही चल सकता बशर्ते स्त्री मे परोपकार, धैर्य , ममता और सहनशीलता है तो पुरुष अप्रत्यक्ष रूप से स्त्री का अनुशरण करते जाता है। 

     स्वीटी के शब्दों को सुनकर रिन्की सकपका गई, मेरी योजना के बारे में ये कैसे जान गई, मैंने तो अपने आप से भी बात नहीं की।

      खैर छोड़ो मुझे मेरे प्लान के मुताबिक ही चलना है, ये कौनसी फिलासफी समझा रही है? वो ज़माना और था कि स्त्री नायिका,प्रेमिका या दासी हुआ करती थी। आज अर्धांगिनी का सही मतलब मान्य हो रहा है नारी - पुरुष की बराबरी। तब ही दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है अन्यथा डिवोर्स की नौबत आ जाती है। रिन्की की बातें सुनकर स्वीटी हल्का सा मुस्कराती है और एक बार फिर अपनी दोस्त पर तंज कसती है क्यूँ भई अपने मंगेतर से कब परिचय करवाएगी कहकर, अन्य परिचित लोगों से मिलने जुलने लगती है 

         सामने से  मम्मी लगभग भागते हुए आ रही थी, और स्वीटी से बोली बेटा इसे सामने काउच पर ले चलो, रजनीश अपने परिवार के साथ आ चुके हैं। पिस्ता और अनार पिंक के कॉम्बिनेशन में पहना हुआ लहंगा चुनरी उसपर गले और कान में डायमंड की लड़ी, रिंकी के ब्लैक ब्यूटी को और भी निखार रही थी, इस पूरी दुनिया में यही इकलौती मेरी दोस्त है, मुनीश से शादी के बाद वही मेरी दुनिया थी, खैर छोड़ो..रिन्की कितनी शान्त दिख रही है। काउच पर सिकुड़ कर बैठी इस शेरनी पर मुझे बड़ी दया आ रही है। मैं ईन विचारों में डूबी हुई थी तभी आंटी एक सजी हुई थाली मुझे थमा दी, जिसमें गुलाब के पंखुड़ियों के बीच एक काला बॉक्स और मोगरे के कलियों के बीच लाल रंग का बॉक्स रखा हुआ था। शायद इनमे दोनों की अंगूठियां होंगी, थाली को निहारने में अचानक से मुझे ध्यान आया कि कब से मैं किसीके नजरों का केंद्र बनी हुई हूं। अरे! ये तो मुनीश है। ये क्या हो रहा है मुझे इन्हें देखते ही मैं सिकुड़ क्यूँ जाती हूँ। अब तो किसी बंधन से भी नहीं बंधी हूं। मुनीश मेरे लिए एक अजनबी है । 


                  मैं कैसे भूल सकती हूं कि मुनीश ने मेरा कोई खयाल ही नहीं किया। माँ तो बचपन से ही नहीं थी, मेरे ससुराल से आ जाने के बाद मेरी ही चिंता में पापा भी इस दुनिया से चल बसे। पापा की अंतिम विदाई पर भी मुनीश नहीं आए थे, इतना गुस्सा एक ऐसी बात पर जिसके लिए मैं गुनाहगार थी ही नहीं। तब तक हम कानूनी रूप से अलग भी नहीं हुए थे। शायद ये डॉ है इसीलिए अनुभूतियां महसूस ही नहीं कर पाता। तालियों की गड़गड़ाहट से जब तन्द्रा टूटी तो पाया कि रिग सेरेमनी हो चुकी है। सब अपने स्थान से खड़े होकर  रिंकी और रजनीश के आसपास जमा हो गए हैं  और तालियां बजा रहे हैं अरे यह क्या रिंकी भी नहीं हवा में उड़ रही है दो हंसों के आलिंगन करते हुए तीन तल्ला केक सामने से आ रहा है दोनों ने मिलकर केक काटा और एक दूसरे को नए बंधन सूत्र मे बंधने के लिए बधाई दी। अचानक से बोले चूडिय़ां बोले कंगना…. गाने की धुन सुनाई पड़ने लगी। रिंकी और रजनीश ने बड़ी ही गर्म जोशी से इस गाने पर डांस किया। एक समय था जब मैं और मुनीश लोगों की नजरों में सुन्दर जोड़ी हुआ करते थे लोगों को जलन सी होती थी हम दोनों को साथ में देखकर जो हम महसूस करते थे और आंखों ही आंखों में हंसते भी थे शायद इसे गर्व कहा जा सकता है। अरे स्वीटी जब देखो तब पता नहीं कहां खोई रहती है सुन किसी से मिलवाती हूं, आप है रजनीश जिनके साथ मैंने अपनी जिंदगी बिताने का फैसला कर लिया है और आप है रजनीश के दोस्त डॉ मुनीश, यंग, डेसिंग हमारे शहर के जाने माने कार्डियोलॉजिस्ट, जिन्हों ने कइयों की धड़कन बढ़ा रखी है। रिंकी की बड़ बड़ को बंद करने के लिए स्वीटी, रजनीश की ओर उन्मुख होकर कहने लगी अच्छा हुआ आप इसकी जिंदगी में आ गए कम से कम अब मैं सुकून से जी तो पाऊंगी, रिंकी यह सुनते ही थोड़ा मुड़ी, मुनीश और स्वीटी को लगभग धकेल ते हुए डांस फ्लोर पर यह कहते हुए भेज दिया कि बातें तो जिंदगी भर होती रहेगी अभी जो चल रहा है उसका मजा ले.. 

         रिंकी के अचानक धकेलने पर मुनीश लड़खड़ा गया और डांस फ्लोर के बीच में आ गया किन्तु स्वीटी पूरा गोल घूम कर गिरने जैसी हो गई किन्तु मुनीश ने दौड़कर उसे सम्भाल लिया। स्वीटी गुस्से में तमतमा गई किन्तु कोई तमाशा न बने इसलिए गाने के ताल पर स्टेप्स लेने लगी और मुनीश भी बराबर साथ दे रहे थे। दोनों की जोड़ी एक दूसरे को टक्कर दे रही थी। उपस्थित लोगों ने दोनों के परफॉर्मेंस को बहुत सराहा, लेकिन स्वीटी अंदर ही अंदर कुढ़ते हुए बड़बड़ाए  जा रही थी लेकिन रिंकी के लिए बहुत बड़ा दिन है और वह बहुत खुश भी है। अभी मैं उसे कुछ नहीं कहना चाहती किन्तु इन सब के विषय में इत्मीनान से बात तो करनी ही पड़ेगी।

      मम्मी सामने से आती हुई दिखी तो स्वीटी सामने से जाकर पूछने लगी कि आंटी जी आराम से इतनी जल्दी मे क्यूँ भागी आ रही हैं? तुम दोनों का डांस बहुत अच्छा था। अरे! हम जल्दी मे इसलिए थे, क्यूंकि डिनर का समय हो गया है। मैंने टेबल लगवा दिया है चलो तुम भी रिंकी और रजनीश के साथ डिनर कर लो। नहीं आंटी जी ऐसे कैसे मैं आपके साथ गेस्ट देखती हूँ,एक दिन तो देरी बर्दास्त कर सकती हूं।वो तो ठीक है बेटा, मैं तुम्हें उन दोनों के साथ इसलिए बिठा रही थी, एक तो तुम्हारी कम्पनी रिंकी पसंद करती हैं दूसरे तुम रहोगी तो मैं बेफ़िक्र हो जाऊँगी। तुम्हारा हर काम सलीके से होता है। ठीक है आंटी जी आप जैसे कहें। 

         सभी डिनर के बाद विदा लेने लगे। रजनीश का परिवार भी निकलने लगा। तभी मुनीश ने रिंकी से पूछा कि स्वीटी रुकेगी या रात में ही निकल जाएगी। ये मेरी दोस्त थोड़ी अजीब है मैं रोकना चाहूँगी तब भी नहीं रुकेगी। मैं इसे छोड़कर आऊंगी। इतना बोलते ही मुनीश को मौका मिल गया। आप थक गए होंगे रिंकी जी, मैं अकेले ही जा रहा हूं उन्हें ड्राप करते हुए जाऊँगा। सुनते ही स्वीटी बोल उठीं नहीं किसीको हमे छोड़ने की जरूरत नहीं हमने कैब बुक कर ली थी 11 बजे आ जाएगी। 


       सभी मेहमान जा चुके हैं कैब आने में अभी आधा घन्टा बाकी है स्वीटी मम्मी के साथ हेल्पर्स को सब समान रखने के लिए सहेजे जा रही थी, कुछ ही समय में हॉल सही हो गया। स्वीटी मेरे कमरे में चल न, मैं ये भारी गेट अप उतार कर नाइट ड्रेस पहन लूँ। स्वीटी सफाई करने की हिदायत देते हुए मेरी ओर आ गई। क्या रिंकी जा कर चेंज कर लेती तो वहां आंटी जी की काफी हेल्प हो जाती, खैर चल फटाफट अब कभी भी ड्राइवर कॉल करेगा। क्या कैब का इंतजार कर रही है, मुनीश के साथ निकल गई होती तो अभी तक घर पहुंच जाती और मेरा भी टेंशन दूर हो जाता। देख रिन्की तू जो कर रही है वो मैं अच्छे से समझ रही हूँ,। मत कर मुझे अच्छा नहीं लग रहा है। मेरे और उनके रास्ते अलग हो गए हैं, जिन स्थितियों में हम अलग हुए हैं अब दुबारा जुड़ना नामुमकिन है। रिन्की मैं तुमसे रिक्वेस्ट कर रही हूं कि दुबारा अब हमे ऐसी कोई स्थिति में मत लाना जिसके कारण मुझे तुमसे दूरी बनाने का निर्णय लेना पड़ जाए। 

      अरे स्वीटी कहाँ हो बेटा तुम्हारी कैब खड़ी है। जी, आंटी जी अब मुझे निकलना चाहिए ऑल रेडी बहुत लेट हो गई हूँ। चाचाजी कई बार कॉल कर चुके हैं। इतनी दूर रहकर भी मेरी बराबर चिंता रहती है उन्हें, हाँ बेटा चलो, पहुंच कर उन्हें और मुझे दोनों को कॉल कर लेना। तुम्हारे आने से मेरा भार थोड़ा कम हो गया, कहते हुए स्वीटी का माथा चूम लेती है। इतनी खिन्नता के बाद आंटी का यह प्यार भरा व्यवहार जैसे मेरे मन को मरहम लगा गया। इन्हीं विचारों मे कब घर आ गया पता ही नहीं चला। घर पहुँच कर शावर लेकर स्वीटी सो गई। सुबह चाचाजी की आई कॉल से नींद खुली। स्वीटी.. जी चाचाजी नमस्ते, खुश रहो बेटा ।ये क्या मैं तुम्हारी बदली किस्मत की खुश खबर देने के लिए बेताब हूं और तुम अभी तक सो रही हो। नौ बज गए हैं बेटा..! माफ कीजिए चाचाजी कल बहुत थक गई थी। 

कल रिन्की की सगाई से लौटी, तुरंत आपको घर पहुचने की खबर दी, आंटी जी को भी बताया कि मैं ठीक से घर पहुंच गई। फिर नहाई और तुरंत सो गई फिर भी 1 बज चुके थे। नींद तो अच्छी आई किन्तु थकान नहीं गई। चाचाजी आप कोई खुशी की न्यूज देने वाले थे! 

हाँ, बेटा! खुशी की ही बात है। तुम्हारा इंडियन एयर लाइंस में सिलेक्शन हो गया है। और इससे जुड़ी मेरे लिए खुशी की बात है कि तुम अब मेरे पास दिल्ली आ जाओगी। मतलब तुम्हारा जॉइनिग सिटी दिल्ली है तो अब तुम्हें यहीं शिफ्ट हो जाना चाहिए। खैर ये सब तो ठीक है। इन सब बातों में कहीं ये न भूलना की परसों शाम को तुम्हारा जॉइनिग है। भागदौड़ से बचना है तो कल दिन में ही दिल्ली पहुंच जाइए तो सही रहेगा। जी, चाचा जी आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। धन्यवाद चाचा जी, आप ही अकेले मेरे गार्जियन है। बिल्कुल बेटा तुम मेरी बेटी हो और तुम्हारी खुशी - तरक्की मेरी जिम्मेदारी है। तुम हमेशा खुश रहो  बिटिया यही मेरी कोशिश रहेगी। ठीक है चाचाजी अब फोन रखती हूं बाकी बातें मिलने पर होंगी, नमस्ते चाचाजी, खुश रहो बेटा ।

स्वीटी ने दूसरे दिन दोपहर का बुकिंग करवा लिया, फिर अपने आप से बुदबुदाते हुई सोचने लगी पहले कॉफ़ी पीती हूं, फिर स्नान लेकर मार्केट जाती हूँ। थोड़ा जरूरत का समान ले लूँ, पता नहीं जोइनिंग के बाद समय मिले न मिले। शाम को रिंकी को बता दूंगी। अभी उसे फोन किया तो काफी समय यही हो जाएगा। 


स्वीटी मार्केट से लौटी तो मेइड आ चुकी थी। स्वीटी ने अपनी खुशी उससे बांटी और कहा घर जाते हुए मिठाई और रेफ्रिजरेटर का सारा समान लेते जाना। उसमे से सारा समान निकाल कर बाहर रख लो और उसे बंद करके साफ कर लो। और हाँ सविता साफ करने के बाद फ्रिज में वाईट विनेगर का पोछा लगा कर थोड़ी देर खुला छोड़ देना। ताकि काफी दिनों बाद भी उपयोग करना हो तब अंदर से बदबू नहीं आएगी। 

दीदी आप तो ऐसे बात कर रहे हैं कि अब  यहां अमरावती में लौट कर कभी नहीं आयेंगी। सविता… कैसी बात कर रही है..!! न आने की कसम थोड़ी न खा कर बैठी हूं, यहां मेरे माता - पिता की यादें छोड़कर जा रही हूँ। कहीं से मेरा मन उबा तो यहीं आकर शांत होगा। अच्छा हुआ तुने पूछ लिया, तुझे एक ड्यूटी देकर जा रही हूं, हफ्ते में दो दिन मेरे घर पर आकर सफाई करके जाना। ताकि जब भी यहां आऊँ मेरा घर मुझे साफ सुथरा मिले। फोकट मे सेवा करने को नहीं बोल रही हूँ। तुझे पगार भेजती रहूंगी। सविता मुस्कुरा भर देती है। उसकी मुस्कुराहट विश्वास सभर है। मेरी पूरी दोपहर सारे समान को रखने में चली गई। घर की सभी चीजों को कवर करने में काफी समय लग गया। घड़ी की ओर देखा तो चार बजा रही थी। अरे सविता मेरे सामने अनगिनत काम है और समय कम, मेरी भूख - प्यास जाती रही किन्तु तू क्यूँ अंतडियां जला रही है! 

अरे दीदी बहुत खाया है आपका एक दिन नहीं खाऊँगी तो कमजोरी नहीं आ जाएगी। चुप कर तू बहुत मेहनत करती है। चल कुछ फटाफट बन सके ऐसा कुछ खाते हैं। दीदी मैं जो ज्वार का आटा लाई थी है क्या? हाँ सविता दो - चार रोटी बन जाएगी। ठीक है आप हरी मिर्ची कुटिए, मैं रोटी बनाती हूं। मिर्ची नरम लेना, सविता कौन सी नई वरायटी बनाने वाली है?  फिर दूसरे ही क्षण सोचती है, चलो आज उसके मन की करने देते हैं। खुश हो जाएगी। सविता ने तीन मोटी रोटी और कुटी मिर्च में थोड़ा सा मूँगफली का कूट डालकर जीरे से तड़का दिया और बस नमक डाला। मैंने एक रोटी खाई। तीखापन सिर पर चढ़ रहा था, पर मज़ा आ गया। सविता मुझे खाते देख होठों मे ही मुस्कुरा रही थी। मेरे पूछने पर कहती हैं दीदी तुम बहुत अच्छी हो ईश्वरप्पा तुमको बहुत खुश रखे। बचा काम निपटा कर सविता चली गई और मैं अपना बैग पैक करने में लग गई। अभी पैकिंग समेट भी नहीं पाई थी कि मोबाइल में रिंग आई। 

स्वीटी, मेरी इन्गेजमेन्ट के बाद से कोई फोन नहीं, मिली भी नहीं कहा गुम है? खैर छोड़, मैं, रजनीश मूवी जा रहे हैं, मुनीश भी आना चाहता है, तू भी चलना प्लीज़, दोनों के साथ अकेले जाने मे मुझे अजीब लग रहा है।

ये क्या बात हुई रिंकी! इसमे अजीब क्यूँ लगना चाहिए? रजनीश तुम्हारे मंगेतर हैं और डॉ. मुनीश पर तू आँख बंद करके भरोसा कर सकती है, जेन्टलमैन है। स्वीटी, तेरे लिए होगा जेन्टलमैन, मैं सभी पुरुष को एक ही तराजू में तौलती हूं। तू सीधे बोल मूवी के लिए आ रही है कि नहीं? स्वीटी ने जोर देकर बोला नहीं.., रिंकी सुनते ही गुस्सा हो गई, ये क्या बात हुई स्वीटी! कम से कम मुझे तो सपोर्ट करना चाहिए न, मैं तुम्हारा कितना ध्यान रखती हूं। कोई बात मना नहीं करती। रिंकी, तुम्हारा ड्रामा हो गया हो तो मेरी बात सुनेगी? हाँ, बोल। मेरा एयर इंडिया मे सिलेक्शन हो गया है। कल दोपहर की फ्लाइट से मैं दिल्ली जा रहीं हूं। रिंकी के पैरों तले से जैसे जमीन सरक गई हो वैसे हारे हुए जुआरी की तरह बेसुध हो गई। स्वीटी हैलो हैलो कर रही है किन्तु रिंकी द्वारा कोई रिप्लाई नहीं मिलने से फोन काट दिया। हे विधाता! तूने स्वीटी का कैसा विधना बनाया है। मुनीश घुटने पर बैठ कर, स्वीटी से दुबारा विवाह करने के लिए मुझसे सहायता मांगी थी। उनकी बात में प्रायश्चित प्रायः झलक रहा था। वो स्वीटी की बहुत रेस्पेक्ट करते हैं। स्वीटी शहर से चली गई तो मेरा पूरा प्लान चौपट हो जाएगा। किन्तु उसका करियर संवरने जा रहा है। मैं उसमे अड़ंगा भी तो नहीं बन सकती। इतना कुछ भुगतने के बाद भी स्वीटी ने, अपनी जिंदगी के इस हिस्से को कभी मुझसे डिस्कस नहीं किया। उफ्फ मेरा सिर फटा जा रहा है।……. 


ये तो असहनीय दर्द हो रहा है, नहीं.. नहीं रिंकी तुझे अपने आप को संतुलित करना पड़ेगा। डॉ. रजनीश को कॉल कर लेती हूं। अहा.. क्या बात है, स्वीट हार्ट, मूवी 9 बजे से है।और अभी से बेसब्री। नहीं, डॉ. रजनीश आई एम सो सोरी, आज मूवी के लिए नहीं जा पाएंगे, मैंने ये बताने के लिए कॉल किया है। क्या हुआ रिंकी?  सब ठीक है। हाँ बट वो स्वीटी हैं न, हाँ बोलो रिंकी क्या हुआ स्वीटी जी को….हुआ कुछ नहीं, शी इज़ एब्सल्यूटली फाइन बट वो कल दिल्ली जा रही है। हमेशा के लिए.., क्या ऐसे कैसे? अचानक डिसीजन ले लिया  स्वीटी जी ने! मुझे इसी बात का डर था, क्यूंकि दोनों स्वाभिमानी है। इसीलिए मैं डॉ. मुनीश को स्पेस देने की बात कर रहा था। रजनीश की बात सुनकर रिंकी चहक उठीं… नहीं.. नहीं.. रजनीश जी, आप जैसा सोच रहे हैं वैसा कुछ भी नहीं है। स्वीटी का इंडियन एयर वेज में सिलेक्शन हो गया है। डॉ. साब, मुझे चेक कर लो न, फिर फोन पर बात करो, ये कौन बोल रहा है डॉ. रजनीश…. फिर सिर पीटते हुए अच्छा आप भी हॉस्पिटल में होंगे,मैं भी कितनी बेवकूफ़ हूं, ज्यादा समय नहीं लूँगी, आप दोनों स्वीटी के घर पहुँचे। डिनर वहीं करेंगे। मैं कॉल कट कर रहीं हूं। ओके डन, कह कर रजनीश ने कॉल कट कर दिया।रिंकी ने घर से खाना बनवाया और स्वीटी के घर पहुंच गई। 


अचानक से आई, रिंकी को देख स्वीटी हैरत भरी नजरों से देखती है। और रिंकी बिना कुछ कहे सीधे घर में प्रवेश कर जाती है।

स्वीटी - " ये सब क्या उठाकर लायी है?" 

रिंकी - "खाना।"  डिनर तुम्हारे साथ करना है। 

स्वीटी - " बियर के कैन क्यूँ?" 

रिंकी - "तेरे दिमाग में कुछ ज्यादा ही गरमी चढ़ गई है, उसे ठंडा करने के लिए। 

स्वीटी -" क्या? "           

रिंकी -" एक बात और.. तेरी इजाजत के बिना मैंने डॉ. रजनीश और डॉ. मुनीश को भी बुला लिया है। हम सब साथ में डिनर करेंगे। उनके सामने तू कुछ रिएक्ट न करे इसलिए पहले ही बता रहीं हूं वरना सरप्राइज देने वाले थे। "

स्वीटी - "तुम तीनों का तो नाईट शो का प्लान था न? "

           प्लीज, मेरी वज़ह से कौन्सिल मत करो। 

रिंकी -" चल, अब ज्यादा शाणी मत बन, तू अमरावती छोड़ कर जा रही है और मैं एक मूवी नहीं छोड़ सकती! अब ये अंदर ही अंदर क्यूँ मुस्कुरा रही है। चल किचन में खाना  अनपैक करते हैं।"

स्वीटी -" अनपैक नहीं बेटा खाना सर्व किया जाता है, समझी! लेकिन मैंने सारा समान पैक कर दिया है, इसलिए टिफिन में ही रहने दे, मैं प्लेट्स निकालकर लाती हूँ। "

रिंकी बियर की बोतलें, ग्लास लाकर टी टेबल पर रखने लग जाती है। स्वीटी भुनी हुई मूँगफली और सूखे मेवे लाकर रखते हुए रिंकी से भौंहे के इशारे से पूछती है.. आज तेरा इरादा क्या है? वह हंसते हुए स्वीटी को ही प्रश्न कर बैठती है, 

रिंकी -" स्वीटी,अपने फ्यूचर के बारे में कुछ सोचा है या नहीं! 

स्वीटी - " एक दम खुश होकर पूरे आत्मविश्वास के साथ उत्तर देती है रिंकी... नियति मुझे बिना कुछ मांगे ही मुझे इतना कुछ देते जा रही है, फिर मेरे सोचने के लिए कुछ बचा है?


कभी कोई रिश्ता लेन-देन पर नहीं निर्भर होता है

लेनदेन महज़ व्यापार नही,संस्कार शजर होता है।

किसीके कम-बेसी होने की क्यों कर हो पूर्ति...?

रिश्ते विनिमय औ व्यवहार का आईना भर होता है।

रिंकी तू जो करने की कोशिश में है न डियर मैं बहुत अच्छे से वाकिफ हूँ। मत कर, मेरे और डॉ. मुनीश की डगर अलग हो गई है। उल्टे घड़े पर पानी डालने से कुछ हाथ नहीं आता। नाहक तुम्हारी कोशिश नाकाम हो जाएगी और तुम्हें बुरा लगे ये मैं कभी नहीं चाहूँगी। 

स्वीटी मैं यह तो जान गई थी कि तू जान बुझ कर अनजान बन रही है लेकिन जितना तुम दोनों के बारे में सुना था उस पर से यह कयास नहीं लगा पायी कि डॉ. मुनीश के प्रति इतना विराग उत्पन्न हो गया होगा। लेकिन वो तुम्हारी बहुत परवाह करते हैं। स्वीटी के तन बदन मे जैसे शूल चुभ गए हो। उसी दर्द मे कराहते हुए, लगभग हांफते हुए चिल्ला उठती है 

"परवाह करने वाला मिथ्या आरोप से छोड़ कर चल देता है? उन्होंने मेरी ज़बान से सच्चाइ सुनने की तक ज़हमत नहीं उठाई और एक तरफा निर्णय ले लिया। जब कि उनके कैरेक्टर का प्रूफ कितने डॉक्टर - नर्स दे चुके थे। इन्होंने किसी की एक न सुनी। ये अकेले में इतना आकर कह देते की स्वीटी, मुझे तुम पर पूरा भरोसा है लेकिन मैं साथ पिता का दूँगा। मेरा ज़मीर इनकी पूजा करता, लेकिन आज मैं खाली हो गई हूँ। उनके लिए मेरे पास कुछ नहीं है। 

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रिंकी तू ने डिनर प्लान किया है, लेट्स एंजॉय करते हैं। कल यहां से जाने के बाद पता नहीं कब वापस आना होगा! ऐसा नहीं कहते स्वीटी जी, आप नहीं आ पायीं तो हम दिल्ली आ जाएंगे। क्यूँ स्वीट हार्ट? रजनीश की आवाज़ सुनकर रिंकी का चेहरा लाल हो गया।पलकों से हामी भरते हुए एक मुस्कान से दोनों का स्वागत किया। 


मुनीश के चेहरे पर कोई भाव नहीं दिखे। रजनीश जी वेलकम, आप पहली बार मेरे घर आए हो। थैंक्स स्वीटी जी फॉर दिस वार्म वेलकम। अभी भी मुनीश सिर झुकाए बैठे सब की बाते सुन भर रहें हैं। यह देखकर रिंकी से रहा नहीं गया। क्यों डुड आपको किसी ने सजा सुनाई है क्या? अरे.. नहीं.. नहीं मैं तो बस ऐसे ही। स्वीटी ने उठकर म्यूजिक सिस्टम पर हल्का सा म्यूजिक चला दिया। और रिंकी की ओर देखकर कहती हैं आप लोग मेरी कामयाबी का जश्न मनाने आए हों न, तो शांत कोई नहीं बैठेगा। कहते हुए ग्लास में बियर मिक्स करने लगी। ये देख कर मुनीश की नजरें ही स्वीटी से नहीं हट रहीं थीं। इतनी छुई-मुई सी लड़की अचानक कैसे बोल्ड हो गई! 

ग्लास सबके हाथों में थमाकर, स्वीटी ने म्यूजिक सिस्टम पर गाने लगा दिए।  सॉफ्ट म्यूजिक बज रहा है, रजनीश ने लोगों की चुप्पी तोड़ने के लिए स्वीटी से सवाल किया, "कल कितने बजे की फ्लाइट है? "

स्वीटी :जी 11 बजे की ।

रिंकी :ठीक, हम तुम्हें सी ऑफ करने आएँगे। 

        चलेंगे न, रजनीश जी, कल आप दोनों को            

हॉस्पिटल मे नाइट शिफ्ट है। 

रजनीश :बिल्कुल, चलेंगे ।

मुनीश : नहीं, मैं नहीं चल सकता। 

रिंकी : आश्चर्य से… क्यूँ क्यूँ आप क्यूँ नहीं चल सकते! 

मुनीश :मैं इन्हें जाते नहीं देख पाउंगा। 

यह सुनते ही स्वीटी बड़ी अजीब सी मुस्कान के साथ मुनीश को देखती है। उधर रिंकी रजनीश को खींच कर डांस करने लगती है। स्वीटी वहीं खड़े की खड़ी रह जाती है। मुनीश अपने कशमकश मे ग्लास का बीयर खत्म कर, टेबल पर पड़े हुए केन को खोलकर गटगटा 


जाता है फिर उठकर स्वीटी को डांस के लिए ऑफर करता है। स्वीटी जितनी सुन्दर है उतनी ही शालीन भी, पता नहीं कितनी धीरज उसके अंदर भरी हुई है। ये सब खड़े खड़े देख कर भी बिल्कुल विचलित नहीं हुई और मुनीश के साथ डांस के स्टेप्स लेने लगी। मुनीश ने स्वीटी को खुद से सटा लिया और उसके कानों में बुदबुदाते हुए कहते हैं स्वीटू मैंने तुम्हारे साथ बहुत बुरा किया है लेकिन ये भी सच है कि मैं तुम्हारे बिना नहीं रह पाउंगा। स्वीटी झटके के साथ डॉ मुनीश से अलग हो जाती है। और रिंकी की ओर मुड़कर कहती हैं, घड़ी देखो नौ बज गए, खाना स्टार्ट करना चाहिए वरना लेट हो जाएंगे, कल मुझे आठ बजे निकलना भी होगा। कहकर किचन की ओर चली गई। रिंकी भी पीछे हो ली, दोनों ने फटाफट खाना लगा दिया। अब रजनीश की नज़र पूरे घर पर गई,स्वीटी तुम्हारा घर छोटा सा शीश महल नज़र आ रहा है। थैंक्स डॉ रजनीश, मेरे समय के दायरे में एक ये घर और करियर ही तो बचा था, इसलिए दोनों संवर गए। अभी तो वो अपना वाक्य पूरा भी नहीं कर पाई थी कि डॉ. मुनीश बोल पड़ते हैं "डॉ. रजनीश स्वीटी में वो सारे गुण हैं जो एक आइडियल वुमन मे होने चाहिए, इस पर स्वीटी कहती हैं कि नहीं नहीं डॉ मुनीश, गलत संबोधन दे रहे हैं।मैं न सधवा कहला सकती हूं न ही विधवा। मैं तो परित्यक्ता हूं। उसके शब्दों में कटाक्ष था किन्तु वाणी में शालीनता। इसकी बातों से इसकी मानसिकता पढ़ पाना मुमकिन न था। डिनर करते ग्यारह बज गए। उसपर रिंकी कहती हैं, स्वीटी तुम्हें ऐतराज न हो तो हम यहीं सो जाए। अरे, इसमें पूछने की क्या बात है। सो जाओ, सुबह चाबी मेरी मेड़ को दे देना। रिंकी आश्चर्य से उसे देखती है मानो पूछना चाहती है कि चाबी मेड़ को क्यूँ हम तो तुम्हारे साथ एयरपोर्ट चलने वाले हैं, उस पर स्वीटी हाथ से हवा मे क्रॉस बनाती है मतलब तुम लोग एयरपोर्ट नहीं आ रहे हो।मुनीश और रजनीश को पेरेंट्स के बेडरूम मे सोने के लिए भेज देती है और रिंकी को अपने साथ सोने के लिए बुलाकर बेडरूम मे आ जाती है। सुबह मेड के आने पर छः बजे ही आँख खुल जाती है, स्वीटी भी उठकर स्नानादि से निपटकर नाश्ता बनाने मे लग जाती है।और सविता को हिदायत देती है कि ये सब उठेंगे तो इन्हें चाय - नाश्ता करवा देना। इनके जाने के बाद पूरा घर क्लीन करके अच्छे से लोक करके जाना और हाँ मैंन इलेक्ट्रिक स्विच ऑफ कर देना, और फ्रिज में जो भी समान है लेते जाना। सविता आंखों में आंसू और चेहरे पर मुस्कान लिए सिर हिलाए जा रही थी। यह देख स्वीटी आकर उसे गले लगाते हुए कहती हैं मैं आपको फोन करूंगी और केब के आते ही एयरपोर्ट के लिए निकल जाती है। 


दिल्ली की गुलाबी ठंड मे स्वीटी विंडो सील पर बैठ कर कॉफ़ी पी रही है विंडो के बाहर लोन मे एक गिलहरी और गौरैया खेल रही है। पूरे पांच महीने के बाद आज सुकून से बैठी हो स्वीटी तुम! जी, चाचा जी, नया जॉइनिंग था न तो काम को सीखने की जिज्ञासा भी तीव्र रहती है, कन्टिन्यू इंटरनेशनल फ्लाइट्स के कारण फ़ुरसत नहीं मिल पा रही थी। दरअसल अन्य देशों के समय में कुछ अन्तर होते हैं न इसलिए सिंक्रोनाइज करने मे अपने लिए समय ही नहीं बच पाता था। अब आराम से काम होगा, प्रॉमिस चाचा जी, नहीं, बेटा जी, आपके इस डेडीकेसन से मैं बहुत खुश हूं, कर्म भक्ति प्रत्येक व्यक्ति मे होनी चाहिए। गोड ब्लेस यू, माइ चाइल्ड। मैं तुमसे कुछ ओर बात करना चाह रहा था, तुम बहुत समझदार हो इसलिए घुमा फिरा कर बात नहीं करूंगा। अपनी कोठी से चौथी कोठी में मेरे एक मित्र रहते हैं बद्रीनारायण जी बहुत बड़े कारोबारी व्यक्ति हैँ उनके छोटे बेटे जापान मे रह कर वहां का बिजनेस देखते हैं और समाजसेवी के रूप में भी ख्याति प्राप्त है। अच्छी जीवन संगिनी के इंतजार में अभी तक शादी नहीं की। बद्रीनारायण जी की पत्नी का कहना है है कि उसे बचपन से तुम बहुत पसंद थी। उन्होंने शादी का प्रस्ताव रखा है। इतना सुनते ही जैसे स्वीटी शून्य हो गई। शायद मैं इन्हीं सब से भाग रही थी। खैर, पहले भी सब नियति पर छोड़ा था आज भी वही करूंगी। फिर संयत हो कर चाचाजी को कहती हैं, चाचाजी इस पूरे जहां मे आप ही मेरे गार्जियन हैं, आप जैसा उचित समझे। चाचाजी के चेहरे पर मुस्कान फैल जाती है। अच्छा, स्वीटी तुमने सौमित्र को देखा तो है न, स्वीटी चाचाजी के गले लगते हुए, लाड मे चाचाजी अमरावती से छुट्टियां बिताने आती थी तब वही इकलौते तो दोस्त हुआ करते थे। 

       हैलो डॉ. रजनीश, कैसे हैं आप,फाइन.. आप सुनाए डॉ मुनीश, क्या चल रहा है आज कल? क्या चलेगा, ऑल एज पर रूटीन। सेट ड्यूटिज, पेशेन्ट्स और क्या होगा डॉक्टर्स की लाइफ में। रजनीश स्वीटी की कोई खबर? रिंकी के पास कॉल आया था? नहीं यार मुनीश वो भी इस बात से बड़ा परेशान रहती हैं। आल मोस्ट सिक्स मंथ होने आए, वे बिना कहे एयर पोर्ट निकल गई इस वज़ह से रिंकी अभी भी उनसे नाराज है। मुनीश एक काम करते हैं एक दिन उसके घर चलते हैं मेड के समय पर, मेड़ से कोन्टेक्ट मे जरूर होगी, मुझे ऐसा लगता है। ठीक है, वो सुबह आती है कल संडे है, चलते हैं। 

     सविता अभी तो ताला ही खोल रही थी की रिंकी ने पीछे से आवाज दी। मौसी स्वीटी का फोन आया था कैसी है? क्या मेम साब आपसे बात नहीं होती! वो तो जापान में है, उन्होंने शादी भी कर ली। सब के सब बिना कुछ बोले सविता को सुन रहे थे.. 

       रिंकी, सविता पर चिल्ला उठती है, ऐसी भी क्या नाराजगी थी, जब कोई माफी मांग ले तो उसे माफ कर देना चाहिए। स्वीटी में अकड़पन तो कभी नहीं था फिर क्या चल रहा था उसके दिमाग में, मैं कभी समझ ही नहीं पाई। 

मैडम आप बहुत पढे लिखे होंगे लेकिन मैं सिर्फ इतना जानती हूं… 


जिम्मेदारी परवाह को जन्म देता है

जरूरत प्यार और सम्मान को

लेकिन जब आप न ही किसी की

जिम्मेदारी हो ना ही जरूरत

तो उसकी जिन्दगी में आप कोई मायने नहीं रखते



आप लोग दीदी के मित्र लोग हैं, हो सकता है तो अब उनकी नई जिंदगी के लिए दुआ करो वैसे भी दीदी बहुत अच्छी है उनको दुःख देकर तो ईश्वरप्पा भी पछता रहा होगा। अब जिधर भी रहें  ईश्वरप्पा उनको बहुत बहुत खुश रखेगा। 

(अस्तु... कहानी को यहीं विराम दे रही हूँ, नमस्कार) 




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