Navya Agrawal

Drama Romance Inspirational

4  

Navya Agrawal

Drama Romance Inspirational

सीक्रेट एडमायरर

सीक्रेट एडमायरर

14 mins
198


डियर अमृता


 आज तक कभी कहने की हिम्मत नहीं कर पाया..तो सोचा आज इस कागज कलम का सहारा लूँ..! मैं तुमसे बहुत जरूरी बात करना चाहता हूं..! प्लीज़ लेटर को पूरा पढ़ना.. और उसके बाद ही रिएक्ट करना..! 


जब से मैंने तुम्हें देखा है, तुम्हारी आंखों में ही खो सा गया हूं..! तुम जानती हो तुम्हारी आंखें कितनी बातें बयां करती है..! जितने तुम्हारे लब खामोश है, उतनी ही तुम्हारी आंखें चंचल है..! एक ठहराव सा है तुम्हारी आंखों में.. जो हर किसी में अपनापन तलाशती सी रहती है..! तुम्हारी आंखों में एक खालीपन सा देखा है मैंने..! मैं उस खालीपन को भरना चाहता हूं..! 


जानता हूं तुम्हें अपने इस दबे हुए रंग की वजह से बहुत अपमान सहना पड़ा है..! मगर सच कहूं तुम्हारा ये सांवला रंग उसपे तुम्हारी मासूम सी मुस्कुराहट तुम्हें सुंदर ना होते हुए भी बेहद खूबसूरत बनाती है..! खुद को दूसरों के नजरिए से देखने के बजाय मेरी रिक्वेस्ट है ये लेटर पढ़ने के बाद एक बार मेरी नजर से खुद को आईने में जरूर देखना..! मुझे यकीन है तुम्हें तुमसे ज्यादा खूबसूरत कोई और नजर नहीं आएगी..!


तुम्हारा

Secret Admirer


अमृता ने खत पढ़ा और अपने आंसू पोंछकर उठकर शीशे के सामने जाकर खड़ी हो गई..। खत में लिखी बातें उसके दिल दिमाग पर हावी होने लगी और वो खुद को आईने में निहारते हुए शर्माने लगी..। अपनी ही मुस्कान पर उसका दिल आ गया.. और अपनी ही चंचल आंखों में खुद से बातें करने लगी..। खुद के लिए उसके मन में थोड़ा प्यार जागने लगा.. और खुशी से उसकी आंखें चमकने लगी..।


तभी अमृता की रूममेट उसे आवाज देते हुए आई - अम्मू.. अम्मू कहां है तू..? अमृता ने फटाफट वो लेटर अपने एक सीक्रेट बॉक्स में छिपाया, जिसमें और भी बहुत सारे खत रखे थे.. और उसे अपने कपड़ों के बीच छुपा दिया..। जिससे किसी की भी नजर उस बॉक्स पर ना पड़े..। 


अमृता एक 19 साल की सांवली सी लड़की थी, जो दिखने में बिल्कुल आकर्षित नहीं थी..। यही कारण था कि कोई भी उसका दोस्त नहीं बनता.. और सब उसे काली काली कहकर चिड़ाते थे..। अमृता के घर में भी उसकी मां, दादी और बड़ी बहन भी उसे काली कहकर ही बुलाते थे..। अमृता के प्रति किसी का भी व्यवहार अच्छा नहीं था..। सबकी बातें और ताने उसके दिल में चुभते थे..। लेकिन वह किसी से कुछ नहीं कहती थी.. और हमेशा अपने चेहरे पर एक मुस्कान रखा करती..।


अमृता BBA सेकेंड ईयर में पढ़ती है.. और उसकी बस एक ही दोस्त है - रूबी.. जो उसकी रूममेट भी है..। दोनो बचपन से साथ पढ़े है.. और एक रूबी ही है जो अमृता के दिल के सबसे करीब है..। अमृता और रूबी कॉलेज की ही हॉस्टल रूम में साथ रहती है..।


अमृता अपने बालों को बांधते हुए रूम के गेट पर आईं कि तभी रूबी भी गेट तक पहुंची..। रूबी मुंह बनाते हुए बोली - "क्या यार कबसे तुझे आवाज दे रही हूं.. पता नहीं कौन सी हो दुनिया में बैठी है..? जवाब नहीं दे सकती क्या तू..?" अमृता उसका हाथ पकड़कर अंदर रूम में लेकर गई.. और बेड पर बिठाया..। 


अमृता खुद शीशे के सामने खड़ी होकर अपने बालों को स्टाइल में बांधते हुए पूछने लगी - "अब बता क्या बात है..? क्यों चिल्ला रही थी..?" रूबी उसे इस तरह तैयार होते देख मजे लेते हुए बोली - "ओय होय मेरी जान.. क्या बात है आज तेरे रंग बड़े बदले बदले लग रहे है..! कोई बॉयफ्रेंड का चक्कर तो नहीं हान..?"


अमृता हल्के से मुस्कुराते, शर्माते, नजरे चुराते हुए बोली कुछ भी बोलती है तू..! मेरी जैसी लड़की को कौन पसंद करेगा पागल..! लड़कों को तो सुंदर और आकर्षित लड़कियां पसंद आती है..! मेरे जैसी काली को कौन पसंद करेगा..! रूबी उसे पीछे से पकड़ते हुए उसके कंधे पर अपना चेहरा रख शीशे की तरफ देखते हुए बोली - "जो इस सांवले रंग में छुपी खूबसूरती को देख पाएगा.. वो लड़का तुझे बहुत प्यार देगा..! याद रखना मेरी बात..!"


और ऐसा कभी नहीं होगा..! ख़ैर ये सब छोड़ और ये बता क्यों बुला रही थी तू मुझे.. अमृता रूबी से पूछने लगी..! रूबी अपने सिर पर हाथ रखते हुए बोली - "अरे बाप रे मै तो भूल ही गई की मै यहां कुछ काम से आई थी..!" अमृता ने उससे पूछा क्या काम है..? तो रूबी शरारती मुस्कान के साथ बोली - "मुझे तेरी कोई ड्रेस चाहिए..! आज मै अपने बॉयफ्रेंड के साथ डेट पर जा रही हूं..!"


अमृता कमर पर हाथ रखकर बोली - "इतने तो कपड़े है तेरे पास और फिर भी तुझे मेरे चाहिए..! अपने ही पहन जा.. मै नहीं देने वाली..!" रूबी उसे मनाते हुए कहने लगी - "यार तू समझ ना मैंने वो सब कपड़े बहुत बार पहन लिए.. अब कुछ नया चाहिए..! प्लीज़ यार.. मान जा ना..!" अमृता ने बेमन से अपनी एक ड्रेस उसे पहनने के लिए दे दी और साथ में चेतावनी भी दी कि वह दोबारा कभी अपने कपड़े नहीं देगी..। 


शाम के समय रूबी अपने बॉयफ्रेंड के साथ चली गई.. और अमृता एक हाथ में किताब और दूसरे मे कॉफी मग लिए बालकनी में आकर बैठ गई.. और पढ़ाई करने लगी..। सूरज ढलने को हुआ तो वह ढलते सूरज को निहारने लगी..। रात को हॉस्टल की वार्डन ने अमृता को बुलाया और उसके हाथ में एक लेटर थमाते हुए कहने लगी - "ये लेटर किसी ने गेट पर रखा हुआ था अमृता..! इसपर तुम्हारा नाम था तो सोचा तुम्हें दे दूँ..!" अमृता लेटर ले थैंक यू बोलकर खुशी से उछलते हुए अपने रूम मे आ गई..। उसने जल्दी से एनवेलप में से लेटर निकाला.. और उसे देखकर एक गहरी सांस ली..। उसने लेटर पढ़ना शुरू किया : :


डियर अमृता


         आज ढलते सूरज के सामने तुम्हें बैठे देखा.. तो समझ नहीं आया शाम का नजारा खूबसूरत है या तुम्हारे होने से मुझे हर चीज खूबसूरत लगती है..! तुम्हारे चेहरे पर आज कोई हिचक नहीं बल्कि एक सुकून सा दिखा..! लगता है सुबह वाले लेटर का असर रहा होगा..!


तुम जानती हो तुम इस दुनिया की सबसे प्यारी लड़की हो..! ना जाने तुम में ऐसा क्या है कि जब भी तुम्हें देखता हूं, खुद को रोक ही नहीं पाता.. और बस देखता ही रह जाता हूं..! मैं नहीं जानता कि जो मै तुम्हारे लिए महसूस करता हूं, वही तुम मेरे लिए करती हो या नहीं..? लेकिन इस बात से कोई फर्क भी नहीं पड़ता..! मैं फिर भी तुम्हें पसंद करता हूं..!


आई नॉ तुम मेरे बारे में जानना चाहती हो कि मैं कौन हूं जो तुम्हें यूँ छुप छुप कर खत भेजता है..! लेकिन मैं अभी तुम्हें सच नहीं बता सकता..! क्योंकि अगर मैंने सच बताया तो तुम्हारा ध्यान पढ़ाई से डिस्ट्रैक्ट हो जाएगा और मै ऐसा बिल्कुल नहीं चाहता..!


जब तक तुम कामयाबी की सीढ़ी नहीं चढ़ जाती.. मैं यूं ही तुम्हें छिपकर खत लिखता रहूंगा..! मैं तुम्हारी वो परछाई बनकर चलूंगा जिसे तुम कभी देख नहीं पाओगी.. लेकिन जिसके होने का एहसास तुम्हें हमेशा रहेगा..! मैं हमेशा एक साए की तरह तुम्हारे पीछे चलूंगा..! 


जब भी तुम अपने इस रंग रूप की वजह से दुनिया के ताने सुनकर हारने लगोगी.. मैं तुम्हारा हाथ पकड़कर तुम्हें सफतला की ओर खींचने आऊंगा..! जब भी तुम्हें अकेलापन सताएगा.. तुम हमेशा साथ मुझे पाओगी..! जब भी तुम्हारी आंखों में आंसू होंगे.. मेरा एक खत तुम्हारे चेहरे पर मुस्कुराहट लाएगा..!


मैं तुम्हारे अंदर इतना आत्मविश्वास भरना चाहता हूं कि तुम खुद अपने आप से, अपने रंग से, अपने रूप से प्यार करने लगो..! ताकि जब कोई दूसरा तुम पर तंज कसे तो तुम्हें तनिक भी बुरा ना लगे..! जब तक तुम खुद स्वयं से प्यार नहीं करोगी, किसी और से कैसे उम्मीद कर सकती हो..! 


मैं तुम्हें खुलकर जीते हुए देखना चाहता हूं..! पूर्णिमा के चांद की तरह शांत और ठहरा हुआ.. जिसके मन में किसी भी प्रकार की कोई उथल पुथल ना हो..!


मुझे बेसब्री से उस दिन का इंतजार रहेगा.. जब तुम कामयाब बन जाओगी और मै तुम्हारे सामने खड़ा होऊंगा..! हमेशा मुस्कुराती रहना..!


तुम्हारा

Secret Admirer



अमृता ने लेटर पढ़ा.. और उसे लेकर अपने सीने से लगाकर आंखें बंद करके लेट गई..। वह मन ही मन सोचने लगी कि कौन है ये शख्स जो मुझे इतना चाहता है..? क्या मैंने कभी देखा है उसे..? मुझे तो आज तक जितने भी लड़के मिले सबने मेरी शक्ल का मजाक उड़ाया है बस..! तो मैं कैसे मिली हो सकती हूं इससे..? कोई तो जादू है इसमें.. जो इसके लेटर्स पढ़कर मुझे इतना सुकून मिलता है..! आखिर कौन है ये लड़का.. कैसे पता करूँ..? इसने तो लिखा है ये खुद सामने आएगा.. तब तक इंतजार करना चाहिए क्या इसका..? कहीं कोई मुझे ट्रैप करने की कोशिश तो नहीं कर रहा..? 


खुद से ही बड़बड़ाते हुए उठी - नहीं, नहीं ऐसा नहीं हो सकता..! इसकी बातो से तो मन का सच्चा और अच्छा लड़का लगता है ये.. कोई फ्रॉड नहीं हो सकता..! मैं भी ना कुछ भी सोचती रहती हूं..! अमृता इसी उधेड़बुन में थी कि तभी किसी ने उसका रूम खटखटाया..। उसने दरवाजा खोला तो सामने रूबी खड़ी थी..। 


अमृता घड़ी की ओर इशारा करते हुए बोली ये कोई टाइम है तेरा वापस आने का..? रूबी डरते हुए कहने लगी - "सॉरी यार देरी हो गई..! आगे से मैं ध्यान रखूंगी पक्का..!" वह अमृता के कंधे पर हाथ रखकर कहने लगी चल आज क्या क्या हुआ वो सब बताती हूँ मैं तुझे..! अमृता ने उसका हाथ झटकते हुए कहा - "तू जानती है ना मुझे तेरी इन फिजूल की बातों को सुनने में कोई इंटरेस्ट नहीं है..! इसलिए मेहरबानी करके सो जा और मुझे भी सोने दे..!"


अमृता बेड पर लेट गई और रूबी भी चेंज करके उसके बराबर में आकर लेट गई..। अमृता के मना करने पर भी रूबी अमृता से चिपककर लेट गई और उसे सारी बाते बताने लगी..! उसने बोलते बोलते ध्यान दिया अमृता तो गहरी नींद में सो गई..। वह भी उस कुंभकर्ण बोलकर उससे लिपटकर सो गई..।


अगले दिन रूबी जब अमृता की ड्रेस वापस उसके कबर्ट में रखने लगी.. तो अमृता उसके हाथ लेटर्स लगने के डर से उस पर भड़कते हुए बोली - "तुझे मैंने कितनी बार मना किया है कि मेरे कबर्ट को हाथ मत लगाया कर..! तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी अलमारी खोलने की..?"


मैं तो ये ड्रेस रख रही थी बस.. पर तू इतना गुस्सा क्यों कर रही है - रूबी का मुंह उतर गया..।


अमृता उसका चेहरा हाथों में लेकर बोली सॉरी रू प्लीज माफ कर दे..! मैंने बेवजह तुझ पे गुस्सा किया.. आईं एम् सॉरी रू..!


रूबी फिर से मुंह बनाते हुए कहने लगी माफ तो मै कर दूंगी लेकिन मुझे जानना है कि तेरी अलमारी में ऐसा क्या है जो तू मुझे भी हाथ नहीं लगाने देती..? अगर मुझे दिखाए तो मैं माफ करूँ नहीं तो कोई माफी नहीं मिलेगी..!


अमृता थोड़ी देर चुप रही और फिर उसने खुद कबर्ट खोल दिया और रूबी से देखने को कहा..। रूबी की आंखों में आंसू आ गए..। उसने कबार्ट बन्द किया और अमृता के गले जा लगी..। वह कहने लगी - "मुझे कुछ नहीं देखना अम्मू.. जिस दिन तू खुद मुझे दिखाएगी मैं तभी देखूंगी ऐसा क्या राज छिपा है इसमें..! उससे पहले मै कभी तुझसे जिद्द नहीं करूंगी..!"


अम्मू हंसते हुए बोली चल मैं खुद दिखाती हूं तुझे इसमें ऐसा क्या है जो मैं सबसे छुपाती हूं..! रूबी की आंखें चमक उठी और वह अमृता से अलग होते हुए बोली - तू सच कह रही है अम्मू..? अमृता ने हां में सिर हिलाया और अलमारी खोलकर उसमें से एक मीडियम साइज का लकड़ी का बॉक्स निकाल कर लाई..। अमृता ने उस बॉक्स को बेड पर रखा और रूबी उसके सामने बैठ गई..। वह अपलक दृष्टि से उस बॉक्स को निहारने लगी..। लड़की का बॉक्स जिसपर स्टोन का काम किया हुआ था.. और दिखने में बहुत प्यारा लग रहा था..।


रूबी उसपर हाथ फेरते हुए बोली वाउ अम्मू ये तो बहुत सुंदर बॉक्स है..! तू इसे सबसे छुपा रही थी..? 


अमृता ने ना में सिर हिलाया तो रूबी की जिज्ञासा और भी बढ़ गई..। अमृता ने वो बॉक्स खोला.. तो रूबी ने उसमें बहुत सारे सफेद एनवेलप रखे देखे..। वह अमृता की ओर देखते हुए बोली - ये क्या है अम्मू..? क्या है इन एनवेलप में..? और किसके है ये सब..?


अमृता ने उसे एक लेटर दिया और पढ़ने को कहा..। रूबी लेटर खोलकर पढ़ने लगी.. और देखते ही देखते एक के बाद एक उसने सारे लेटर्स पढ़ डाले..। रूबी की आंखें कभी नम होती तो कभी होंठों पर मुस्कान..। अमृता उसके चेहरे के बनते बिगड़ते भावों को देख रही थी..। सारे खत पढ़ने के बाद वह उठी और अमृता को कस के गले लगा लिया..।


रूबी सिसकते हुए कहने लगी - "मैं बहुत खुश हूं अम्मू..! आज तक सिर्फ तेरे फीचर्स से जज किया गया.. लेकिन मैं बहुत खुश हूं कि कोई तो है जो तेरे मन को पढ़ने वाला है..! इसके प्यार की गहराई इसकी बातों में साफ झलक रही है..!"


अमृता उसके आंसू पोंछते हुए बोली मै भी नहीं जानती कौन है.. और ये सब सच है या सपना.. कुछ समझ नहीं आता मुझे..! रूबी उससे पूछने लगी तू जानती नहीं है इसे तो कौन है ये.. जो चोरी छुपे तुझे खत भेजता है.. तेरी परवाह करता है..!


अमृता - पता नहीं यार.. कौन है..? कहीं कोई फ्रॉड हुआ तो..?


रूबी - नहीं नहीं.. इसकी बातो से तो कोई सच्चा आशिक ही लग रहा है ये कोई..! फ्रॉड तो नहीं हो सकता.. तुझे दिल से चाहता है..!


अमृता - तो अब क्या करें..?


रूबी - पता लगता है आखिर ये आपका सीक्रेट admirer है कौन..?


वह मस्ती के अंदाज में बोली.. तो अमृता खीझते हुए कहने लगी कि तू चुप कर..! हम कुछ पता नहीं लगाने वाले.. जिसको जब सामने आना होगा तब आजाएगा..! मैं क्यों मेहनत करूँ इसे ढूंढने की.. और इसने आखिरी खत में लिखा भी है कि वो खुद एक दिन सामने आ जाएगा..!


रूबी बेड पर लेटते हुए बोली - उफ्फ ये मोहब्बत..!! कैसे इंतजार करेगी तू इसका और कब तक..? तेरी जगह मैं होती तो अब तक पता भी लगा लिया होता कि कौन बंदा है ये.. और एक तू है..! उसके लेटर्स इकट्ठा करने में लगी है..!


अमृता मुंह बनाते हुए कहने लगी मुझे इन फालतू कामों का शौक नहीं है..!


अच्छा बेटा सच में नहीं है..? अगर नहीं है तो ये लेटर्स क्यों संभालकर रखे है..? फेंक क्यों नहीं देती इन्हें..? रूबी ने उसे छेड़ते हुए कहा कहीं ऐसा तो नहीं जो आग वहा लगी वो यहां भी लगी है..? उसने अम्मू के दिल की तरफ इशारा करते हुए कहा..।


अमृता अपनी जगह से उठी और उसे मारने के लिए दौड़ते हुए बोली तुझे तो मैं बताती हूँ कहा आग लगी है कहा नहीं रुक तू..! दोनों कमरे में इधर से उधर भागने लगी..। थक हारकर दोनों बेड पर लेट गई.. और अमृता कहने लगी - मै इंतजार करूंगी..! अमृता के मुंह से ये सुनकर रूबी खुशी से उसे देखने लगी.. और उसका माथा चूमते हुए बोली - देखना अब सब कुछ अच्छा होगा..! तुझे इतना प्यार मिलेगा कि पुराने सारे दर्द मिट जाएंगे..! आई एम सो हैप्पी फॉर यू अम्मू..!


इसी तरह खत भेजने का सिलसिला चलता रहा..। जैसे जैसे दिन बीत रहे थे.. अमृता के दिल में उस शख्स के बारे में जानने की बेचैनी बढ़ती जा रही थी..। अमृता को हर उस पल एक खत मिलता जब वो जरा भी उदास होती या खुश होती..! उस अनजान चेहरे ने अमृता के दिल में अपनी जगह बना ली.. और अब जब भी कभी उसे अकेलापन सताता तो उसका दिल बस एक खत के इंतजार में रहता..। खत मिलते ही अमृता का वो हाल होता जैसे डूबते को तिनके का सहारा मिल गया हो..।


अमृता ने पूरी जी जान लगा दी अपनी पढ़ाई और कैरियर बनाने में..। उसके घरवालों से कभी उसे प्यार के दो बोल सुनने को नहीं मिलते थे..। इसलिए उसने फैसला कर लिया था कि वह अपने हुनर से अपने मम्मी पापा को खुद पर गर्व महसूस कराएगी..। अमृता अपनी किताबों की दुनिया में डूबी रहने लगी..।



तीन साल बाद


अमृता ने MBA करके एक मल्टीनेशनल कंपनी में सीनियर मार्केटिंग मैनेजर की जॉब हासिल की..। अमृता का सपना था मल्टीनेशनल कम्पनी में काम करने का.. को आखिरकार पूरा हो गया..। बहुत मुश्किल और बहुत अपमान सहने के बाद उसने वो पा ही लिया जिसकी वह हकदार है..। अमृता अपने पैरो पर खड़ी थी.. और आज उसके मम्मी पापा को भी उस पर बहुत गर्व था..।


एक दिन अमृता अपने घर में बैठी काम में व्यस्त थी..। तभी उसके मेड ने उसे एक लेटर लाकर दिया..। लेटर देखते उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान तैर गई..। उसे लगा आज शायद उसका इंतजार खत्म हो जाएगा..। अमृता ने लेटर पढ़ा.. और उस पर लिखा था -


डियर अमृता


फाइनली हमारे मिलने के और तुम्हारे सच जानने का समय आ गया है..! सूरज को ढलता देख आज भी समझ नहीं पाता हूं कि शाम का नजर खूबसूरत है या तुम्हारे होने से सब खूबसूरत लगता है..! 


तुम्हारा 

Secret Admirer


अमृता ने खत को पलटकर देखा तो उसमें कुछ और नहीं मिला..। कुछ देर सोचने के बाद उसे कुछ याद आया और वह भागकर बालकनी में गई..। बालकनी में बहुत सारे गुब्बारे लगे हुए थे और साथ में एक गिफ्ट भी था..। उसने वो गिफ्ट खोला तो एक लाल रंग की साड़ी और एक चिट रखी थी..। जिसमें लिखा था कि इसे पहनकर जल्दी से गार्डन में आओ..।


अमृता ने फटाफट कपड़े बदले.. और साड़ी पहनकर गार्डन में पहुंची..। उसने चारों तरफ नजर दौड़ाई पर उसे कोई नहीं दिखा..। तभी उसे गाने की आवाज आई -


तेरी मुस्कुराहटें है ताकत मेरी

मुझको इन्हीं से उम्मीद मिली

चाहे करें कोई सितम ये जहां

इनमें ही है सदा हिफाजत मेरी

लौटूंगा सदा तेरे पास मैं हां

वादा है मेरा मर भी जाऊं कहीं.......


अमृता आवाज का पूछा करते हुए पहुंची.. और देखा एक लड़का हाथ में गिटार लिए गुनगुना रहा है..। अमृता ने जिसे ही उसके करीब जाकर कहा - एक्सक्यूज मी..। वह शख्स पलटा.. और उसे देखते ही अमृता की आंखें भर आई.. और वह भागकर उसके गले जा लगी..।


अमृता ने उससे अलग होते हुए कहा - "रवि तुम हो वो इंसान जो मुझे खत भेजा करता था..?"


रवि अमृता के साथ स्कूल में पढ़ा.. बहुत स्मार्ट और हैंडसम लड़का था..। स्कूल की सारी लड़कियां उसकी दीवानी थी..। अमृता उसे स्कूल टाइम में पसंद करती थी लेकिन कभी अपने प्यार का इजहार नहीं कर पाई..। स्कूल का प्यार स्कूल में छोड़ वह आगे बढ़ गई..। लेकिन किस्मत का खेल कहे या मोहब्बत की ताकत.. आज वही लड़का अमृता के प्यार में डूबा है..। 


जिस चांद को पाने की अमृता ने चाहत की.. वो चांद खुद उसके दामन में खुशियां बिखेरने को बेताब था..। अमृता की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था..। दोनों काफी देर यूँ ही गले लगे रहे.. और शाम के समय अमृता रवि के कंधे पर सिर टिकाए बैठी ढलते सूरज को देखने लगी..। अमृता की मोहब्बत मुकम्मल हुई.. और रवि ने उसे सिर आंखों पर बिठा कर रखा..।


बहुत सारी बाते थी जो बतानी बाकी थी..

कुछ सवाल जिनके जवाब मिलना अभी बाकी था..

सालो बाद मोहब्बत से रूबरू हुए दो दिल..

कुछ गिला शिकवा होना तो लाजमी था..!!!


समाप्त





Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama