Priyanka Saxena

Inspirational Children

4.5  

Priyanka Saxena

Inspirational Children

सीख

सीख

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"मम्मी, तीन दिन बाद पेरेंट्स टीचर्स मीटिंग है। " नव्या ने स्कूल से आकर स्कूल बैग रखते हुए कहा

"अच्छा बेटा। " निर्मला कपडे तह करते हुए बोली

"अब जल्दी से हाथ मुँह धो लो। मैंने आज तुम्हारी पसंद के पनीर के कोफ्ते बनाये हैं।"

"आती हूँ, मम्मी। "

पांच-सात मिनट में माँ - बेटी डाइनिंग टेबल पर खाना खा रहे थे।

"मम्मी, इस बार आप ब्यूटी पार्लर जरूर जाना और अपना फेशियल और हेयर कट करवा कर ही पीटीएम में आना।" नव्या ने खाना खाने के बाद निर्मला के गले में बाँहों का घेरा डालते हुए कहा

"नव्या, ब्यूटी पार्लर वगैरह मेरे बस का नहीं है। क्या बात है किसी ने कुछ कहा तुमसे?" टीनएज नव्या के दिल की बात समझने के इरादे से माँ ने पूछा

"मम्मी ,आप हमेशा गुंधी चोटी,सलवार-सूट/साड़ी पहनकर पीटीएम अटेंड करने आ जाती हो? सभी बच्चों की मम्मियां मीटिंग में मार्डन ड्रेस पहनकर आती हैं। फर्राटेदार इंग्लिश में बात करती हैं। मेरी फ्रेंड्स बताती हैं कि उनकी मम्मी लोग पीटीएम से पहले ब्यूटी पार्लर जाकर आती हैं ताकि टिपटॉप लगे। सभी बच्चों की मम्मी लोगों के बीच आप बड़ी आउटडेटेड लगती हो। मैं चाहती हूँ आप भी वैसी बन जाओ। "


"अरे बाबा! अगली बार सोचेंगे। " कहकर बेटी को इस बार टाल दिया निर्मला ने


टीनएजर नव्या को औरों की मम्मियां आकर्षित करती हैं। निर्मला ऐसी ही है ,फैशनेबल तो बिल्कुल नहीं है एवं कपड़े वह अपनी सुविधानुसार सुरुचिपूर्ण पहनती हैं।


निर्मला को बचपन से ही अपनी मातृभाषा हिंदी में कवितायें , लेख एवं कहानियां लिखने का शौक था। नव्या के थोड़े बड़े होने पर समय निकलकर उसने अपनी अभिरुचि को निखारा, लेखन कार्य को वक्त देना आरंभ कर‌ दिया। उसकी लेखनी तेजी से सोशल मीडिया, समाचार पत्रों, पत्रिकाओं में छा गई।


तीन दिन बाद अपनी चिरपरिचित सौम्य मुस्कान के साथ निर्मला पीटीएम अटेंड करने पहुंची। इस बार की पीटीएम में कक्षा-अध्यापिका ने आगे बढ़कर निर्मला को एक लेखिका के रूप में प्रधानाध्यापिका महोदया , शिक्षकों एवं विद्यार्थियों सभी से मिलवाया। साथ ही कल्चरल कोऑर्डिनेटर मैडम ने निर्मला को ' हिंदी दिवस' में सादर मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया।

अब तो पूरी क्लास नव्या से उसकी मम्मी की प्रशंसा करते नहीं थक रही थी। अन्य बच्चों की मम्मियाँ भी निर्मला को देखकर उससे बातें करने के लिए पहल करने लगी।


नव्या की आँखों में अपनी मम्मी के लिए ढेर सारा आदर देख कर निर्मला ने बरसों बाद अपने-आप से फिर मुलाकात की।


घर आकर नव्या ने माँ से अपनी गलत सोच के लिए माफ़ी मांगी, आज वह भलीभाँति समझ गयी थी कि हिंदी बोलने वाली उसकी मम्मी किसी से कम नहीं है। नव्या को सीख मिल चुकी है कि आउटडेटेड नहीं हैं उसकी माॅ॑!


दोस्तों, हिंदी हर दिल अजीज़ भाषा है। निज भाषा हिंदी को तुच्छ समझने की भूल न करें। हिंदी एक अति समृद्ध भाषा है, इसका सम्मान करें। आशा है, मेरी यह कहानी अपना संदेश पहुॅ॑चाने में सफल होगी। यदि कहानी में निहित संदेश आपके हृदय को झंकृत कर गया है तो आप कहानी को शेयर व लाइक करें, आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी। 



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