Ashish Anand Arya

Drama Romance Classics

2.6  

Ashish Anand Arya

Drama Romance Classics

शर्मीला इश्क़

शर्मीला इश्क़

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"ये सब की सब, पूरी क्लास की लड़कियाँ भी न! जाने कैसे दिन भर स्कूल में मगज़ मारकर, फ़िर यहाँ से घर जाने के बाद जाने कैसे किचन में खुशी-खुशी न जाने क्या-क्या बनाती रहती हैं ? मुझसे तो न... घर के दो काम भी सही से पूरे नहीं हो पाते। माँ, हर काम बोलने के बाद ताने मारती रहती है कि पता नहीं कब उसे घर में इस बेटी के होने का कोई सुख देखने को मिलेगा।" बोलते-बोलते मनप्रीत ने अपना बैग खोला और एक डब्बा निकालकर सामने करण की ओर बढ़ाते हुए बोली-

"खैर, माँ की तो आदत ही है बड़बड़ करते रहना। आज जाने कैसे मन हुआ, मैं भी सुबह जल्दी जाग गयी थी। फिर, किचन में गई थी। ये परांठे बनाए हैं। लाई हूं तुम्हारे लिए, खाकर देखना।"

करण ने जैसे ही डब्बा अपने हाथ में थामा, मनप्रीत एक पल को मुस्काने को हुई, पर फिर तुरन्त ही मुँह बिचकाकर, पलटकर चल पड़ी... ... न जाने किधर... न जाने किससे कुछ कहने से बचने के लिए... ...


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