Madhu Andhiwal

Tragedy

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Madhu Andhiwal

Tragedy

शोषण

शोषण

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डा.मंजरी ने सोच लिया था कि वह अपनी प्रेक्टिस शहर में नहीं करेगी। वह गांव में रह कर समाज सेवा करेगी। डा.अशोक शहर के जाने माने सर्जन। वह नहीं चाहते थे कि उनकी स्त्री रोग विशेषज्ञ बेटी अपना हास्पिटल छोड़ कर गांव में रहे।

 मंजरी ने गांव में अपना क्लीनिक खोल लिया। धन का कोइउ अभाव नहीं था। मंजरी गांव में आकर बहुत खुश थी। खुली हवा चारों ओर हरियाली सबसे अधिक उसे मोह लिया गांव की नयी नवेली बहुओं ने। सब बहुत खुश थी कि अब उनकी समस्याओं को सुनने के लिये नयी डा. साहब आगयी। एक दिन वह महिला मरीजों को देख रही थी। उसी समय दरवाजे से दो नवयौवना घूंघट लगाये अन्दर आयी। जब कुछ मरीज कम हुये तब उसने उन दोनों को अन्दर बुलाया। उन्होंने घूंघट हटाया मंजरी ने देखा दोनों ही छोटी उम्र की थी।

एक का नाम कमली और दूसरी का नाम लाली था। लाली शायद विधवा थी। उसको देखकर मंजरी दुखी हो गयी उसने पूछा कि किसे दिखाना है कमली ने लाली की ओर इशारा करके कहा ये हमारी देवरानी है देवर एक साल पहले खत्म हो गये। मंजरी ने सोचा कुछ महिला समस्या होगी उसने चेक अप के लिये लिटाया तो वह अचम्भित हो गयी वह गर्भवती थी। उसने कहा कि तुम्हारा पति एक साल पहले खत्म होगया तो फिर ये कैसे लाली रोने लगी कहने लगी किसी को पता ना चले मेरे घर में ही मेरा शोषण हो रहा है मेरे जेठ और देवर दोनों ने मुझे नारकीय जीवन जीने को मजबूर कर दिया है ये जमींदार लोग हैं मै एक अनाथ हूँ बस सुन्दरता के कारण पति की जिद से मेरी शादी हुई। अब आप इस अनचाहे बच्चे को गिरा दें। मंजरी ने कमली से पूछा तब वह आंखो में आंसू भर कर बोली डा. साहिबा जिन्दा रहना है तो हमें सहना होगा। हम दोनों घर छोड़ कर नहीं जा सकते।

मंजरी सोच रही थी जिस गांव में आकर उसे सुकून मिला आज इन महिलाओं की व्यथा ने उसे व्यथित कर दिया। गांव की महिलाओं को देखकर वह बहुत खुश थी कि शहर जैसी बनावट दिखावा गांव में नहीं है पर यहाँ तो और अधिक शोषण है। ये अशिक्षित महिला तो आवाज भी नहीं उठा सकती। मंजरी सोच रही थी शहर हो या गांव बस हर चीज के रूप बदल जाते हैं नहीं बदलती इन्सानों की सोच। नहीं बदलता "शोषण" का स्वरुप।


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