शिव का जलाभिषेक

शिव का जलाभिषेक

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"बच्चों, आज हमारी चर्चा का विषय है झरने के नीचे विराजमान शिव, जहां प्राकृतिक रूप से शिव का जलाभिषेक होता है।"

"इसके पीछे का क्या इतिहास है, कृपया बताएं।" पारुल ने निवेदन किया।

"मान्यता है कि यहां अज्ञातवास के दौरान बाहुबली भीम ने ऊँचे झरने के नीचे विशाल शिवलिंग स्थापित किया था। तब से सूखा पड़ा हो या अकाल शिवलिंग पर जल धारा का गिरना कभी नहीं थमा। प्रकृति के द्वारा शिव के जलाभिषेक कार्यक्रम निरंतर बना हुआ है।"

"चाचाजी, यह कहां स्थित है?" चारुदत्त ने पूछा।

" यह मध्यप्रदेश के नीमच में घने पहाड़ी जंगलों के बीच मौजूद हैं। इस प्राचीन केदारेश्वर महादेव मंदिर का अद्भुत दृश्य देखने वालों का मन मोह लेता है।यह दृश्य और इसके पीछे का इतिहास सुनकर फिल्म बाहुबली का वह दृश्य ताजा हो जाता है, जिसमें बाहुबली को झरने के नीचे शिवलिंग स्थापित करते हुए दिखाया गया। हालांकि वह कृत्रिम झरना था लेकिन यहां तो सब कुछ असली है।"

"मैं भी यही कुछ सोच रहा था!" मुस्कुराते हुए प्रकाश ने कहा।

"केदारेश्वर में पांडवों ने अज्ञातवास का समय बिताया था। अज्ञातवास के दौरान इस स्थान पर महाबली भीम ने शिवलिंग स्थापित किया। इसी स्थान पर द्रोपदी ने नाग चंपा के 11 पौधे लगाए थे। 2011 में पहाड़ का हिस्सा गिरने से नाग चंपा के पौधे नष्ट हो गये।"

"आपने बताया कि यह घने पहाड़ी जंगलों के बीच मौजूद है, फिर यहां लोग कैसे पहुंचते हैं?" महेंद्र ने जानना चाहा।

"वीरान और जंगली क्षेत्र होने से यहां आवाजाही कम होती है मगर आसपास के लोग दर्शन पूजन के लिए यहां आते हैं। जिला मुख्यालय से करीब 75 किलोमीटर दूर रामपुरा और गांधी सागर के बीच केदारेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर तहसील रामपुरा से करीब 12 किलोमीटर और ग्राम पंचायत सागर माला से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां अब मंदिर बन चुका है।"

"बनना चाहिए था, अब तो जंगल में मंगल होता होगा।" बंटी ने समझदारी दिखाते हुए कहा।

"वाह क्या खूब मुहावरा कहा! चलो, आज के लिए इतना ही ।धन्यवाद।"

"धन्यवाद ,चाचाजी।"



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