KP Singh

Drama Tragedy Inspirational

3.7  

KP Singh

Drama Tragedy Inspirational

शिक्षक ?

शिक्षक ?

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अब थोड़ा बड़ा हो गया हूँ, 10वी कक्षा जो पास कर ली। दसवीं का परिणाम आते ही घरवालों के कुछ सपने टूटे तो कुछ उम्मीदें अभी भी बंधी हैं। मेरे कम नम्बरों ने सपने तोड़े तो मुझे 11वी में विज्ञान विषय दिला मुझ में डाक्टरी की अपनी उम्मीद ज़िंदा भी रखी। पहली से ही सरकारी स्कूल के छात्र रहे मुझ को प्राइवेट स्कूल से ग़ज़ब का आकर्षण था, पर मेरे हिस्से अब कि बार भी सरकारी स्कूल ही आया और ये सरकारी स्कूल बस स्कूल होने की ओपचारिकता ही पूरी करता, हाँ सही में तभी यहाँ प्रार्थना में न जाने पर आप को कोई कुछ नहीं कहता था, पढ़ाने के लिए कोई कोई टीचर ही आते और होमवर्क तो शायद एक अंग्रेज़ी के सर ही चेक किया करते थे और यही स्कूल अगले दो सालो तक मेरे घर वालों की उम्मीदों का बोझ ढोने वाला था।

 पर मैं इस स्कूल में आकर बहुत खुश था। यहाँ स्कूली तनाव नहीं, बस इस जीवन की बैफ़िक्रिया ही बैफ़िक्रिया थी, पर विज्ञान विषय के ख़ौफ़ का एक अंदरूनी दबाव ज़रूर था और साथ ही साथ संस्कृत और गणित से पीछा छूटने की ख़ुशी भी थी, पर जब नयी किताबें टटोली तो बाकी तो सब ठीक ही लगा पर फ़िज़िक्स में गणित के साये ने खूब डराया।

   फ़िज़िक्स के इस डर से मैं ही ख़ौफ़ज़दा नहीं था, ये डर तो हर नए विज्ञान के विद्यार्थी को था। इसका इलाज भी एक ट्यूशन ही था, सो स्कूल शुरू हुए अभी दस दिन भी नहीं हुए ओर हमने स्कूल में ही पढ़ाने वाले सर के घर पर ट्यूशन शुरू कर दिया। ये करने वाला न तो मैं पहला था ना ही आख़िरी पुरी कक्षा फ़िज़िक्स में ट्यूशन जा रही थी, तब भी ओर आज भी यही चल रहा हे।

   फ़िज़िक्स के अलावा दूसरे विषय यानी जीवविज्ञान ओर रसायन विज्ञान में भी जा रहे थे ट्यूशन, पर मुझे इसकी ज़रूरत ना लगी इनकी किताबें देख लग रहा था, इनको तो कक्षा के सहारे ही पढ़ लेंगे पर केमेस्ट्री के ट्यूशन की जरूरत और किसी को थी, तभी पहले क्लास टेस्ट के परिणाम सर ने सुनाए तो 40 जनो की भरी पूरी कक्षा से एक का भी पास नहीं होना, यूँ लगा जैसे श्रीमान लाल सर आँखें निकाल कर बोल रहे हों “आओ मेरे पास ट्यूशन” और पूरी कक्षा समझ गई ओर आधे से अधिक कक्षा दूसरे ही दिन सर के द्वारे भोग देने पहुँच गई,

तो दूसरी तरफ़ एक व्यास जी सर भी थे इंग्लिश वाले उनका टाइम पर आना, मन से पढ़ाना, हमें ग़लत कामों के लिए टोकना ओर कभी कभी ज़्यादा बदमाशियों पर रेपटे भी जमा देना हमें बहुत अखरता पर कुछ भी हो केमेस्ट्री वाले लाल जी सर का कोई जवाब नहीं कभी कभार ही क्लास में आना उस में भी कभी कभार ही पढ़ाना ओर उनके होमवर्क की तो कोई टेंशन ही नहीं क्योंकि लाल सर उनके पास ट्यूशन आने वालों का विशेष ध्यान जो रखते थे।

   लाल सर की एक ओर ख़ासियत थी, जो उस समय उनको औरों से अच्छा साबित कर रही थी। भले ही कोई शिक्षक स्कूल में कैसा ही पढ़ाए पर ट्यूशन में अपना सब कुछ ज़ौक़ बच्चों को बेहतर से बेस्ट पढ़ाना चाहता ओर पढ़ाता भी था, पर लाल सर यहाँ भी ओरो से अलग थे, वो क्लास में भी कभी न पढ़ाते ओर ट्यूशन में भी बहुत कम ओर हम उनकी इस आदत से बहुत खुश, हमें रबड़ने का एक्शटरा टाईम जो मिला जाता, केमेस्ट्री के क्लास टेस्ट ओर हाफ़ईयरली का टेंशन भी नहीं था, सर जो सम्भाल रहे थे। बायो, फ़िज़िक्स में खुद को भरोसा था ओर केमेस्ट्री में लाल सर ज़िंदाबाद, मज़े में 11वी चल रही थी पर केमेस्ट्री अब 12वी में आते आते कुछ डराने लग रही थी ।

  हमने कभी केमेस्ट्री को पढ़ने की सोची नहीं और लाल सर ने पढ़ाने की ना सोची, टेस्ट और हाफ़ईयरली सर के भरोसे निकल गई, पर बोर्ड परीक्षा की नज़दीकी अब डरा रही थी, बायो ओर फ़िज़िक्स में मामला ठीक था पर केमेस्ट्री ज़्यादा मेहनत माँग रही थी, बोर्ड की परीक्षा पास आते आते फ़िज़िक्स ट्यूशन के सर के साथ लाल सर ने भी कोर्स पूरा हो गया का एलान सुनाया पर मुझे तो अभी एच टू ओ ही पानी है इस से ज़्यादा केमेस्ट्री में कुछ समझ ही नहीं आया था।

 बायो, इंग्लिश, हिन्दी बिना ट्यूशन, क्लास के सहारे ही ठीक थी। फ़िज़िक्स, क्लास ओर ट्यूशन के सहारे इतना नहीं डरा रही थी पर केमेस्ट्री में क्लास ओर ट्यूशन ने सारी केमेस्ट्री ही बिगाड़ दी, अब अच्छे लगने वाले लाल सर पर मन ही मन ग़ुस्सा आने लगा पर अब क्या अब तो चौथा पेपर ही केमेस्ट्री का था। परीक्षा हॉल में केमेस्ट्री का पेपर देख होश ही उड़ गए, पेपर को आगे पीछे पढ़ा पर लगा इतने प्रश्नों में एक पूरा ओर एक आधा ही आ रहा था, ये तीन घण्टे बहुत मुश्किल से गुजरे, बाहर आकर देखा तो लाल सर के ट्यूशन वालों का मेरा ही हाल था ओर बाकी के लिए पेपर आसान था।

परीक्षा भी हो गई, छुट्टियों ने केमेस्ट्री की चिंता भी भुला दी, रिज़ल्ट का मौसम भी आया, केमेस्ट्री के परफ़ोरमेंस ने डराया भी खूब ओर रिज़ल्ट देखा तो पहले डरा रही फ़िज़िक्स में D आया ओर लाल सर की बेख़ौफ़ केमेस्ट्री में G आया।  

G ओर D तो ठीक था पर केमेस्ट्री का डर इस तरह मन में समाया की घरवालों की उम्मीदों को तोड़ आर्ट्स वाले ख़ेमे में चला आया।

इन दो सालो में मैंने दो गुरुओं को पाया एक व्यास जी जिनमें एक मार्गदर्शक और सच्चा गुरु नज़र आया ओर दूजे लाल जी जिन्होंने मुझे अब अपनी मास्टरी के दौर में व्यास जी ही बनना सिखाया........


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