शिखर की ऊँचाई
शिखर की ऊँचाई
"अरे वाह संदीप, तूने तो एक साल में ही कितनी तरक्की कर ली है। तेरी उम्र के दूसरे लड़के तो अभी तक बस नौकरी की तलाश ही कर रहे हैं।" पड़ोस के शर्मा अंकल ने संदीप की पीठ थपथपाते हुए कहा।
संदीप के माता पिता की मृत्यु 6 माह पहले ही हुई थी, वो उस घटना से इतना हतोत्साहित था कि डिप्रेशन का शिकार हो गया।
दोस्तों की मदद से एक अच्छे डॉक्टर और सलाहकार के सहयोग से वो किसी तरह अपने ग़म से बाहर निकल पाया और खुद को अपने पिताजी के सपने को पूरा करने में लग गया।
और अपनी इसी लगन से आज उसको इतनी ऊंचाइयां मिल गयीं हैं कि हर कोई उसकी तारीफ करते थकता नहीं है।
पर संदीप शिखर की उस ऊंची सीढ़ी पर खड़ा होकर भी अपने माँ पापा को नहीं देख सकता था, इस ऊंचाई पर पहुंच कर भी वो अकेला था, बिल्कुल तन्हा...।