सबकी चाची

सबकी चाची

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सरला देवी के घर के बाहर लोगों की भीड़ लगी थी। आज सुबह मोहल्ले में खबर फैली कि चाची अपने घर में मृत पड़ी हैं। 

चाची ने अपनी बाउंड्री के अंदर एक छोटा सा बागीचा था। उसमें अन्य पौधों के साथ तुलसी का भी एक पौधा लगा था। चाची सुबह तड़के उठ कर नहाती थीं। उसके बाद पूजा कर तुलसी पर दिया जला कर जल चढ़ाती थीं।

आज भी इसी उद्देश्य से बाहर आई होंगी। पर शायद दिल का दौरा पड़ने के कारण नहीं ढेर हो गईं। कुछ समय बाद जब दूध वाला आया तो उसने उन्हें जमीन पर गिरा पाया तो आसपास के घरों को सूचित किया। 

देखते-देखते बहुत से लोग जमा हो गए। सरला देवी का यूं तो कोई नहीं था पर वह सबकी थीं। सब उन्हें चाची कहते थे। 

सरला देवी ने विवाह नहीं किया था। वह एक स्कूल में टीचर थीं। पाँच साल पहले रिटायर हुई थीं। चाची को कभी भी अपना परिवार ना होने की कमी नहीं खली। कभी कोई पूछता भी कि आपने विवाह कर परिवार क्यों नहीं बसाया तो हंस कर कहती थीं।

"कौन कहता है कि मेरा परिवार नहीं है। मेरा परिवार तो बहुत बड़ा है। सब मेरे हैं, मैं सबकी हूँ।"

उनका यह कथन केवल बातों तक ही सीमित नहीं था। बल्कि वह सचमुच यही मानती थीं। मोहल्ले में सबका दुःख उनका अपना दुःख था। किसी की खुशियों में शामिल होने के लिए न्यौते की प्रतीक्षा नहीं करती थीं। 

किसी के आड़े समय में पैसे खर्च करते हुए एक बार भी मन में ये नहीं आता था कि ये पैसे वापस मिलेंगे कि नहीं। मिल जाते तो ठीक, अगर वापस नहीं मिलते तो भी शिकायत नहीं करती थीं। 

बाहर खड़े लोगों में से मंजू बोली।

"साल भर पहले जब मेरे पति की नौकरी चली गई थी तब चाची बहुत काम आई थीं। नहीं तो बहुत मुश्किल हो जाती।"

उसकी बात सुनकर दिनेश ने अपनी बात कही।

"मेरे पप्पू के प्राण तो चाची के कारण बच पाए। नहीं तो इतनी महंगी दवाइयां मैं कहाँ से लाता।"

उसके बाद तो सब ही अपनी अपनी बात बताने लगे। 

सूरज चढ़ आया था। धूप चाची के मृत शरीर पर पड़ रही थी। किसी ने कहा। 

"अब ये सोचो चाची का करना क्या है। इस तरह से तो लाश खराब होने लगेगी।"

सब विचार करने लगे। सभी का ये मानना था कि भले ही वह सब उन्हें चाची कहते थे। पर उनके संबंधी तो हैं नहीं। इसलिए कुछ नहीं कर सकते।

सबने मिलकर तय किया कि पुलिस स्टेशन जाकर वहाँ सारी बात बताते हैं। फिर पुलिस जो उचित समझेगी वही करेगी।

कुछ लोग पुलिस स्टेशन चले गए। बाकी के लोग घर लौट गए।

सबकी चाची सरला देवी की मृत देह लावारिस पड़ी थी।


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