jitendra shivhare

Inspirational

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jitendra shivhare

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सबक़

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नीमा आज बहुत खुश थी। उसे पिता ने आज पहली बार जवाबदारी वाला काम जो सौंपा था। लड़की होने के कारण आये दिन घर में पक्षपात का शिकार हो चूकी नीमा ने कई बार इसका विरोध किया था। साथ ही नीमा अपने भाई की तरह पिता की किराना दुकान बेहतर ढंग से चला सकने का दंभ भी भरती आ रही थी। किराना सामग्री के आपूर्ति कर्ता व्यापारी को पांच हजार रुपये चुकाने वह घर से अपनी साईकिल पर निकल पड़ी। किराना व्यापारी शर्मा जी की दुकान बड़े बाजार में थी जो उनकी दुकान से दस किलोमीटर दूरी पर थी। नीमा जल्दी-जल्दी साईकिल के पैडल मार रही थी ताकी वह शर्मा अंकल को जल्दी से रूपये दे दे और घर लौटकर अपनी क़ाबिलियत सभी को दिखा सके।

मगर ये क्या ? बड़े बाजार पहुंचने से पहले ही कुछ दूरी पर उसकी साईकिल का पिछला पहियां पंचर हो गया। उसने जेब में हाथ डाला तो उसके होश उड़ गये। जेब में पांच हजार रुपये के स्थान पर तीन हजार रूपये ही निकले। उसने याद किया कि घर से निकलते वक्त़ उसके पास दो हजार के दो नोट और इतने ही पांच सौ रूपये के नोट थे। किन्तु अभी उसके जेब में दो हजार का एक नोट और पांच सौ रूपये के दो नोट ही थे। दो हजार रूपये का एक नोट उससे कहीं गुम हो गया था। उसने शर्मा अंकल से निवेदन किया कि वह नीमा से सत्ताईस सौ रूपये ले ले। बाकी के तेईस सौ रूपये वह कल लाकर दे जायेगी। साईकिल का ट्यूब पंचर हो गया था। पंचर वाले ने ट्यूब बदलने को कहा था। ट्यूब के लिए वह तीन सौ रूपये मांग रहा था। जबकी नीमा अपने साथ कोई अतिरिक्त रूपये लेकर नहीं लाई थी।

शर्मा अंकल ने कठोरता दिखाते हुये नीमा से पुरे तीन हजार रुपये लेकर शेष दो हजार रूपये भी जल्दी लौटाने का निर्देश देकर उसे वहां से चले जाने को कहा। नीमा दुःखी मन से पंचर साईकिल ही घसीसटते हुये शाम ढले घर लौटी। शर्मा अंकल के शुष्क व्यवहार पर वह खिन्न थी। उसने निर्णय लिया कि वह शर्मा अंकल की दूकान पर अब से कभी नहीं जायेगी।

नीमा के पिता से शर्मा अंकल की मोबाइल पर हुई बातचीत नीमा के पिताजी ने रिकॉर्ड कर ली थी। नीमा के घर आते ही उन्होंने बातचीत की रिकॉर्डिंग नीमा को सुनाई। शर्मा अंकल कह रहे थे--

"मैं जानता हूं कि नीमा बेटी आज मुझसे बहुत नाराज़ होगी। उसे घर तक पैदल-पैदल जो जाना पड़ा। मैं चाहता तो उसे तीन सौ रूपये देकर उसकी सहायता कर सकता था मगर इससे नीमा को यह भ्रम हो जाता की लड़की होने के नाते उसकी लापरवाही माफ की जा सकती है। और हो सकता था भविष्य में वह यही गलती दोबारा करती। रूपये हम सभी से गुम हो सकते है इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन नीमा ने घर से निकलने से पुर्व सबकुछ दौबारा चेक क्यों नहीं किया? यदि वह यह करती तो निश्चित ही उसे इतना परेशान नहीं होना पड़ता जितनी की आज हुई है। यदि उसे सफल व्यवसायी बनना है तो कठोर व्यवहार सहने और समयानुसार अपने प्रतिपक्ष से वही व्यवहार करने की क्षमता और साहस विकसित करना होगा। सफलता उन्हें ही मिलती है जो परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को ढालकर निरंतर आगे बढ़ते रहते है। व्यापार और रिश्तों में धन का व्यवहार साफ-सुथरा होने से ही दोनों रिश्तें सही दिशा में बिना गतिरोध के चलते है। यही विचार कर उक्त शिक्षा देने के उद्देश्य से मुझे नीमा के प्रति कठोर होना पड़ा। अभी दो पल का कष्ट उसे भविष्य का दीर्घकालिक सुख देगा इसी शुभकामनाओं के साथ।

राजेश शर्मा।"

मोबाइल की रिकॉर्डिंग खत्म हो चुकी थी। मगर शर्मा अंकल की कहीं बातें अभी भी नीमा के कानों में गुंज रही थी। नीमा का हृदय जो शर्मा अंकल के प्रति कुछ समय पुर्व घृणा से भरा था वही ह्रदय अब शर्मा अंकल के प्रति आदर से भर उठा था। उसके चेहरे पर संतोष के भाव उभर आये थे। सफल व्यवसायी बनना का पहला गुण वह सीख चुकी थी।



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