jitendra shivhare

Inspirational

4.0  

jitendra shivhare

Inspirational

छेड़छाड़

छेड़छाड़

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जतीन और उसका प्रिय दोस्त सनी सड़क किनारे खड़े थे। तभी कमलेश अपनी बाइक से वहां आया। बाइक की पिछली सीट पर गिरीश बैठा था। चारों दोस्त आदतन बाइक के इर्द-गिर्द खड़े होकर सड़क से गुजरने वाली लड़कियों पर टीका-टिप्पणी करने में व्यस्त हो गये।

"यार! ये माल मिल जाये न तो मज़ा जाये।" एक नवयुवती को देखकर गिरीश बोला।

उस युवती ने गिरीश की बातें सुनकर अनसुना कर दिया।

"ये वाली मेरी!" झुण्ड में काॅलेज जा रही किसी विशेष लड़की की ओर ऊंगली से इशारा करते हुये कमलेश बोला। "वो ब्लू ड्रेस वाली मेरी।" सनी भी कहां पीछे रहने वाला था।

चारों ने अपनी-अपनी इच्छानुसार युवतियों का बंटवारा कर लिया। जतीन और सनी के भद्दे कमेन्टस जारी थे। यहां भी वे लड़कियाँ मन मसोस कर चली गई। युवतियां इन चारों लड़कों को भला-बुरा बोलती जा रही थी। कुछ दिनों पूर्व ही सपना नाम की युवती ने जतीन के द्वारा छेड़छाड़ से परेशान होकर बीच सड़क पर उसके गालों पर जोरदार चांटा रसीद किया था। इस घटना की भनक पुलिस तक भी पहुंची थी। चूंकि चारों युवक विद्यार्थी थे इसलिए पुलिस ने सभी को समझा बुझाकर घर वापिस भेज दिया था।

एक दिन लड़कियों को परेशान करते हुये प्रीति ने अपने भाई जतीन को देख लिया। उसका अन्तर्मन पीड़ा से भर गया। उस समय प्रीति ने जतीन से कुछ नहीं कहा। कुछ ही दिनों में रक्षाबंधन का पर्व था। जतीन फुला-फुला था। प्रीति के लिए उसने एक सरप्राइज गिफ्ट खरीदा था। पूरे पांच हजार रुपये का था यह उपहार। अपनी पाॅकेटमनी बचाकर जतीन ने यह कार्य पूर्ण किया था। नियत समय में स्नान आदि से निवृत्त होकर नये वस्त्र पहनकर जतीन राखी बंधवाने प्रीति के सम्मुख उपस्थित हुआ। प्रीति भी नव श्रृंगारित होकर साड़ी पहनकर आई। वह बहुत ही सुन्दर दिखाई दे रही थी। जतीन ने दोनों हाथों से प्रीति की बलाएं उतारी।

"मेरी नन्हीं सी गुड़िया कितनी खूबसूरत लग रही है। प्यारी बहना को किसी की नज़र न लगे!" जतीन बोल रहा था।

"थैंक्यू भैया!" कहते हुये प्रीति, जतीन के गले लगी।

प्रीति ने जतीन को हाथ पकड़कर सोफे पर बैठाया। सिर पर रूमाल रखकर उसके माथे पर हल्दी- कुमकुम और चावल का तिलक किया। जतीन ने दायां हाथ आगे किया। प्रीति ने थाली में रखी राखी उठाई और जतीन के हाथ पर बांधी। आरती उतारकर जतीन का मुंह मीठा किया। जतीन ने प्रीति के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। तदुपरांत उसने अपना सरप्राइज गिफ्ट सोफे के नीचे से निकालकर प्रीति को दिया। यकायक प्रीति के चेहरे पर गम्भीरता उभर आई।

"भैया! इस रक्षाबंधन पर मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिये।" प्रीति बोली। उसने जतीन का उपहार ग्रहण करने से इंकार कर दिया।

"ऐसा क्यों? अरे मैं तेरा मनपसंद गिफ्ट लाया हूं। खोलकर तो देख।" जतीन अधीर होकर बोला।

"नहीं भैया! मुझे कोई गिफ्ट नहीं चाहिये। मुझे तो कुछ और चाहिए।"

"बोल तुझे क्या चाहिए? वह मैं अभी लाकर दूँगा।" जतीन गम्भीर था।

"वचन दो भाई कि मैं जो कहूँगी वही करोगे।" प्रीति बोली।

"मैं वचन देता हूं। अब तो बताओ तुम क्या चाहती हो?" जतीन ने पुनः पूछा।

"भैया! मैं चाहती हूं कि आप अब से लड़कियों को परेशान करना बंद कर दे।" प्रीति बोली।

"क्या मतलब?" जतीन कुछ-कुछ प्रीति की मंशा समझ रहा था।

"मतलब यह की आप अब किसी भी लड़की के साथ छेड़खानी नहीं करोगे? रक्षाबंधन पर मेरे लिए यह सबसे बड़ा गिफ्ट होगा!" प्रीति बोली। जतीन मौन था। वह प्रीति की ओर पीठ कर खड़ा हो गया।

"भैया! जैसे मैं आपकी बहन हूं वैसे वे लड़कियाँ भी तो किसी की बहन है। एक लड़की होने के नाते मैं यह जानती हूं कि जब कोई लड़का यूं अचानक सड़क पर किसी लड़की पर भद्दे और गन्दे-गन्दे कमेंट पास करता है तब लड़की को कितनी तकलीफ़ होती है।" प्रीति दुःखी थी। प्रीति चाहती थी कि उसका भाई जतीन एक सद्चरित्र युवक कहलाये। न की गुण्डा और मवाली की श्रेणी में समझा जाये। प्रीति ने जतीन के दोनों हाथों को अपने हाथों मे लेकर यही विनती दोहराई। उसने जतीन को अपने माता-पिता के मान-सम्मान का भी वास्ता दिया। प्रीति की अपने प्रति चिंता देखकर जतीन भावुक हो गया। उसे यह शिक्षा मिल ही गई कि यदि हम अपनी बहन बेटीयों के सम्मान में किसी भी तरह की कोई कमी नहीं चाहते तब हमें औरों की बहन बेटीयों के साथ भी वैसा ही व्यवहार करना चाहिए। रक्षाबंधन का यह पवित्र त्योहार इन्हीं नैतिक विचारों को चरितार्थ करते हुये प्रतिवर्ष मनाया जाना चाहिए जिससे इस त्यौहार की गरिमा बनी रहे। जतीन ने प्रीति को वचन दिया कि आज से वह किसी भी लड़की को न स्वयं परेशान करेगा और न ही ऐसा करने वाले मित्रों का किसी प्रकार साथ देगा।वह अपने दोस्तों को भी ऐसा करने से रोकेगा। रक्षाबंधन पर अपने भाई से यह अनोखा वचन रूपी उपहार पाकर प्रीति को जितनी प्रसन्नता आज हुई उतनी पहले कभी नहीं हुई थी।



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