साझा दर्द
साझा दर्द
शीतल दरवाजा खोलते ही बोली,"अरे रानो तीन दिन से कहां थी?और ये क्या हाल बना रखा है?"
"फिर तेरे पति ने मारा तुझे?"
"अरे मैडम,यह तो रोज का हो गया है शराब पीकर आना और मुझे मारना।"
"रानो!तू खुद दूसरों के घरों में काम करके कमाती है तो फिर उसकी दादागिरी क्यों सहती है?"
"अरे मैडम!अकेली औरत,इस दुनिया में कैसे जिएगी? बस इसलिए और बच्चों की खातिर सब सह रही हूं। आपके जैसी पढ़ी लिखी होती;तो अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत आ जाती।"
अचानक शीतल का हाथ,अपने कंधे पर चला गया। कल रात, पति जीत ने भी नशे में उसे मारा था। अपने कमरे में चली गई।
