Ritu Agrawal

Drama Romance

4.5  

Ritu Agrawal

Drama Romance

प्यार दोबारा भी होता है

प्यार दोबारा भी होता है

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359


अमर, मयंक और निशा तीनों एक ही क्लास में पढ़ते थे और एक ही मोहल्ले में भी रहते थे। एक साथ पले बड़े अमर और मयंक आपस में चचेरे भाई थे। घर अलग-अलग थे लेकिन वहीं आसपास बने हुए थे। निशा का परिवार भी उसी मोहल्ले में बसा था। तीनों में गहरी दोस्ती थी।  

बचपन गुजरा, किशोर हुए और फिर आई जवानी। तीनों की दोस्ती परवान चढ़ती गई। अमर और मयंक दोनों के मन में निशा के प्रति ,प्रेम के अंकुर फूटने लगे। अमर खुशमिजाज,अपनी बातों से सबको मुग्ध करने वाला ,मस्तमौला लड़का था। पढ़ाई में थोड़ा ठीक- ठाक ही था जबकि मयंक पढ़ने में तेज-तर्रार पर थोड़ा अंतर्मुखी और अपनी ही दुनिया में मगन लड़का था। पर उसका दिल निशा के लिए ही धड़कता था। चूँकि अमर मुखर था तो एक बार उसने निशा को प्रपोज कर दिया। कॉलेज का आखिरी साल चल रहा था।

निशा ने कुछ सोचकर कहा,"अमर, मैं तुम्हारे बारे में ऐसा कुछ नहीं सोचती लेकिन सच्चाई यही है कि एक दिन शादी तो करनी ही है तो मैं और तुम एक -दूसरे को बहुत अच्छे से जानते-समझते हैं तो क्यों ना तुमसे ही शादी कर लूँ लेकिन हमारी पढ़ाई पूरी होने और नौकरी लगने के बाद। " और यह कहकर निशा मुस्कुराती हुई चली गई।  

अमर को तो सारी दुनिया की खुशी मिल गई। जब मयंक को पता चला तो उसका दिल टूट गया पर उसने अपने एक तरफा प्यार को वहीं दफन करने में भलाई समझी। अमर ने अपने माता- पिता को भी निशा से शादी करने की बात बताई। साल खत्म होने के बाद तीनों की ही अलग-अलग कंपनियों में नौकरी लग गई। मयंक जानबूझकर दूसरे शहर में नौकरी करने लगा। उसके बाद अमर और निशा की धूमधाम से शादी हुई। अमर और निशा के लिए तो दिन और रात मधुमास जैसे थे। एक साल पंख लगा कर गुजर गया और नई खुशियों की आहट हुई। निशा गर्भवती थी और उसकी प्रेगनेंसी में कुछ जटिलताएँ भी थीं तो अपना ज्यादा ख्याल रखने के लिए निशा ने नौकरी छोड़ने का निश्चय किया। यूँ ही नौ महीने गुजर गए। निशा ने एक फूल सी प्यारी बच्ची को जन्म दिया। बच्ची का नाम 'निया' रखा गया। मयंक, निशा और अमर के लिए बहुत खुश था लेकिन कहीं ना कहीं दिल में एक दर्द भी था कि काश! उसने निशा को अपने दिल की बात पहले ही बता दी होती तो हो सकता है उसका प्रेम भी मुकम्मल हो गया होता।

 पर उसका प्यार सच्चा था इसलिए वह उन दोनों को सदा खुश देखना चाहता था । उसने अपनी नौकरी भी दूसरे शहर में ही ज्वाइन की थी। अब कभी-कभी तीज त्योहार पर घर आता था सबसे मिलता था लेकिन उसकी आंखें निर्विकार ही रहती थीं।

निया का पहला जन्मदिन था। अमर को ऑफिस में कोई बहुत जरूरी काम था। वह आधे घंटे के लिए ऑफिस गया और लौटते समय हड़बड़ी में वापिस आ रहा था कि उसकी बाइक एक ट्रक से टकरा गई और घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गई। निशा की तो सारी दुनिया उजड़ गई। हँसता खेलता परिवार बिखर गया। घटना के बारे में सुनकर मयंक तुरंत ही आ गया। निशा का रो-रो कर बुरा हाल था। सब लोगों ने निशा को बड़ी मुश्किल से संभाला। पूरे एक महीने तक मयंक वहीं रहा। निया के साथ भी खेलता और निशा भी समझाने की कोशिश करता।

एक दिन अमर की माँ ने मयंक और निशा के माता-पिता को अपने घर बुलाया और हिचकते हुए उनसे बोलिए,"देखिए मैंने अपना बेटा खोया है। दर्द कितना बड़ा है आप सभी समझ सकते हैं। निशा को भी मैंने दिल से अपनी बेटी ही माना है। उसे जब ऐसे बिलखते हुए देखती हूँ तो मेरा कलेजा काँप उठता है। मेरे मन में एक बात है कि क्यों ना हम निशा की दूसरी शादी कर दें?जिससे वह भी अपने आप को संभाल सके और हमारी निया को भी पिता का प्यार फिर से मिल जाए। अभी उन दोनों के आगे बहुत जिंदगी पड़ी है। मेरी नजर में निशा के लिए,मयंक से अच्छा कोई लड़का नहीं है। निशा का दोस्त भी रहा है और मुझे लगता है कि उसे अच्छे से समझता भी है। बाकी आप सभी लोगों और मयंक जैसा ठीक लगे। "

मयंक की माँ इस रिश्ते को लेकर असमंजस में थी लेकिन जब मयंक ने सुना तो वह बोला," माँ,आप जानती हैं मैं भी निशा से शादी करना चाहता था पर परिस्थितिवश संभव नहीं हो पाया। आज ईश्वर ने मुझे दूसरा मौका दिया है। शायद इस बहाने मैं अपने प्यार निशा को कुछ खुशी दे सकूँ। अपना प्यार पूरा कर सकूँ और मेरे सबसे अजीज दोस्त की आखरी निशानी उसकी बेटी को अपना नाम दे सकूँ, तो इससे ज्यादा खुशी की बात मेरे लिए और कोई नहीं है। मैं शादी के लिए तैयार हूँ । निशा को थोड़ा संभल जाने दीजिए। यदि उसकी रजामंदी होगी तो ही मैं उससे शादी करूँगा। "

वक्त बड़े से बड़े घाव भर देता है निशा भी थोड़ी-थोड़ी सामान्य होने लगी। फिर सबने से मयंक से शादी करने के लिए कहा तो काफ़ी सोच विचार कर अपनी बेटी के भविष्य की खातिर इस रिश्ते के लिए रजामंदी दे दी। निशा मयंक से बोली,"अमर मेरा पहला प्यार था तो शायद मैं तुमसे कभी प्यार ना कर पाऊँ। "

मयंक ने मुस्कुराकर कहा,"निशा,प्यार दोबारा भी होता है। "

आज इस बात को बीस साल हो गए। मयंक ने दूसरी संतान नहीं की। मयंक ने सच ही कहा था निशा को कैसे प्यार हुआ,मयंक से।

निशा मयंक दोनों ही अपने निर्णय से बेहद खुश हैं। उनका परिवार एक आदर्श परिवार के रूप में जाने जाता है।


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