STORYMIRROR

Prabodh Govil

Classics

4  

Prabodh Govil

Classics

साहेब सायराना-9

साहेब सायराना-9

2 mins
389

बारह साल की उम्र से सायराबानो के दिल में बसी ख्वाहिश आख़िर ज़माने के सिर चढ़ कर बोली। मां नसीमबानो की देखरेख में सफ़लता की पायदान चढ़ती सायरा को आख़िर दिलीप कुमार के परिवार ने भी बहू के रूप में पसंद कर लिया।

धूमधाम से उन्नीस सौ छियासठ में दोनों का विवाह संपन्न हुआ भारतीय फ़िल्म जगत की एक अविस्मरणीय घटना की तरह ये निकाह हो गया और सायराबानो बांद्रा स्थित दिलीप कुमार के बंगले में भरे पूरे उनके परिवार के बीच रहने के लिए आ गईं।

दिलीप कुमार के फिल्मी कैरियर में यह दौर एक मध्यांतर की तरह था जब उनकी नए मिजाज़ की हल्की- फुल्की फ़िल्मों का नया दौर शुरू हुआ। दिलीप कुमार की दुल्हन बन जाने के बाद सायरा को उनके साथ फिल्मी पर्दे पर भी अनुबंधित करने के लिए गोपी, बैराग, सगीना जैसी फ़िल्मों के फिल्मकार दौड़ पड़े।

सेल्युलॉयड की इस रंगीन दुनिया में अधिकतर साथ- साथ काम करते हुए हीरो हीरोइन के बीच प्यार पनपता है और फिर वे शादी कर लेते हैं। फ़िर कई मामलों में शादी के बाद उनका फिल्मी सफ़र थम जाता है। दुल्हन बन कर नायिका फ़िल्मों में काम करना छोड़ देती है। नायक का भी बाजार गिरता है। किंतु दिलीप कुमार और सायराबानो के मामले में ये कहानी उल्टी चली। उन दोनों ने शादी होने तक साथ में कोई फ़िल्म नहीं की पर विवाह के बाद साथ में काम किया।

भारतीय दर्शकों ने इस जज़्बे का सम्मान किया।

फ़िल्म के पर्दे के इन "साहेब" को सायराबानो ने भी हमेशा "साहेब" ही कहा, और साहेब ही समझा। ये सम्मान उम्र के अंतर से आया, अभिनय दक्षता के अंतर से आया या बचपन से मिले संस्कारों के चलते आया, कोई नहीं जानता।

इस तब्दीली का खुलासा ख़ुद दिलीप साहब ने फिल्मी पर्दे पर "साला मैं तो साहब बन गया" गाकर किया। लंदन से पढ़ कर आईं चुलबुली सायरा को उन्होंने "गोरी गांव की" बना डाला और खुद बन गए बाबू जैंटलमैन! और इस तरह ये पूरब और पश्चिम एक हो गए।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Classics