साहेब सायराना-17
साहेब सायराना-17
अजीब थीं ये मोहतरमा !
हाथ धो कर पीछे ही पड़ गईं यूसुफ साहब के। जब- तब उनसे मिलने के मौक़े निकालती रहतीं। मज़े की बात ये थी कि कभी- कभी तो अपने शौहर तक को साथ ले आतीं। न जाने कैसे इन्हें खबर लग जाती कि दिलीप कुमार अपनी शूटिंग के सिलसिले में अभी घर से बाहर हैं और ये आ धमकतीं।
ये कोई नई नवेली हसीना नहीं बल्कि तीन- तीन बच्चों की मां थीं। पर नज़रों के हाथ एक बार देखे नज़ारे को बार - बार देखने पर मजबूर थीं।
लो ! बतंगड़ तो बनना ही था।
फिल्मी रिसालों ने लिखना शुरू कर दिया कि दिलीप दूसरे प्रेम में हैं। कोई- कोई बात बहादुर तो दूसरे निकाह की तस्वीर तक जुटा लाया।
गुत्थी उलझ गई।
लेकिन सायरा विचलित नहीं हुईं। उन्हें यकीन था कि उनके शौहर इस कदर जामे से बाहर नहीं जा सकते। उन्हें अपनी मां, अपने ख़ैरख्वाह दर्शकों और अपनी ख़ुद की शख्सियत पर पूरा ऐतबार था। ख़ुद सायराबानो भी तो फिल्मी सितारा थीं, तो जो कहती सुनती थीं उसे मीडिया तवज्जो देती ही थी।
ये अनचाहा बादल भी दो साल गरज कर छंट गया।
दिलीप, सायरा के और सायरा, दिलीप की। दुनियां ने देख भी लिया और जान भी लिया।
जिन्होंने निकाह कराया था उन्होंने तलाक भी करवा छोड़ा। अफ़वाह के परिंदों के पर कतर दिए गए।
दिलीप कुमार अब फिल्मी पर्दे से लगभग दूर ही होने लगे थे। लेकिन ख़ास तौर पर उनके लिए लिखी भूमिकाओं वाली इनी गिनी फ़िल्में कर भी रहे थे।
मनोज कुमार, शशि कपूर, हेमा मालिनी जैसे सितारों के साथ हालिया रिलीज़ फ़िल्म "क्रांति" ने एक बार फ़िर उनका समा बांध दिया था। नई नस्ल भी अपनी आंखों ये देख चुकी थी कि ये हैं दिलीप कुमार !
वो अमिताभ बच्चन जिन्होंने उस दौर की सारी हलचलें अपने नाम लिख डाली थीं, वो भी फ़िल्म "शक्ति" में दिलीप कुमार के साथ पर्दे पर आए। दर्शक दो युगों का आमना - सामना देख गदगद हो गए।
दिलीप कुमार के सम्मान में इज़ाफ़ा होता चला गया। पद्मश्री के बाद पद्मभूषण, पद्मविभूषण ! और भी न जाने कौन- कौन से सम्मान।