Shalini Dikshit

Tragedy Inspirational

5.0  

Shalini Dikshit

Tragedy Inspirational

रूबी

रूबी

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"क्या हुआ रूबी? इतनी चोट कैसे लगी।"

"तुम तो बारह नंबर कोठी में बर्तन लौटाने गई थी। यह सब क्या है?"रम्मी बेटी के कपड़ों से खून पोछते हुए पूछ रही थी।

"अब रोती ही रहेगी या कुछ बोलेगी भी, क्या बात है रूबी?"

"मम्मी वहाँ कोठी में कोई नहीं था सिर्फ...."

"क्या सिर्फ? कोई नहीं था तब इतनी देर क्यों लगी, बर्तन कहाँ हैं?"

रम्मी बेटी की हालत के बावजूद भी बर्तन की चिंता कर रही थी क्योंकि उसको पता है इतने अच्छे बर्तन अगर खो गए तो मालकिन पैसे काट लेंगी।

"सिर्फ अंकल ही थे घर में और.....और।" रूबी रोने लगी।

रम्मी को समझते देर न लगी।

"चुप एकदम चुप हो जा मेरी बच्ची, कुछ बोलने की जरूरत नहीं है।"

"हमारे ही भाग फूटे है, वह बड़े लोग हैं। उनका कुछ नहीं होगा अपने ही काम छूट जाएंगे, चुप कर के आराम कर बच्चा सब ठीक हो जाएगा।"

"क्या हुआ मम्मी।" रजनी अंदर से बोलती हुई आई।

रजनी बारहवीं की पढ़ाई कर रही है तभी इस साल रम्मी का हाथ बंटाने नहीं जाती है। रूबी अभी आठवीं में है तो वह जाती है।

"दीदी... ..!" रूबी दौड़ के रजनी से लिपट गई।

"क्या हुआ लाडो।" रजनी ने लाड़ दिखाया घबराहट छुपाते हुए।

"हमारे भाग ही फूटे है, बर्तन लौटाने गई थी पास वाली कोठी में मालकिन थी नहीं सिर्फ ...."

"तू इस को अंदर ले जा रजनी।" रम्मी आँसू पोछ रही थी।

रजनी बाहर भागी तमतमाते चेहरा लेके, पीछे रम्मी चिल्लाती रही रुक जा रुक जा।

शोर सुन के भीड़ इकट्ठा हो गई थी रजनी गुप्ता जी को पीट रही थी भीड़ भी टूट पड़ी यह सब देख रम्मी का डर भाग गया और मन की घायल माँ गुप्ता पर टूट पड़ी।

ऐसे आत्म सम्मन के हत्यारे को ऐसी ही सजा मिलनी चाहिए ताकि सबको सबक मिल सके।


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