रंग

रंग

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बस कहने और सुनने में ही सफ़ेद रंग अच्छा होता है,

मगर अगर किसी की पूरी ज़िन्दगी का पर्याय बस ये रंग ही बन के रह जाए तो? उसकी पहचान इंद्रधनुषी रंगों से नहीं मगर इस बेरंग रंग से ही हो तो?

काजल की ज़िन्दगी रंगों से भरी थी । नटखट घर में सबकी लाड़ली और पढ़ाई में अव्वल ।

कॉलेज ख़तम होते ही घरवालों ने रिश्ते देखने शुरू कर दिए क्यूंकि हमारे समाज में लड़की की पहचान उसके कर्म से नहीं मगर उसके गृहस्थ जीवन से होती है। पढ़ाई में होशियार होने के बावजूद भी उसे कभी अपने पैरों पर खड़े होने का मौका नहीं मिला । उसकी शादी हुई बड़े धूम धाम से और वो अपने ससुराल चली गई । उसके ससुराल वाले भी रूढ़िवादी सोच के थे, जैसे औरतों घर का काम संभालती है और मर्द काम पर जाते है | पति की सेवा करना ही औरत का परम धर्म होता है।

 किसी तरह उसकी ज़िन्दगी कट रही थी मगर एक दिन अचानक सड़क हादसे में उसके पति की मृत्यु हो गई।

उसकी रंगो से भरी ज़िन्दगी के ख्वाब बेरंग हो गए। 

कुछ औरतें अाई ना जाने कौन थी, उन्होंने उसका सिंदूर पोछा फिर हाथ से चूड़ियां तोड़ी और सफ़ेद उड़ा दिया।

एक पल में मानों उसकी दुनिया उजड़ गई। उसके घरवालों को ये सब देख के होश आया और ग्लानि हुई कि अगर वो अपने पैरों पर खड़ी होती तो शायद अपने हक़ के लिए लड़ पाती। हां किसी के चले जाने से दुख होता है बहुत दुख होता है, मगर जो रह जाता है उसकी पूरी ज़िन्दगी क्यूं एक पिंजरे में गुजरती है?

लाल से सफ़ेद का जो सफर होता है वो सफर फिर उसे पूरी दुनिया से अलग होकर क्यूं अकेले काटना पड़ता है?

ये दुनिया बनाने वाले ने रंगीन बनाई है, तो हम कोन होते है किसी के पूरे हक छीन कर उसे बस एक ही रंग में ढालने वाले?

हां आप कहेंगे कि समाज है और समाज के कुछ नियम होते है,मगर बनाने वाले ने तो सबको एक समान हक दिया था इस दुनिया में रहने का और हक छीनना या उसके लिए लड़ना ये सब इंसान ने ही शुरू किया। 

ज़रा सोचकर देखिए किसी के पंख कतर कर उसकी परवाज़ छीन लेना क्या जायज़ है ?


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