अबॉर्शन ??
अबॉर्शन ??
कहा था ना तुमसे मुझे लड़का चाहिए? हमारे खानदान में आज तक किसी को लड़की नहीं हुई है, नाक कटा दी तुमने हमारी पूरे समाज में। अब कैसे मुंह दिखाएंगे हम सबको ? इसका अबॉर्शन करा देते तो अच्छा होता..झट जैसे एक तमाचा पड़ा निशा को गाल पर और अचानक से उसकी नींद टूटी।
जबसे उसे उसकी प्रेग्नेंसी का उसे पता चला यही सपने उसे बार बार आ रहे थे। उसे लग रहा था मानो जैसे जाने पूरी दुनिया उसके होने वाले बच्चे के पीछे पड़ी है। रोहन से उसकी अरेंज मैरिज हुई थी, शादी से पहले उसे पता नहीं था उसका परिवार इतना कट्टर है। उसके घर में बहुओं को बिना घूंघट बड़ों के सामने आने कि इजाज़त नहीं थी। बहुओं की ज़िंदगी बस रसोई तक ही सीमित थी। किसी बड़े फैसले में औरतों की राय नहीं ली जाती थी। सबके बस लड़के ही थे, दूर के रिश्तेदार में किसी को लड़की हुई तो लोगों ने ताने मार मार के उस बच्ची की माँ का हाल बेहाल कर दिया। इस वजह से ही उसे चिंता सताए जा रही थी कि कहीं उसके बच्चे और उसके साथ भी ऐसा ना हो। इस डर की वजह से अब तक वो रोहन को अपने प्रेगनेंट होने की खबर सुनाने से कतरा रही थी। मगर हिम्मत जुटा के उसने आखिरकार रोहन को बता ही दिया। "क्या..तुम सच कह रही हो ना निशा मैं.. मैं पापा बनने वाला हूं ..हमारे घर नन्हा मेहमान आने वाला है। तुमने मुझे दुनिया की सबसे बड़ी खुशी दी है। मैं हमेशा से चाहता था तुम्हारी तरह एक नन्ही परी मेरी ज़िंदगी में आए।"
"तुम..तुम सच में खुश हो राहुल? लड़का हो या लड़की तुम्हें फर्क नहीं पड़ता ?"
"कैसे बात कर रही हो निशा..लड़का या लड़की हो वो हमारा ही अंश होगा ना और मैं तो चाहता हूं वो लड़की ही हो।"
"और तुम्हारे घरवाले ? वो क्या चाहते है?"
"चलो उनसे अभी चलकर पूछ ले.."
"वाह निशा बेटी तुमने तो हमे बहुत खुश कर दिया। अब बस एक प्यारी सी गुड़िया रानी आ जाए हमारे घर।"
"बाउजी गुड़िया? आपको पोता नहीं चाहिए ?"
"क्यों बेटा ? पोता क्यूं .. मुझे पोती ही चाहिए , हमारे परिवार में बरसों से बस लड़के ही हुए है..जैसे माता रानी ने हम पर से कृपा हटा दी हो और अब इतने सालों बाद जब नई पीढ़ी को शुरुआत हो रही है तो मैं चाहता हूं कि एक प्यारी सी गुड़िया तुम हमें दे दो।"
निशा की आँखों में जैसे खुशी के आँसू छलक पड़े।