Shreeya Dhapola

Inspirational

4.5  

Shreeya Dhapola

Inspirational

कुटुंब

कुटुंब

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क्या आपने मेरा बैग कहीं गिरा हुआ देखा?

ब्लू कलर, ब्लू कलर। टूटी फूटी हिंदी में स्टेला रास्ते पर सबसे पूछ रही थी। दो ही दिन हुए थे उस इंडिया आए हुए और उसका बैग चोरी हो गया। बैग में पैसे तो थे ही मगर सबसे ज़रूरी चीज उसका पासपोर्ट थी। पैसों के नुकसान कि उसे चिंता नहीं थी पर पासपोर्ट नहीं मिला तो वो अपना कश्मीर जाने का सपना कैसे पूरा करेगी उसे ये सोच सोच कर चिंता हो रही थी। उसकी आँखों से आँसू आ ही गए थे, वो एक कोने में जाकर बैठ गई। क्या हुआ बेटा? वॉट हैपेंड? शर्मा अंकल वहां से गुज़र ही रहे थे, उसे ऐसा देख उन्होंने पूछ लिया।

माय बैग..और फिर पूरी कहानी उसने बता दी। चलो मैं तुम्हारे साथ पुलिस स्टेशन चलता हूं कहकर अंकल उसे पुलिस स्टेशन ले गए और वहां बैग की

एफ आई आर लिखवाई।

तुम चिंता मत करो बेटा तुम्हारा बैग मिल जाएगा।

थैंक्यू सो मच अंकल.. थैंक्यू से काम नहीं चलेगा तुम्हें हमारे घर आकर चाय पीनी पड़ेगी।

दिल्ली जैसे अंजान शहर में वो कैसे किसी का भरोसा करती, मगर अंकल ने उसकी इतनी मदद कि इसीलिए वो बिना सोचे समझे चल दी अंकल के साथ।

कहां रह गए थे आप अब लौटे हो, अरे देखो भाग्यवान कौन आया है। अंकल ने आंटी से स्टेला को मिलवाया और पूरा किस्सा सुनाया। कोई बात नहीं बेटा आप हमारे साथ रुक सकते हो आप भी हमारी बेटी जैसी ही हो, आंटी ने कहा।

आंटी अंकल और स्टेला मानो लग रहा था बरसों से एक दूसरे को जानते हो। हमारी एक ही बेटी है वो विदेश में रहती है, कभी कभी ही मिलने आती है और तुम्हें देख कर मुझे दिया कि याद आ गई अंकल ने कहा।

आंटी ने ना जाने कितने तरह तरह के व्यंजन बनाकर स्टेला को खिलाए और उस रात वहीं रुकने को कहा।

स्टेला का भी मानो लगाव हो गया था आंटी अंकल से और वो मना नहीं कर पाई।

अगले दिन पुलिस स्टेशन से फोन आया और स्टेला को उसका पर्स वापस मिल गया।

आई एम लरनिंग संस्कृत बीकॉज आई लाइक इट और मेरे दोस्त ने मुझे ये दो शब्द बताए थे

वासुदेव कुटुंबकम् अंड अतिथि देवो भव...आंटी अंकल और आज आपको देख कर आए फेल्ट इट इज़ ट्रू .. थैंक्यू सो मच

अंकल आंटी से अलविदा लेकर स्टेला एयरपोर्ट की ओर अपने कश्मीर के सपने को पूरा करने निकल पड़ी।


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