anuradha nazeer

Abstract

5.0  

anuradha nazeer

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रंग भी रंग होली

रंग भी रंग होली

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माम्:गीता ।आवो।होली मना ने केलिए आये हो।बच्चों कहाँ ?

गीता:माम्, उन लोगों पीछे आते हैं।

माम्:तुम्हें मालूम है क्या होली क्यों मनाते हैं इतना कोलाहल ? बोलो ?

गीता:माम् क्या इतना ही मालूम नहीं क्या।मुजे मालूम।

सुनो। बताती हूँ।

ग्रन्थों में उल्लेख मिलता है कि भगवान शिव की तपस्या को भंग करने के अपराध में कामदेव को शिव जी ने फाल्गुन की अष्टमी में भस्म कर दिया था। कामदेव की पत्नी रति ने उस समय क्षमा याचना की और शिव जी ने कामदेव को पुनः जीवित करने का आश्वासन दिया। इसी खुशी में लोग रंग खेलते हैं।

माम ही कहा तुमने।


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