रक्षा और राहुल
रक्षा और राहुल
रक्षा पानी पी कर अपनी सहेली रिया के साथ वापिस क्लास में लौट रही थी तो उसने देखा की क्लास के सामने भीड़ लगी थी। नजदीक गयी तो पता लगा के राहुल ने ईशान को ज़मीन पर गिरा रखा था। वो ईशान पर मुक्के बरसा रहा था। सब बस वहाँ खड़े देख रहे थे। कोई भी उसे रोकने की कोशिश तक नहीं कर रहा था। ईशान के मुँह और नाक से खून आ रहा था। राहुल फिर भी उसे मारे जा रहा था। उसने राहुल का नाम दो बार पुकारा पर वो फिर भी नहीं रुका। फिर वो वहाँ से सीधा स्टाफ रूम की तरफ दौड़ी। जब वो टीचर्स के साथ वापिस आई तब भी राहुल उसे मारे ही जा रहा था। टीचर्स ने उसे रोका और उसे प्रिंसिपल के ऑफिस भेज दिया और ईशान को फर्स्ट ऐड के लिए नर्स के पास।
रक्षा जब क्लास में गयी तो उसे बहुत गुस्सा आ रहा था। इसलिए नहीं क्योंकि दो लड़के लड़ रहे थे। ये तो आम बात थी पर आज कुछ ज्यादा ही हो गया था। जब वो लोग इतनी बुरी तरह से लड़ रहे थे तो किसी ने उन्हें रोका क्यों नहीं। ईशान को जो चोट आई सो आई लेकिन अब राहुल को स्कूल से ससपेंड भी कर दिया जायेगा।
रक्षा बैठी ये सब सोच ही रही थी तभी पूर्वी वहाँ आकर बैठ गयी। उसने रक्षा से पुछा "क्या तुम्हे पता है राहुल, ईशान को क्यों मार रहा था।" रक्षा ने अपना सर न में हिला दिया। "तेरे लिए।" पूर्वी ने जब ये कहा तो उसे अपने कानो पे विश्वास नहीं हुआ। वैसे भी राहुल वैसा लड़का नहीं था जो बिना किसी वजह किसी को भी पिटे। आज पहली बार ऐसा हुआ था।
पर इससे भी जयादा उसे इस बात का बुरा लग रहा था की उसको शिकायत खुद थी। भला राहुल उसके बारे में क्या सोच रहा होगा। तभी राहुल क्लास में अपना बैग लेने आया। उसने रक्षा कि तरफ देखा तक नहीं। बस अपना बैग उठाया और बहार चला गया। उसके बाद वो एक हफ्ते तक स्कूल नहीं आया। एक हफ्ते बाद जब राहुल स्कूल आया तो रक्षा खुश भी थी और दुखी भी। उसे लग रहा था की राहुल उससे बहुत नाराज़ होगा। होना भी चाहिए था। वो उसके पास गयी और बोली- "सॉरी राहुल।" वो और भी कुछ कहना चाहती थी लेकिन इससे पहले कुछ कहती राहुल बोला- "तुम्हारी कोई गलती नहीं थी। गलती मेरी थी, मुझे उसे इतनी बुरी तरह नहीं मारना चाहिए था। बल्कि तुम अगर रोकती नहीं तो उसका और भी बुरा हाल होता।"
रक्षा ने फिर उससे पूछा "तुमने उसे मारा ही क्यों ? तुम तो कभी किसी से झगड़ा नहीं करते फिर उस दिन क्या हो गया था तुम्हे ?"
राहुल ने कुछ जवाब नहीं दिया बस मुस्कुरा दिया और अपनी सीट पर जाकर बैठ गया। एक मिनट तक तो रक्षा वही खड़ी रही फिर वो भी मुस्कुराते हुए अपनी सीट पर जाकर बैठ गयी।

