एक किस्सा अधूरा सा-8
एक किस्सा अधूरा सा-8
इमरान ने मेज पर अल्फिया की चिठ्ठी पड़ी देखी तो वो उठा कर पढ़ने लगा। उसे लगा उसके लिए होगी, पर पढ़ने पर पता चला की वो तो अल्फिया के लिए थी।
एक बार तो वो उसे बिना पढ़े ही रखने लगा था, पर जब भेजने वाले का नाम पढ़ा तो उसे कुछ उत्सुकता हुई। नंदिनी इस नाम की तो अल्फिया की किसी सहेली को नहीं जनता था वो। बल्कि अल्फिया की किसी सहेली का नाम नंदिनी था ही नहीं। न स्कूल में, न कॉलेज में, न ही उसके ननिहाल में, तो फिर ये नयी सहेली कहाँ से आ गयी थी उसकी।
उसने देखा की चिठ्ठी के साथ ही मेज पर कुछ फॉर्म भी पड़े थे। उठा कर देखा तो यूनिवर्सिटी के फॉर्म थे। अब ये क्या बला थी। अल्फिया कब से उससे कोई बात छिपाने लगी। उसने अल्फिया को आवाज़ लगाई पर वो शायद अंदर अयान के साथ थी तो उसने सुना नहीं।
इमरान ने चिठ्ठी उठा कर पढ़ी तो तो उसको गुस्सा चढ़ गया। चिठ्ठी में लिखा था की अल्फिया किसी अखबार में कहानियाँ लिखा करती थी। उसने तो कभी इस बारे में कुछ भी नहीं बताया था उसे। चिठ्ठी को पढ़कर ऐसा लग रह था जैसे ये इंसान अक्सर ही अल्फिया को चिठ्ठी लिखा करता था।
इमरान पूरी चिठ्ठी पढ़ने की बाद चिठ्ठी और फॉर्म लेकर अंदर कमरे में अल्फिया के पास गया। अल्फिया अयान के साथ बिस्तर पर खेल रही थी। चिठ्ठी बिस्तर पर पटकते हुए बोला "तुम मुझे कब बताने वाली थी दाखिला होने के बाद या डिग्री मिलने के बाद"
इमरान इतने जोर से चिल्लाया था की अयान डर गया और रोने लगा। अल्फिया ने अयान को गोद में उठा लिया और चुप कराने लगी। इमरान कुछ और भी कहता पर अयान को देखकर वो चुप रहा। इमरान गुस्से में आग बबूला हो रहा था। उसे पता था की अगर वो वह रुका तो खुद को रोक नहीं पायेगा, इसलिए वो घर से बाहर चला गया। अल्फिया वही बैठी रही अयान को गोद में लिए।