एक किस्सा अधूरा सा-13
एक किस्सा अधूरा सा-13
कुछ महीनो बाद अल्फिया अयान को गोद में लिए बाजार गयी थी। जाने से पहले उसने जब इमरान के पास फ़ोन किया बताने के लिए की वो बाजार जा रही है तो इमरान ने जाने से मना कर दिया था। कहा की मै दफ्तर से जल्दी आ जाऊँगा फिर दोनों साथ मे चलेंगे। पर अल्फिया ने ही जिद की के वो खुद ही चली जायेगी क्योंकि उसे ज्यादा सामान नहीं लाना था, बस टेलर के यहाँ से अपना सूट लेकर आना है। वैसे भी उसके पास दो ही रास्ते थे या तो घर बैठ कर अकेले बोर होती या बाजार चली जाती। जब उसने जिद की तो इमरान मान गया और बोला "ठीक है चले जाना लेकिन रिक्शे से जाना और सिर्फ सूट ही लेकर आना अगर और कुछ खरीदना हो तो मै बाद में तुम्हे फिर से ले चलूँगा तब खरीद लेना " इतना कहकर उसने फ़ोन रख दिया।
अल्फिया ने सूट लिया और पास ही कपड़ो की दूकान में शॉल देखने लगी। उसकी नज़र एक फिरोज़ी रंग के शॉल पर पड़ी, लेकिन उसके उठाने से पहले ही वो शॉल किसी और ने उठा लिया। उस लड़की को देख कर एक बार तो अल्फिया को ऐसा लगा जैसे वो जानती हो उसे, वो लड़की भी उसे ऐसे ही देख रही थी जैसे की उसे पहचानती हो। कुछ पल के लिए वो दोनों एक दुसरे को ऐसे ही देखते रहे। जब अल्फिया की नज़र उसके चेहरे से हटी और उसने अयान की तरफ देखा तो वो दुकान से बाहर जा रहा था। अल्फिया अयान की तरफ जाने लगी लेकिन उसके पहुंचने से पहले ही उस लड़की ने अयान को अपनी गोद में उठा लिया और कहने लगी "आप भला अपनी मम्मी से दूर कहा भाग रहे है। नाम क्या है आपका? " अल्फिया ने मुस्कुराते हुए अयान को गोद में लिया और जवाब दिया "अयान। " इतना कहकर वो दूकान से बहार निकल गयी। वो गली में खड़ी रिक्शा ढूंढ रही थी की तभी किसी ने पीछे से उसका नाम पुकारा "अल्फिया।" उसने मुड कर देखा तो वही लड़की वह खड़ी थी। उसके चहरे पर बड़ी सी मुस्कान थी। वो लड़की तो यहाँ की लग भी नहीं रही थी। ऐसा लग रहा था की कोई टूरिस्ट हो तो फिर वो अल्फिया को कैसे जानती थी भला।
अल्फिया ये सब सोच ही रही थी इतने में वो आकर उसके गले लग गयी। अल्फिया को अभी भी समझ नहीं आ रहा था की वो कौन है। जब उस लड़की ने अल्फिया के चेहरे पर सवाल देखे तो उसने पूछा की "तुमने मुझे अभी भी नहीं पहचाना। नंदिनी , दिल्ली से। " उसका नाम सुनते ही अल्फिया भी ख़ुशी के मारे पागल हो गयी।
फिर वो नंदिनी को अपने घर ले गयी। जब वो दोनों उसके घर पहुंचे तो नंदिनी के चेहरे की मुस्कान गायब हो गयी। अल्फिया ने उसकी तरफ देखा लेकिन कुछ कहा नहीं। चुप चाप अंदर चली गयी नंदिनी भी उसके पीछे पीछे अंदर आ गयी।
दोनों के अंदर आने के बाद अल्फिया ने कहा "तुम्हरो मुस्कान कहाँ गायब हो गयी। मेरा घर इतना बुरा है क्या ?"
नंदिनी ने कुछ जवाब नहीं दिया वो दीवार पर लगी इमरान की तस्वीर को देखे जा रही थी। कुछ पल बाद नंदिनी ने उससे उल्टा सवाल किया "तुम मेरी चिट्ठियों का जवाब क्यों नहीं दे रही थी इतने दिनों से ?"
अब सवाल करने की बारी अल्फिया की थी "पर मुझे तो तुम्हारी कोई चिठ्ठी मिली ही नहीं। याद है तुमने कुछ महीनों पहले एक चिठ्ठी के साथ यूनिवर्सिटी के दाखिले के फॉर्म भेजे थे। उस दिन मैंने और इमरान ने फैसला लिया था की मई अब नहीं लिखूंगी। मैंने तुम्हे चिठ्ठी में बताया तो था। मुझे लगा तुम समझ गयी होगी। ऐसा क्यों कह रही हो की तुम्हारी चिठ्ठी का जवाब नहीं दिया। "
"तो तुम कह रही हो की तुम्हें उसके बाद मेरी एक भी चिठ्ठी नहीं मिली ?" नंदिनी ने पूछा।
अल्फिया ने अपनी गर्दन हिलाकर ना में जवाब दिया। नंदिनी उसके पास आई और उसका हाथ पकड़ कर उसे सोफे के पास ले गयी। जब अल्फिया सोफे पर बैठ गयी तो उसने उसके सामने बैठ कर सब बताना शुरू किया।
"अल्फिया मुझे कभी तुम्हारा जवाब मिला ही नहीं अगर मिला होता तो मै शायद इतना परेशान नहीं होती। तुम्हे पता भी है की पिछले कुछ महीनो में कितना सब हो गया है। पता नहीं मैंने तुम्हे कितनी ही चिठियाँ लिखी पर तुम्हारा कभी कोई जवाब ही नहीं मिला। मेरे पास तुम्हारा फ़ोन नंबर भी नहीं था।मै तुम्हे ढूंढने आना चाहती थी लेकिन मेरे घरवाले राज़ी नहीं हुए। पता है पिछले महीने मेरी शादी हो गयी , मैंने तुम्हे कार्ड भी भेजा था लेकिन तब भी तुम्हारा कोई जवाब नहीं आया। एक पब्लिशर ने तुम्हारी कहानियाँ अखबार में पढ़ी थी। उसने हमारे दफ्तर आकर तुम्हारे बारे में पता किया ,वो चाहते है की तुम उसके लिए किताब लिखो। जब मैंने कहा की तुमसे कोई राब्ता नहीं है और शायद तुम लिखना भी न चाहो तो उसने कहा की वो फिर भी एक बार तुमसे बात करना चाहेंगे। वो हर हफ्ते फ़ोन करके पूछते है की तुमसे कोई बात हुई के नहीं।मै यहाँ इस शहर में घूमने नहीं आई थी बल्कि तुम्हे ढूंढने आई थी। मेरे पति को यहाँ कुछ काम था तो मै भी जिद करके उनके साथ आ गयी। मै पिछले पांच दिनों से तुम्हे पूरे शहर भर में ढूंढ रही हूँ। मैंने डाकखाने से पता किया तो उन्होंने कहा की सारी चिट्ठियां इसी पते भिजवाई गयी है। पर तुम्हे एक भी नहीं मिली। दो दिन पहले मै खुद भी यहाँ आई थी। जब तुम्हारे बारे में पूछा तो इस आदमी ने मुझे घर से धक्के मार कर बहार निकाल दिया। सारे मोहल्ले को इकट्ठा करके तमाशा किया और मुझे पुलिस की धमकी भी दी। " उसने इमरान की फोटो की तरफ इशारा कर कहा।
