जाना नहीं
जाना नहीं
रात के अंधेरे में खाली सड़क पर कमल चले जा रहा था। उसे अपने तेज़ कदमों और बारिश की बूंदो के बीच किसी के उसके पीछे चलने का एहसास तक नहीं हुआ। वो बस चले जा रहा था।
कामिनी भी चुप चाप बिना कुछ कहे उसके पीछे पीछे चल रही थी। अस्पताल कई किलोमीटर पीछे ही छूट गया था। कमल अब भी नहीं रुक रहा था। जब कामिनी के पैरों ने जवाब दे दिया तब उसने पीछे से आवाज़ लगाई "तुम्हारे इस तरह दूर चले जाने से मुसीबतें तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ने वाली और मैं तो बिलकुल भी नहीं।"
कमल ने पीछे मुड़कर देखा तो कामिनी खड़ी मुस्कुरा रही थी। उसने कामिनी को कस के गले लगा लिया और रोने लगा। उसने कामिनी की आँखों में देखा और बोला " अगर तुम चाहो तो भी मैं तुम्हें छोड़ने नहीं वाला। फिर तुम्हारे कैंसर से लड़ना पड़े या अपने ससुर जी से।"
