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PRIYANKA YADAV

Drama

3  

PRIYANKA YADAV

Drama

एक किस्सा अधूरा सा-9

एक किस्सा अधूरा सा-9

4 mins
560

अयान को सुलाने के बाद जब अल्फिया बहार हॉल में आई तो इमरान वहां नहीं था। वहीं सोफे पर बैठ कर वो उसका इंतज़ार करने लगी। बैठे बैठे उसकी आँख लग गयी। आँख खुली और उसने घड़ी की तरफ देखा तो रात के तीन बजे थे। उसे लगा की शायद इमरान आकर अंदर सो गया होगा। वो अंदर गयी तो अयान अभी भी सो रहा था। इमरान का वह कोई नामो निशाँ नहीं था। अब उसे चिंता होने लगी थी। पर वो कर भी क्या सकती थी इंतज़ार के अलावा। न ही तो वो इतनी रात को किसी के पास फ़ोन कर सकती थी न ही खुद जाकर उसे ढूँढ सकती थी। वो वही कमरे में पड़ी कुर्सी पर बैठ गयी और सोचने लगी की आखिर इमरान को इतना गुस्सा क्यों आया भला। उसने वो फॉर्म खुद थोड़े न मंगाए थे न ही वो इमरान को बिना बताये कुछ करने वाली थी। बल्कि वो ऐसा कुछ करने वाली ही नहीं थी। एक पल के लिए भी वो इमरान और अयान से दूर नहीं जा सकती थी। यही सब सोचते सोचते सुबह हो गयी। इमरान अब तक भी नहीं लौटा था। वो रसोई में गयी तो वहाँ रात का खाना वैसे का वैसा रखा था। दोनों में से किसी ने भी कुछ नहीं खाया था। उसने रात के खाने को फ़ेंक कर बर्तन साफ किये। सुबह से 7 बज गए थे पर इमरान का अब तक कोई पता नहीं था। जब उससे नहीं रुका गया तो उसने अयान को गोद में उठाया और इमरान को ढूंढने के लिए बहार निकली। बहार निकली तो देखा की इमरान सीढ़ियों पर बैठा था। वो भी चुपचाप उसके पास जाकर बैठ गयी। कुछ देर दोनों ख़ामोशी में बैठे रहे। कुछ देर बाद इमरान ने अयान को अपनी गोद में ले लिया और अल्फिया की तरफ देख कर बोला बहुत भूख लगी है कुछ खाने के लिए बना दो। फिर वो अयान को गोद में लिए अंदर चला गया। अल्फिया बस खुश थी की इमरान लौट आया था। वो खाना बनाने के बाद कमरे में आयी तो अयान अपने पालने में खेल रहा था। इमरान नहाने के लिए बाथरूम में गया था। बिस्तर पर उसके कपड़े पड़े हुए थे। उसे लगा की शायद इमरान ने अपने कपड़े ढूंढते हुए वह बिखेर दिए होंगे। उसने अलमारी खोली तो देख कर चौक गयी। इमरान ने वो कपड़े ऐसे ही नहीं निकाल दिए थे। उसने एक बार फिर बिस्तर की तरफ मुड कर देखा। वहाँ एक भी सूट लाल रंग का नहीं था, और अलमारी में लाल के अलावा कुछ नहीं। 

वो उधेड़बुन में खड़ी ही थी कि इमरान तोलिये से बाल पोछते हुए बहार निकल आया। अल्फिया को देख कर वो मुस्कुराने लगा। फिर अल्फिया से पूछा "नाश्ता बना लिया तुमने।" अल्फिया ने हाँ में गर्दन हिला दी। इससे पहले की वो कुछ पूछती या कहती इमरान ने अलमारी से एक लाल सूट निकाला और उसे अल्फिया के हाथ में देते हुए बोला "मैंने अयान को नहला दिया है,तुम भी जल्दी नहा लो। नाश्ता करने के बाद आज घूमने चलेंगे। आज मैंने दफ्तर से छुट्टी ली है। " अल्फिया ने सूट लिया और नहाने चली गयी। वो अब भी समझने की कोशिश कर रही थी की आखिर ये हो क्या रहा था। वो इमरान के बहुत अच्छे से जानती थी। उसे पता था की जब तक इमरान कुछ तोड़ फोड़ न ले तब तक उसका गुस्सा शांत नहीं होता। तो फिर आज वो शांत कैसे है। जब वो अंदर बाथरूम में थी तो उसे बहार से आवाजे आ रही थी। इमरान कुछ ढूंढ रहा था। वो जल्दी से नहा कर बहार निकली। बहार आकर देखा तो बिस्तर पर अब सिर्फ कपड़े नहीं थे। उसकी सारी किताबे भी इमरान ने अलमारी से निकाल कर वही रख दी थी। वो सारे अखबार जिनमें उसकी कहानियां छपी थी, नंदिनी की चिट्ठियां जो उसने संभल कर रख रखी थी , यूनिवर्सिटी के वो फॉर्म जिन्हे नंदिनी ने भेजा था। अल्फिया को देख कर इमरान फिर से मुस्कुराने लगा बिल्कुल वैसे ही जैसे पहले किया करता था। पर अल्फिया नहीं मुस्कुरा पायी क्योंकि उसका सारा ध्यान तो बिस्तर पर पड़े उसके सामान की तरफ था। इमरान ने जब अल्फिया को बिस्तर की तरफ देखते देखा तो वो आगे बढ़ा और सारे सामान को वह से उठा लिया। उस सामान को उठा कर वो घर के पीछे वाले आँगन में ले गया और ज़मीन पर पटक दिया। मिट्टी का तेल छिड़का और आग लगा दी। अल्फिया के सामने उसकी वो छोटी दुनिया एक पल में जल गयी। रही तो बस राख। 


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