रेसिपी

रेसिपी

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कल हमारे मित्र राजू मिल गए। उन्होंने बताया कि आजकल, जब से पॉलिथीन बंदी पर सख्ती है, तब से स्वतः ही हमारे यहाँ नई-नई रेसिपियों के प्रयोग हो रहे हैं।

पॉलिथीन पर बिना सख्ती के समय, हफ्ते भर के लिए एक-एक सब्जी अलग-अलग पॉलिथीन में खरीद कर कपड़े के झोले में डालते जाते थे लेकिन अब सब्जियां खरीदते जाओ और कपड़े के झोले में भरते जाओ। सब कुछ रल मिल गुड़मुड़ा जाता है।

घर पर उनकी पत्नी नीरा सब्जी अलग-अलग छाँटती जाती है और राजू भाई को डाँटती जाती हैं, खास कर फ्रेंच बीन्स, गवांर फली, लोभिया एवं हरी लम्बी मिर्चा को अलग-अलग करने में, राजू भाई का बैन्ड बजा देती हैं।

मित्र राजू ने आगे बताया कि वह सब्जियां फ्रिज की बास्केट में भर दी जाती हैं और फिर एक-एक कर के बनती जाती हैं।

एक दिन तोरी (तुरई) बनी। फ्रिज की बास्केट में नीचे की तरफ एक तुरई रह गय। अगले दिन लौकी बनी, उसमें बची हुई एक तुरई सलटा दी गईष यह था नई रेसिपी का प्रयोग।

एक दिन करेले बने। तुरई की तरह ही एक करेला बास्केट में बच गया। अगले दिन मिक्स सब्जी बनी। फ्रेंच बीन्स, शिमला मिर्च व् विलायती गाजर की। उसमे बचा हुआ एक करेला सलटा दिया गया। बची हुई दो गँवार फलियाँ भी सलटा दी गई। वह भी बिना किनारे साफ़ किये।

यह भी था नई रेसिपी का प्रयोग। इस डिश का नाम मित्र राजू अभी तक ढूंढ़ रहे हैं। आप मदद करें......

मित्र राजू ने बताया कि हाल ही में वो मुरथल (सोनीपत) गए थे। वहाँ सड़क पर लगभग ५० – ६० ढाबे हैं। वहाँ ढाबों में एक परांठा १५ मिनट में खाने पर १ लाख रूपये का इनाम है। वह परांठा दो किलो आटे का बनता है। राजू भाई ने बताया की अब तो यह मुमकिन नहीं, लेकिन अगर अब से ५० साल पहले यह शर्त होती तो उसके कम से कम दो तीन चाचा रोज यह इनाम जीतते...........


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