रब ने बना दी जोड़ी

रब ने बना दी जोड़ी

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सुरैया अपनी ज़िन्दगी में बड़ी सादगी पसंद थी और बहुत ही प्यारी उसकी नज़ाकत देखते ही बनती, घर -गृहस्थी में निपुणउसकी अम्मी को ये फिक्र थी कि इस बिना बाप की बेटी की शादी कैसे होगी।

अम्मी ने सिलाई के काम कर के और थोड़ा बहुत सुरैया के अब्बू जो पैसा छोड़ गए थे उससे दोनों माँ-बेटी का गुज़ारा कर रही थी। जैसे-तैसे सुरैया को 12वीं तक की पढा़ई भी करवा दी थी, उस पर सुरैया की ताई अम्मी, फूप्पियां सुरैया की अम्मी को ताने मारती थी। अरे इसको संभाल कर रख पता नहीं कहाँ मुंह काला कर आएगी। उसकी माँ ख़ामोश हो कर रह जाती। बस अल्लाह से यही दुआ करती मेरी बच्ची का नसीब अच्छा हो *मेरे रब*।

सुरैया का बचपन अपने ताया अब्बू की शफ़क़त मैं गुज़रा ताया अब्बू अपने बच्चों के लिए कुछ भी लाते वो ही सब सुरैया के लिए भी आता, उसकी ताई अम्मी बहुत झगड़े मचाती।

पर ताया अब्बू का दुलार कम न होता, ताया अब्बू के दो बेटे और एक बेटी सलमा, बेटे थे फरहान और नवेद, ये चारों बचपन से साथ ही खेलते हुए बड़े हुए फरहान हमेशा से बहुत संजीदा लड़का था जबकि नवेद और सलमा सुरैया से एक या दो साल बड़े थे।

फरहान की ग्रेजुएशन के बाद ताया अब्बू ने उसे बाहर पढ़ने भेजने के लिए पासपोर्ट बनवा दी और लंदन की किसी यूनिवर्सिटी में एडमिशन हो गया।

फरहान अपने अम्मी और अब्बू को जाते वक़्त ये कहकर बता गया कि मैं पढ़ाई पूरी करके आने के बाद मै सुरैया से शादी करना चाहूंगा, वही मेरी **सोलमेट**है ताई अम्मी तो बहुत ज़्यादा तिलमिला गई, मैं ये होने ना दूंगी , ताया अब्बू ने समझाया अभी बच्चा बाहर जा रहा है। तुम बेकार की बात को तुलना ना दो। ये बताओ अगर बच्चों की ख़ुशी में माँ-बाप ख़ुश होते हैं। अगर फरहान ख़ुशी सुरैया को अपनी लाइफ-पार्टनर बनाना चाहता है तो क्या बुराई।

सुरैया और उसकी माँ को ख़बर नहीं थी। फरहान अपनी चच्ची अम्मी औरसुरैया से भी जाने से पहले मिलने आया, चच्ची अम्मी ने फरहान को ख़ूब दुआएं दी।

इधर कुछ दिन निकले फरहान की अम्मी सुरैया के लिए लड़कों के रिश्ते देखने लगी। सुरैया की अम्मी से हर कभी यही कहती। अरे वहीदा जैसे हमारी सलमा है वैसे ही सुरैया है अब देखो ना सलमा के अब्बू को ही तो करना है ,इसकी भी शादी करने की ज़िम्मेदारी इसके ताया अब्बू की ही है, ये ठहरी यतीम (बिना बाप की) आजकल लड़के वाले बहुत दहेज़ की मांग करते हैं।

सुरैया की अम्मी को बड़ा अटपटा लग रहा था, कि मेरी जेठानी ने सुरैया के अब्बू के इंतक़ाल (मृत्यु) के बाद कभी ठीक से बात नहीं की हमेशा चिढ़ कर बात करती थी, मगर आजकल इनमें ये तब्दीली जदछुकैसे ?

एक दिन फरहान कीदोस्त की अम्मी रज़िया जो कि सुरैया के ही ख़ानदान से थी सुरैया की अम्मी से मिलने आई और उन्होंने बताया कि तुम्हें मालूम है वहीदा फरहान जाने से पहले अपने अम्मी और अब्बू को कह गया है मै पढ़ाई पूरी करके आ जाऊंगा तो सुरैया से ही शादी करुंगा , अब चौकनें की बारी वहीदा की थी।

सुरैया और वहीदा ख़ामोश थी, उनकी उलझनों में और इज़ाफ़ा करने के रास्ते खोल गया था फ़रहान। वहीदा को अपनी जेठानी का बर्ताव वैसे ही कुछ-कुछ समझ में आ रहा था, के भाभी इतनी तेज़ी से उनके अपने ख़ानदान के अजीब- अजीब लड़कों के रिश्ते ला रही थी। कभी कोई टेलर, तो कभी किराने की छोटी सी दुकान वाला, कभी बेरोजगार वहीदा मना कर-कर के थक गई, वो भाभी को समझाती अभी सुरैया 16 साल की हुई है। इतनी जल्दी शादी नहीं करना है।

फरहान को उसके दोस्तों से ख़बर लगती है, तुम्हारी अम्मी सुरैया की शादी की तैयारी में है हमनें तुम्हें उन लड़कों के फोन नंबर भेजें है जो सुरैया को देखने आए थे अब तुम देख लो क्या करना है।

फरहान ने वहाँ से उन लड़कों को बता दिया कि सुरैया की शादी मुझसे बचपन में दादी अम्मा और दादा अब्बू ने तय कर दी थी।

इसलिए आप लोग ना सोचें सुरैया से शादी कर लेंगे

ये होता है सोलमेट फरहान का पक्का इरादा कोई नहीं डिगा पाया।


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