Gulafshan Neyaz

Abstract

5.0  

Gulafshan Neyaz

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रौशनी

रौशनी

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रोशिनी फूफी मेंरी ही गाँव की हैं। नाम रोशनी हैं पर उनके जिंदगी मैं मुझे दूर दूर तक रोशनी दिखाई नहीं देती।

सांवला रंग तीखे नैन नक्श हाइट में थोड़ी कम रोशनी फूफी तीन बच्चों की माँ है। पर कोई उन्हें देख कर कह नहीं सकता के वो तीन बच्चो की माँ हैं उनको दो बेटा और एक बेटी हैं उनकी कद काठी देख कर लगता ही नहीं के वो शादी सुदा भी हैं।

रौशनी फूफी को मैंने हमेशा अपने मायका में ही देखा और मैं जब भी उनके यहाँ जाती मैं हमेंशा उनको सिलाई करते होए ही देखती ऐसा लगता की जैसे वो सिलाई मशीन की तरह वो खुद मशीन ही बन गई हो वो पूरे गाँव के लोगो का कपड़ा सिलती और कुछ लडकियो को सिलाई भी सिखाती पर उनके सौहर को मैंने कभी नहीं देखा या उनके बारे में कभी जानने की कोशिश ही नहीं की एक दिन रात में माँ के साथ सोइ होई थी तभी मैंने रोशनी की बात छेड़ दी अम्मा रोशिनी फूफी के सोहर मर चुके है क्या क्योकि मैंने उन्हें कभी नहीं देखा तो माँ ने बताया की उनकी माँ बाप मजदूरी करने उउ पी गए थे साथ मैं रोशनी फूफी भी गई थी। उनकी उम्र कम थी फिर भी उनकी शादी वही एक मजदूर से कर दी गई।

जो जादू का खेल दिखता था। शादी के कुछ दिन बाद ही एक बेटा होवा जिसका नाम जहान रखा उसके बाद या लोग गाँव आ गए उसके बाद उनका पति गाँव मैं ही रहने लगा और इनको एक बेटी होई पिंकी उनका सौहर फ्रॉड था उसने लोगो को चुना लगाना शुरू किया और रोशनी के सारे गहने बेच डाले अब मियां बीवी मैं लड़ाई होने लगी दो बच्चों का बोझ तीसरा पेट मैं था लोगो के समझाने पर वो बाहर गया उसके बाद वापस ही नहीं आया। फिर तीसरा बेटा होवा रियान। बेचारी अकेली औरत तीन तीन बच्चों का बोझ उन्होंने अपने सौहर के बारे में बहुत पता किया बाद मैं उसी ने फ़ोन कर के बताया के उसने दूसरी शादी कर ली। बेचारी पर दुखो का पहाड़ टूट परा पर उन्होंने खुद को टूटने नहीं दिया खुद को समेंट कर ख़रा किया और अपने बच्चों को पढ़ाने लिखाने के लिए उन्होंने सिलाई सीखी। लोगो ने कहा दूसरी शादी कर। लो इतनी छोटी उम्र हैं जिंदगी बहुत लम्बी है बच्चे छोटे हैं कैसे कटेगी जिंदगी पर उन्होंने किसी की नहीं सुनी वो अपने बच्चो के माँ और बाप दोनों बनी। खुद को मशीन बना लिया अपने बच्चो के खुशी के लिए हर कुछ किया जो एक माँ और बाप को करना चाहिए

पर मुझे बहुत अफ़सोस हैं उनका कोई बच्चा कामयाब नहीं होवा तीनो ने अलग और टेड़े मेढे रास्ते को चुना लोगो को कहने का मौका दिया सैयद बाप होता तो ऐसा नहीं होता उनके सारे त्याग बेकार होते होए मुझे नज़र आए काश उनके बच्चे समझ पाते की उनके माँ ने उनके लिए कितनी मेंहनत की कितनी क़ुरबानीया दी हैं अपने अरमानो का अपनी खुशियों का अपनी जिंदगी से सारे रंग निकाल कर अपने बच्चों के जिंदगी मैं रंग भरा पर सैयद उनके बच्चे समझ जाए और अपने माँ के ज़िन्दगी को सच मैं रोशनियों से भर दे बेटा तो छोरो बेटी भी कम नहीं जब देखो मेंकअप की दुकान बनी फिरती है। उन्होंने उनको बहुत पढ़ाने की कोशिश की पर पिंकी को मेंकअप से फुर्सत मिले तब ना पता नहीं वो इतना अच्छा मुम्बइया भाषा कैसे बोल लेती हैं मैं तो आजतक बोल नहीं पाइ मैं उसको जब भी स्कूल जाते होए देखती हुँ तो ऐसा लगता हैं जैसे वो स्कूल नहीं किसी फैशन सो में जा रही हो।

गाँव में दूर दूर तक उसके फैशन के चर्चे हैं बेटों का पूछे ही मत बड़े मियां तो बड़े मियां छोटे मियां सुब्हान अल्लाह आपने या कहावत तो सुनी ही होगीं। बस वही कहावत उनके दोनों बेटों पर लागू होती हैं बड़ा को ना पढ़ने में दिल लगा ना कमाने में पारा रहता हैं घर पर अक्सर बालो को लाल रंग में रंगे हनी सिंह बाल काटे होए ढीली टीशर्ट फटी जीन्स कान में हैडफ़ोन लगाए बेपरवाह अंदाज़ हैं उसका जिसे देख मुझे बहुत अफ़सोस होता हैं और खूब कोशने का दिल करता हैं

अब छोटे साहब जादे अक्सर किसे के बाग़ बगीचे से फल तो कभी किसी के घर से पैसा चोरी करते होए पकड़ा जाता हैं ऐसा लगता हैं जैसे उनका बेटा नहीं उनकी माँ ने चोरी की हो वैसे रोशनी फूफी सर झोक्ये खरी होती है।

एक दिन मैंने कह ही दिया आखिर क्यों करती है इतनी मेंहनत इन लोगो को आपकी फ़िक्र ही नहीं उन्होंने हॅसते होए कहा मेंरे बच्चे या ना बोले अगर अब्बू होते तो या दिलाते

।मैंने इसके बाप से उम्मीद नहीं की या तो बच्चे हैं में चाहती हूँ मेंरे फर्ज़ में कोई कमी ना रहे मैं माँ और बाप दोनों का फर्ज़ पूरा करों बाकि जो अल्लाह की मर्ज़ी इतना कह कर वो मशीन पर अपने पाओ मारने लगी जैसे वो मशीन से खुद की ताल मेल मिला रही हो मशीन ही तो बन गई थी वो ना खुशी ना कोई गम ज़िन्दगी के हादसों ने उनसे उनके एहसास तक को छीन लिया था। 


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