Gulafshan Neyaz

Tragedy

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Gulafshan Neyaz

Tragedy

हाउस वाइफ

हाउस वाइफ

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बाहर हल्की हल्की बारिश हो रही थी! रूम मे बैठें बैठें बोर हो गयी,

सोचा एक कप चाय ही पी लू मूड फ्रेश हो जायेगा, हाथ मे चाय का प्याला और बाहर हल्की हल्की बारिश वाह्ह्हह्ह्ह्ह क्या मौसम है "

पर मुझे क्या बारिश हो आंधी हो मुझे कहां जाना है, मेरी ज़िन्दगी तो किचन से शुरू होकर किचन मे ही खत्म होती है!सुबह के नाश्ते के बाद दोपहर का खाना, और दोपहर के खाने के बाद रात का खाने मे क्या बनाऊं ,यही सब सोचने मे बाकी वक़्त गुजर ही जाता है

सोचती हूं बच्चे कॉलेज से आये तो थोड़ा वक़्त उनके साथ गुज़ारू पर वो आते ही मोबाइल लेकर कमरें मे बंद हो जाते है!मैं भी अपने बच्चों के साथ मोबाइल देखने की कोशिश करती हूं, पर बच्चे बुरा मान जाते है, उन्हें लगता है मैं उनकी प्राइवेसी मे दखल दे रही हूं!

मैं उनके प्राइवेसी मे दखल देना नहीं चाहती मैं तो बस उनके साथ समय बिताना चाहती हूं!

आखिर माँ हूं उनकी मुझे भी तो हक है उनके साथ समय बिताने का खैर छोड़ो इन बातों को अब इनको ही देख लो ऑफिस के काम मे इतना बिजी रहते हफ्ते मे एक दिन हॉलिडे मिलता है वो भी सो कर गुज़ार देते है!

शुरू शुरू मे बहुत दिल करता था!कहीं साथ मे घूमने जाय कम से कम टेरेस पर बैठ कर ही दोनों एक कप सुकून की चाय पिए ,एक दिन इनसे कहा भी आपको तो मेरे लिए वक़्त नहीं दोटुका सा जवाब दे दिया!

तुम्हें क्या मालूम ऑफिस मे काम करना क्या होता है

ये कोई तुम्हारा किचन नहीं जहां  मसालो का डब्बा रखा है

ये ऑफिस का काम होता है, मैं खामोश हो गयी, उन्हें क्या मालूम उन्ही मसलों को हर सब्जी मे डाल डाल कर कैसे बैलेंस बनाया है, ताकि आपकी सेहत और जीभ का स्वाद दोनों बना रहे!

क्या हॉउस वाइफ होना शर्म की या छोटी बात है, मेरे हिसाब से तो नहीं पर मालूम नहीं समाज का ये कौन सा आईना है जिसे लगता है हॉउस वाइफ है कुछ नहीं करती!

हाँ मैं हूं हाउसवाइफ जो ना कुछ करके भी बहूंत कुछ करती हूं वो भी बिना किसी सैलेरी के और रखती हूं सबके खुशी का ख्याल भले ही कोई मेरी खुशी का रखे या ना रखे। 


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