Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!
Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!

Gulafshan Neyaz

Abstract

4.5  

Gulafshan Neyaz

Abstract

परी

परी

8 mins
114


घर के दहलीज पे कदम रखते ही भीनी भीनी पकवान की खुश्बू आने लगी। मैं जैसे ही अंदर पहुंचा तो देखा बड़ी और मझली भाभी रसोई मे तरह तरह के पकवान बनाने मे बिजी है।

माँ पापा को क़ल क्या बनेगा और नास्ते और खाने मे क्या क्या आयटम होगा वो बता रही थी। माँ मुझे देखते ही बोली अरे बड़ी मदन को जरा गुछिया और नमकीन देना और हाँ वो जो परी ने पास्ता और पिज़्ज़ा बनाया हैँ। वो भी देना मुझे समझते देर नहीं लगी जरूर परी को रिश्ते के लिए कोई ना कोई देखने आ रहा है।उसी के सवागत मे ये तरह तरह के पकवान और परी को पिज़्ज़ा पास्ता की क्लास दी गई होंगी।मैं चुप चाप अपना बैग रैक के एक कोने मे रखकर फ्रेश होने चला गया। वापस आया तो मझली भाभी नास्ता लेकर खड़ी थी।माँ ने उसे घूरते हुई कहा अब खड़ी रहेगी या चाय लाकर भी देगी।ऊपर से क़ल लड़के वाले आ रहे है ।

घर मे इतना सारा काम है।जल्दी जल्दी हाथ चला साफ सफाई भी करनी है।भाभी बुरा सा मुँह बनाते होय रसोई की तरफ चल पड़ी। मैं खामोशी से तस्तरी मे पड़ी हुई गुछिया नमकीन और पास्ता को देख रहा था। और माँ के कुछ बोलने का इंतजार

कुछ देर ख़ामोशी के बाद आखिर माँ ने बोलना शुरू कर ही दिया ।

कल परी को देखने लड़के वाले आ रहे है।कल ऑफिस से छुट्टी ले लेना माँ इतना कह कर मेरा मुँह देखने लगी सायद उन्हें मेरे जवाब का इंतजार था।पर मैं ख़ामोश रहा क्योकि मेरे अंदर एक अजीब सी घुटन हो रही थी। मन ही मन सोचने लगा माँ ने परी को सो पीस ही बना दिया ।

पर कंही ना कंही वो भी सही तो है परी की उम्र भी तो हो गई शादी की उसके साथ की लड़कियो की शादी भी तो हो चुकी है।और वो सब एक दो बच्चे की माँ भी है

आज सुबह से ही बड़ी और मझली भाभी भाग भाग कर काम कर रही थी

शाम मे लड़के वाले जो आने थे।आज घर का कोना कोना चमक रहा था।बेसन और हल्दी का लेप लगाए पड़ी एक कोने मे बैठी थी।और उसके चेहरे की चमक गायब थी।जिसे देख कर मुझे बहुत दुख हुआ, मैं परी के पास जाकर बैठ गया ।

मदन भैया परी धीरे से डरी हुई आवाज़ मे बोली।तो मैंने उसके पीठ को थपथपते होवे बस इतना बोला सब ठीक होगा मेरी गुड़िया।पर अंदर ही अंदर कंही ना कंही मैं भी डरा था।कंही उन्होंने ने भी ना कर दिया तो मेरी मासूम बहन का दिल और हिम्मत दोनों टूट जायेगा।पर होनी को कौन टाल सकता यंहा से भी ना की ही खबर आयी और परी के साथ साथ पुरे घर वालो की हिम्मत टूट गई।

अब माँ को अपने फैसले पर अफ़सोस हो रहा था।माँ को लगता था की क्या होगा परी को पढ़ा लिखा कर तीन भाई की छोटी बहन है।ईतनी ज़मीन जायदाद है। कोई भी शादी कर लेगा।परी माँ के बातो मे बहकती गई।शुरू शुरू मे बहुत रिश्ते आये।तो परी ने सबको इंकार कर दिया।मैंने उसे बहुत समझाने की कोशिश की मर्द वो होता है।जो अपनी पत्नी की इज्जत करे पर उसने अपने दिमाग़ मे अपने जीवन साथी की एक अलग ही तस्वीर बना ली थी ।

जो उसे आने वाले रिश्ते मे नहीं दीखता।धीरे धीरे रिश्ते भी आना बंद हो गए।अब परी की उम्र भी बढ़ने लगी

जिसकी झलक उसके चेहरे पर साफ दिख रही थी।अब लड़के वाले उसे मना करने लगे। जिसने उसे चिड़चिड़ा बना दिया ।

अब उसका आधा वक़्त भाभियों से लड़ने मे जाता।इस रिश्ते की ना ने मेरी भी हिम्मत तोड़ दी।मैंने नीलू के पिता से वादा किया था।जैसे ही परी की शादी होंगी मै नीलू से शादी कर लूंगा।आखिर वो दो साल से इंतजार कर रहे।और कब तक करेंगे।मन मे अजीब सी बेचैनी थी ।

रात मे नींद नहीं आ रही थी।बार बार दिमाग़ मे नीलू का मासूम चेहरा घूम रहा था।पहली बार ज़ब वो ऑफिस आयी थी। गुलाबी सूट और हलके मेकअप मे डरी सहमी पता नहीं उसे देखते ही दिल जोरो से धड़क उठा ऐसा लगा जैसे अभी बाहर आ जाय।वो तो अक्सर इसी बहाने मे रहता की किसी तरह उस से बात हो जाय।ज़ब वो कुछ बोलती तो ऐसा लगता जैसे मोती झड़ रहे हो।वो दिन बेदिन मदन को और दीवाना बनती जा रही थी ।

बहुत प्यार करता था।नीलू से किस मुँह से उसे मना करेगा वो भी कितना प्यार करती है। उसकी हर छोटी छोटी खुशी का ख्याल रखती है।पर सच्चाई तो यही है ज़ब तक परी की शादी नहीं हो जाती वो नीलू को नहीं अपना सकता कब तक उसे झूठी उम्मीद मे बांध कर रखेगा।उसके माँ बाप के भी कुछ शौक अरमान होंगे कब तक वो अपनी खुशी के लिए उनके शौक अरमानो का गला घोंटे वो नीलू से अलग होने की बात पर ही सहम रहा था।और खुद को अंदर ही अंदर मजबूत कर रहा था ।

पर हकीकत यही थी की वो अंदर ही अंदर बिखर रहा था।उसे अचानक से घुटन होने लगी।वो उठा और घर से बाहर निकल गया सड़के सुन सान थी।आवारा कुत्तो के अलावा एक दो मुसाफिर थे।जो अपनी मंज़िल की तरफ जा रहे थे।एक मदन ही था।जिसे मंज़िल का पता नहीं ।

रात के तीन बज चुके थे। वो थक कर चूर हो चूका था।बिस्तर पर गिरते ही वो बेसुध हो गया। सुबह आँख खुली तो दिन के आठ बज चुके थे।मदन हरबराते होय माँ मुझे ऑफिस जाने मे लेट हो गई।अपने मुझे जगाया क्यों नहीं।इतना कहते होये।टॉवल लेकर बाथरूम की तरफ भागा ।

ऑफिस मे लंच ब्रेक हो चूका था।नीलू और मदन कैंटीन मे बैठे थे।मगर मदन की पलके झुकी थी।नीलू हस्ते होये बोली क्या होवा।क्यो लड़की की तरह शर्मा रहे ।

नीलू मुझे तुमसे कुछ कहना है।प्लीज तुम दिल पर मत लेना।वो कुछ कहता इस से पहले नीलू ने अपनी नाजुक सी ऊँगली उसके होंटो पर डाल दी।मदन मै तुम्हारा इंतजार ज़िन्दगी भर कर सकती हू।इस उम्मीद मे की आज ना कल तुम मेरे होंगे।प्लीज मुझ से मेरे इंतजार का हक मत छीनो। मैं चाह कर भी कुछ बोल नहीं पाया ।

वक़्त गुज़रता गया परी के लिए कोई ना कोई रिश्ता आता रहा ।

कभी परी तो कभी लड़के वाले उसे रिजेक्ट करते रहे।अब उसे इन सब बातो का कोई फर्क नहीं पड़ता।अब वो अपना सारा समय सिलाई बुनाई मे लगाती।मेरी पोस्टिंग आगरा हो गई।माँ पापा ने थक हार कर मेरी शादी नीलू से कर दी।आज मैं एक दो साल की गुड़िया का बाप हू।परी ने शादी बयाह के झंझट से निकल कर खुद को अपने पाओ पर खड़ा कर लिया। परी को सिलाई कढ़ाई आती थी।उसने खुद का बुटीक खोल लिया।परी का नीलू से बनता था।परी ने नीलू से काम चलाओ पढ़ाई भी सिख ली। सब अच्छा चल रहा था।पर कंही ना कंही माँ को परी का अकेलापन खाये जा रहा था।

और मुझे भी मै जितनी कोशिश कर सकता था।करा पर रिजल्ट जीरो अब समझौते वाले रिश्ते आ रहे थे। किसी का डाइवोर्स तो किसी की बीवी जिसके लिए परी बिलकुल राज़ी नहीं थी।संडे का दिन था।सब फुर्सत मे थे। पापा और टीवी पर न्यूज़ देख रहे थे।नीलू और भाभी घर के काम काज मे बीजी थे।परी बच्चों के साथ खेल रही थी।मैं बैठा पढ़े होये पेपर को दुबारा पढ़ रहा था।कंही कुछ छुट तो नहीं गया।तभी बेल बजी।अरे मदन जरा गेट तो खोलना ।मैं भन भनभनाते होये गेट की तरफ बढ़ा कोई चैन से पेपर भी पढ़ने नहीं देता।मैंने जैसे ही गेट खोला एक आदमी खड़ा था।जिसकी उम्र कोई छत्तीस या सैतीस साल होंगी क्लीन सेव वाइट शर्ट्स ब्लैक पैंट लम्बा चौरा उसके साथ एक सात साल का मासूम बच्चा था।जो। बिलकुल खामोश था। मैंने पूछा बोलिये।तो वो धीरे से बोला की क्या परी जी यहाँ ही रहती है।उनके पिता मुकेश जी से मिलना है।मैंने कहा अंदर आये ।पापा और मैं उनके सामने बैठ गया।वो कुछ देर खामोश बैठा रहा ।

उसके बाद उसने जो बात कही।हमलोगो के पांव से जमीन हिल गया।वो खुशी मे था या शॉक मे पता ही नहीं चला ।

नरेन एक कॉलेज मे प्रोफेसर था।उसकी पत्नी का डिलीवरी टाइम देहांत हो गया। उसके दो बच्चे है एक सात साल का बेटा चिंटू एक एक साल की बेटी नाइला दोनों की मुलाक़ात अक्सर पार्क मे होती ज़ब दोनों बच्चे को घुमाने के लिए निकलते धीरे धीरे दोनों मे बातचीत होने लगी।नज़दीकया कब प्यार मे बदली पता ही नहीं चला।परी को उनके बच्चों से बहुत प्यार है और उन्हें लगता है।परी एक पत्नी के साथ साथ एक अच्छी माँ भी बन सकती है।सब खामोशी से बात सुन रहे थे।ज़ब नीलू ने परी की तरफ देखा तो वो नज़रे नीचे क़िये मुस्कुरा दी।कंही ना कंही माँ को उनके दो बच्चों की बात खटक रही थी। पर मैंने और नीलू ने उन्हें समझाया तो वो समझ गई।क्योकि बात यहाँ समझौते की नहीं परी के प्यार की थी। परी का रिश्ता तय हो गया।तो मैंने आखिर उस से पूछ ही बैठा की क्या नरेन् ही था।वो राजकुमार जिसके लिए वो बैठी थी।तो वो शर्मा गई।परी की शादी हो गई।सिंपल शादी समारोह मे परी और नरेन् की शादी हुई।नरेन् को जायदा धूम धाम पसंद नहीं।नरेन् एक अच्छा पति और एक अच्छा इंसान साबित हुए ।उन्होंने। परी का सम्मान किया और परी ने भी माँ और पत्नी दोनों का फर्ज़ पूरा किया।परी ने खुद का बच्चे नहीं क़िये।कंही उसके ममता मे खोट ना हो जाय।नीलू भाभी और माँ ने उसे बहुत समझाया खुद नरेन् ने भी पर वो अपने फैसले से थोड़ी भी नहीं हिली।अब परी की बात परी ही जाने।आखिर मैं परी को अपने सपनो का राजकुमार मिल ही गया। बहुत लोगों ने इस रिश्ते को समझौते से देखा ।पर हकीकत तो यही है।जिस से प्यार होता है उसकी उम्र रंग से कोई फर्क नहीं पड़ता


Rate this content
Log in

More hindi story from Gulafshan Neyaz

Similar hindi story from Abstract