Gulafshan Neyaz

Drama Others

2.4  

Gulafshan Neyaz

Drama Others

सब्र

सब्र

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अरे खा ना कुछ खाता ही नहीं। कितना कमजोर हो गया अरे और माखन ले ना। थोड़ा दूध पिले तब बाहर जाना खेलने 

नहीं अब मुझ से नहीं होगा दादी अपने दोनों पोतो को दूध माखन खिला रही थी। वही पर एक मासूम सी पांच साल की लड़की दाल चावल खा रही थी। उसने दूध और माखन की तरफ पलकें उठा कर भी नहीं देखा तो मुझे बहुत आश्चर्य हुआ इतनी मासूम सी बच्ची और इतनी समझदार बच्चे की माँ बगल मे बैठ कर सब्जी काट रही थी।

आखिर मुझ से रहा ना गया तो मैं पूछ ही बैठी आखिर माजरा क्या है। तो वो शांत स्वर मे बोली अम्मा (सास )का कहना है। की लड़के खायेंगे तो कमायेंगे लड़की को क्या होगा खिला के ये जो बच्ची है उसे बचपन से आदत पड़ी है। इसलिए इसे फर्क नहीं पड़ता इसके अंदर सब्र है।

मैं मन ही मन सोची वाह क्या सब्र है,

जो लड़कियों को जन्मजात ही मिल जाती है।


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