रौनक
रौनक


आदित्य के दादा मिलने क्या आये, घर में रौनक आ गई। आदित्य बहुत खुश है, उसे बातें करने के लिए एक दोस्त मिल गया है। स्कूल से आकर दादा संग खाता है, शाम को दादा के साथ पार्क में खेलता है, रात को कहानियां सुनता है।स्कूल की बातें दादा के संग शेयर करता है।उसकी तो दुनिया ही रंगीन हो गई है। इधर दादा जी का आना आदित्य के पापा के लिए खूब ख़ुशियाँ लाया है, पहले जब वे दफ्तर से लौटते थे, आदित्य का चेहरा लटका हुआ रहता था, बाहर घूमने जाने की ज़िद करता, आते ही सांस भी नहीं लेने देता था, पापा पार्क चलो की ज़िद किये रहता था। अब वह दादा के साथ व्यस्त हो गया है, उन्हें शाम को थोड़ा पढ़ने लिखने का समय मिल जाता है। सुबह की सैर और शाम की चाय का आनंद पत्नी के साथ लिया जा रहा है। आदित्य की मां की तो जैसे दुनिया ही बदल गई है। वह बहुत अनियमित जीवन जी रही थी, न समय पर सोती थी, न समय पर उठती थी। घर को बाई के भरोसे छोड़ सारा दिन मोबाइल में लगी रहती थी। पति सुबह मोर्निंग वोक के लिए कहते तो आलस में मना कर दिया करती, सारा दिन मोबाइल पर बैठकर समय बर्बाद करती थी। किंतु दादा के आने से उसकी दिनचर्या बहुत ही सुखद हो गई है। क्योंकि दादा जल्दी उठते हैं वह भी जल्दी उठने लगी है। सुबह घूमने जाने लगी है, चिड़चिड़ापन दूर हो गया है, चेहरे पर रौनक आ गई है।
एक बुजुर्ग के घर में होने से कितनी सकारात्मकता बनी रहती है,इतनी रौनक आ जाती है, आदित्य की मां ने कभी सोचा न था। जब भी उसके पति अपने पापा को घर बुलाने की बात करते थे, अपनी आज़ादी छिन जाने के डर से वो पति को कह दिया करती थी आप खुद ही मिलने क्यों नहीं चले जाते।किंतु आज उन्हें दादा का साथ रहना बहुत अच्छा लग रहा है। दादा जब भी जाने की बात करते हैं वह किसी न किसी बहाने से रोक लेती है।