रामनवमी
रामनवमी


रामनवमी का पावन त्योहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी मनाया जाता है। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन मर्यादा-पुरूषोत्तम भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था।
"रमंति इति राम:" जो रोम रोम में रहता है वही राम है। राम जीवन का मंत्र है तो राम मृत्यु (राम नाम सत्य है) का भी मंत्र है। राम का नाम भारतीय जनमानस में रचा इस कदर रचा बसा है कि परस्पर अभिवादन में भी "राम-राम" क्षोभ प्रकट करने के लिए भी "राम-राम" आश्चर्य के लिए "हे राम" और यहाँ तक कि समस्त वैवाहिक कार्यक्रम का सपमान भी "राजा रामचन्द्र की जय" से ही होता है। राम सृष्टि की निरंतरता का नाम है यहाँ तक कि महाकाल के अधिष्ठाता संहारक महामृत्युंजय शिव के भी आराध्य "राम" ही हैं।
अल्लामा इकबाल ने भी कहा है:-
"है राम के वुजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़।
अहले नज़र समझते हैं उसको "इमाम-ए-हिन्द"।।
अपने अपने काल मे तुलसीदास, रैदास, दादू दयाल, संत ज्ञानेश्वर, एकनाथ, गांधी , आचार्य विनोबा, विवेकानंद आदि ने भी राम नाम के दिव्य अलौकिक महिमा का वर्णन किया है।वैसे कोई कितना भी लिखें शब्द कम ही पड़ जाएंगे राम की व्याख्या में!