चपलता
चपलता
बात आज से 15 वर्ष पूर्व की है। मेरे बड़े भाई ने बारहवीं उत्तीर्ण कर पटना के एक निजी कोचिंग संस्थान से एक साल IIT की तैयारी कर रखी थी । वैसे हम सबक़ो IIT-JEE एग्जाम में उनसे कोई खास अपेक्षा न थी... इधर मैं भी 2007 में बारहवीं अच्छे अंको से उत्तीर्ण कर गया था। हम दोनों ने साथ-साथ IIT, AIEEE (अन्य NIT संस्थानों में नामांकन हेतु), झारखण्ड कंबाइंड, वेस्ट बंगाल JEE आदि परीक्षा में आवेदन समर्पित कर दिया।
तैयारी दोनों की न थी... कई परीक्षा में हम दोनों एक साथ एक ही बेंच पे बैठे थे परन्तु फिर भी परिणाम आशा के अनुरूप ही रहा। हम दोनों सभी परीक्षाओं में कमोबेश असफल ही रहे, परन्तु वो दौर तो ऐसा था कि आस पड़ोस में सब इंजीनियरिंग ही कर रहे थे तो हम क्यूँ पीछे रहते। अन्ततः ये निश्चित हुआ क़ि हम दोनों का परिणाम जो भी आया हो पर नामांकन के लिए होने वाले काउंसलिंग में अवश्य भाग लेंगे। पर उसमें भी खर्चा था तो फिर केवल किसी एक में ही भाग लेने पर पारिवारिक सहमति बनी। झारखण्ड combined में हमारी रैंक ठीक ठाक थी पर वहां भी सरकारी कॉलेज न मिलता देख मायूस होकर लौट गए।
थक हार कर रांची स्टेशन से सटे एक होटल में खाने के लिए बैठे... होटल में काफी चहल पहल थी... सभी छात्र अपने अपने अभिभावक के साथ थे। उसी समय AIEEE की भी काउंसलिंग चल रही थी जिसमे हमने भाग ही नहीं लिया था। कुछेक छात्र के चेहरे चमक रहे थे... संभवतः उन्हें कोई अच्छी NIT संस्थान आबंटित हुई थी। हम दोनों ने भी सोचा इन सफल छात्रों के साथ ही टेबल साझा किया जाए ताकि सफलता के कुछ गुर सिख सकें। एक छात्र अपने गर्वित पिताजी के साथ जलपान कर रहा था और बाप बेटे लम्बी- लम्बी फेंक रहे थे। हमारी पूड़ी-सब्जी भी टेबल पर आने में देर थी। तब तक उनकी बातें सुनकर frustrate होते जा रहे थे... लड़के का आल इंडिया रैंक चार हजार के आस पास था और उसे NIT भी मिल चूका था। बातों-बातों में हम भी पूछ बैठे कहाँ तैयारी किये थे... उसका उत्तर था कोटा। फिर हमने पूछा कौन सी कोचिंग... लड़के ने जवाब दिया कोचिंग की वैसे जरुरत नहीं थी बस मैंने टेस्ट सीरीज के लिए ज्वाइन किया था... मेरा तो पिछले वर्ष बिना तैयारी के भी अच्छी रैंक आ गयी थी। अब हम दोनों की सहनशक्ति जवाब दे रही थी... लड़के के पिताजी इसी बीच पूछ बैठे आप लोगों का क्या रैंक है? मेरी तो बोलती बंद..अब क्या बताया जाए... पर बड़े भाई ने तपाक से उत्तर दिया 1200... लड़के से पूछा वाह! इतना अच्छा रैंक... आपने कहाँ coaching ली थी... बड़े भाई ने बताया हम दोनों भाई सेल्फ स्टडी करते थे... Coaching के लिए पिताजी के पास पैसे भी नहीं थे। लड़के के पिताजी बड़े भाई की बातें सुनकर आवाक थे। उन्होंने कहा एक आप दोनों हैं बिना कोचिंग के इतनी अच्छी रैंक ले आये और एक ये गधा है 2 साल से कोटा में ही बैठा था... लाखों खर्च हो गए। पता नहीं पढ़ाई करता भी था या नहीं! उनके मुख से अपने पुत्र के लिए ऐसे कटु वचन सुनके हम दोनों अलग ही सुख की अनुभूति कर रहे थे। बाहर आकर जब मैंने जब भाई से पूछा कि उन्हें 1200 रैंक क्यूँ बताया तुम्हारी तो पैंतीस हजार के आस पास है .. वो बोला मैं बेफालतू झूठ नहीं बोलता... वो लम्बी लम्बी फेंक रहा था जब frustration बर्दास्त नहीं हुआ तो ऑल इंडिया रैंक कि जगह स्टेट रैंक बता दिया... वो कौन सा वेरीफाई करने वाला था। ये सुनकर मुझे अपने बड़े भाई में महाभारत के युधिष्ठिर छवि दिखाई देने लगी... अर्धसत्य... 'अश्वत्थामा हतो नरो वा कुंजरो वा'
घर आकर जब मैंने पूरा घटनाक्रम पापा क़ो सुनाया तो वो भी हमारी धूर्तता पर मंद मंद मुस्काये बिना न रह पाए।