शक्ति और क्षमा
शक्ति और क्षमा
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राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने लिखा है
"तीन दिवस तक पंथ मांगते रघुपति सिन्धु किनारे,
बैठे पढ़ते रहे छन्द अनुनय के प्यारे-प्यारे।
उत्तर में जब एक नाद भी उठा नहीं सागर से,
उठी अधीर धधक पौरुष की आग राम के शर से।
सिन्धु देह धर त्राहि-त्राहि करता आ गिरा शरण में,
चरण पूज दासता ग्रहण की बँधा मूढ़ बन्धन में।"
अनुनय विनय का समय अब गया। अब तो एकमात्र उपाय यही है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से होने वाले आगामी संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन में विश्व की महाशक्तियों द्वारा चीन पर दबाब बनाया जाय हो सके तो युद्ध की चेतावनी (परमाणु विकल्प के साथ) भी दी जाय। Stage 5 के उपरांत चीन में जीवन पटरी पे लौट चुकी है, पर्यटन स्थल खोले जा चुके हैं जो केवल Lockdown से कतई संभव नहीं। आखिर ये वायरस भी उनके 𝗪𝘂𝗵𝗮𝗻 𝗜𝗻𝘀𝘁𝗶𝘁𝘂𝘁𝗲 𝗼𝗳 𝗩𝗶𝗿𝗼𝗹𝗼𝗴𝘆 में ही विकसित किया हुआ है। विदित हो कि भारत और अन्य देशों में आंकड़ों में निरंतर वृद्धि जारी है वही चीन में कोरोना संक्रमित की आंकड़े थम से गये हैं और अब उनमें से अधिकांश अब recover भी कर चुके हैं। कहीं न कहीं उनके पास वैक्सीन भी पहले से ही विकसित है पर विश्व इससे अनभिज्ञ है। पर दो गज की दूरी और मास्क पहनने में हमे थोड़ा भी संकोच नहीं करना क्योंकि हमने अबतक इस महामारी पर विजय नहीं पायी है। आशा करता हूँ इस साल के अंत तक भारत कोरोना को मात दे चुका होगा।