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AMIT SAGAR

Inspirational

4.8  

AMIT SAGAR

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राजू टीवी का मिस्त्री

राजू टीवी का मिस्त्री

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मैं‌ राजू टी वी का मिस्त्री, मैं पिछले बीस साल से टी वी का ही काम करता हूँ। मैंन चौराहे पर अपनी दुकान है, जिस कारण चारो तरफ से अधिकतर टीवी मेरे ही पास ठीक होने के लियें आते है, हाँ पर सारे कस्टुमरो का व्यवहार अलग अलग होता है। पर मैंने इन बीस सालो में हर तरह के कस्टूमर को हेण्डल करना सीख लिया है।

अभी पिछले रविवार की ही तो बात है मेरे पास एक ग्राहक आया अपना टी वी ठीक करवाने के लियें, वैसे तो उसके टी वी में थोड़ी ही कमी थी, पर अगर हम मिस्त्री लोग ग्राहक को यह बोलेंगे तो वो हमें इतने पैसे थोड़ी ही दे देंगे जितने की हम उनको बताते है । एक छोटा सा स्पीकर का तार टूट गया था जिस कारण टी वी में आवाज नहीं आ रही थी स्क्रीन का भी एक तार टुटा था जिस कारण पिक्चर बार बार भाग रही थी। दो - एक और छोटी मोटी कमियाँ थी, कुल मिलाकर 200 ₹ काम था पर हम मिस्त्रियों का पेट इतना छोटा नहीं होता कि 200 ₹ में भर जाये। कमि तो मैंने उसकी एक मिनट में ही पकड़ ली थी पर उसको दिखाने के लियें मैं 20 मिनट तक टी वी दौरा करता रहा,और बीच बीच में उसको टी वी की कमियाँ गिनवाता रहा, भाई इसकी तो प्लेट भी गई, पिकर में भी दम नहीं रहा, पिक्चर ट्युव में भी बहुत कमियाँ हैं, भाई इसको ठीक कराने से अच्छा है नया टीवी ही खरीद लो बहुत खर्चा आयेगा इसमें। ग्राहक मुझे ऐंसे देख रहा था जैंसे मैंने उसकी जायदात से आधा हिस्सा मांग लिया हो, और बोला अभी दो साल पहले ही तो खरिदा था, हर साल नया टीवी थोड़ी ना ले सकते हैं। तुम इसी को ठीक करने की कौशिश करो भइया। मैंने कहा ठीक तो हो जायेगा पर इसमें कई पार्ट्स नये डालने पड़ेगें। ग्राहक बोला डाल दो खर्चा बता दो कितना आयेगा। मैंने उसको हिसाब लगाकर 1500 ₹ खर्चा बताया।

जैंसे ही मैंने उस ग्राहक को खर्चा बताया उसकी भौँहे गुस्से से तन सी गयी थी, पर बैचारा कुछ कर नहीं सकता था। अपने गुस्से को साइड करते हुए वो बोला 1500 ₹ तो बहुत ज्यादा बता रहे हो, टीवी तो ठीक ही चल रहा था कोई तार टुट गया था इस वजह से आवाज आनी बन्द हो गई है।

मैं बोला भाईसाहब बीस साल से टी वी का काम कर रहा हूँ आज तक किसी को गलत पैसे नहीं बताये, और साथ ही मैं काम बांधता हू ग्राहक नहीं 1500 ₹ में टीवी तुम्हारी नयी करके दुंगा। मेरी जगह कोई और मैंकेनिक होता तो सीधे 3000 ₹ बताता और 2500 ₹ लेता।

मैंने उसको दो चार और ईधर उधर की सुनाई जिससे वो मेरे पंजो में ऐंसे फँस चुका था जैंसे शिकारी बाज के पंजे में साँप फँस जाता है। हारकर वो 1200 ₹ देने के लिये तैयार हो गया, और मैं मन ही मन गदगदा रहा था क्योकिं 200 ₹ के काम के 1200 ₹ मिलने वाले थे। भगवान रोज थोडी़ ना ऐसे ग्राहक भेजता है।

मेरी बाते सुनकर भगवान सायद यही बात सोच रहा होगा कि, भाई मैंने ग्राहक टीवी ठीक कराने के लिये भेजा है लुटवाने के लियें नहीं। खैर कोई बात नहीं मैं तेरा चपत तेरे ही गाल पर पडंवाउगां देखता रह बच्चे।

अब यह ईत्तेफाक ही था कि अगले ही दिन मेरा फ्रीज खराब हो गया। मुझे जितनी कारीगरी आती थी वो सब मैंने ईस्तेमाल की, पर बात ना बनी। हारकर मुझे फ्रीज के मिस्त्री को ही बुलाना पड़ा जो कि मार्किट में गुप्ता जी के नाम से फैमस थे 

गुप्ता जी फ्रीज देखकर बोले चैक करना पड़ेगा फ्रीज को पर पहले ही बता देता हूँ 200₹ लगेगें चैक करने के और बाकी का खर्चा मैं चैक करने के बाद बताउँगा।

पर बेचारा फ्रीज का मिस्त्री यह नही जानता था कि जो पट्टी वो मुझे पढा़ना चाहता था में वो दुसरो को रोज पढ़ाता हूँ। पर वो मेरी अन्जानता की धिमी गेंद पर अपनी झूठी होनहारी का सिक्सर लगा चुका था। पर मिस्त्रीगिरी का खेल अभी बाकी था मैंने अभी हार नहीं मानी थी। 

मैं बोला - भाई मैं भी टी वी का मिस्त्री हूँ। मैंने लाखो टी वी चैक कियें हैं और फिर ठीक भी कियें है, पर अाज तक किसी भी ग्राहक से टी वी खोलने का या चैक करने का कोई चार्ज नहीं लिया है।

उसने कहा अच्छी बात है पर यह टी वी नहीं फ्रीज है।

मैंने उससे ज्यादा बहस करना उचित ना समझा सो मैंने कह दिया चैक कर लो भाई ।

फ्रीज खोलते हुए वो मुझे कमियाँ गिनवाने लगा भाईसाहब लगता है घर में चुहै बहुत हैं। आपका सारा फ्रीज खराब कर दिया है चुहो ने कोई तार नहीं छोडा़ है, कूलिंग किट भी खराब हो गयी है। इससे अच्छा तो नया फ्रीज ही खरीद लो बहुत खर्चा आयेगा इसमें तो।

मैं अपने मन में बोला - अरे गुप्ता तेरे कीड़े पड़ेगें नर्ख में भी जगह नहीं मिलेगी तुझे जो दाँव पेँच मैं रोज लोगो पर खेलता हूँ वही तु मुझ पर खेल रहा है।पर मुझ गरीब के पैसे ऐंठकर तेरा कभी भला नहीं होगा। अरे तू फ्रीज का मिस्त्री नहीं तू तो डाकू है वो भी चम्बल का जो लोगो के तन पर कपड़े भी छोड़ता। तु भ्रष्ट है, पापी है, नीच है तूम सारे फ्रीज के मिस्त्रियों को तो गोली मार देनी चाहियें। पर यह सब उस फ्रीज के मिस्त्री से बोलने की हिम्मत टी वी के मिस्त्री में नहीं थी।

मैंने दवी आवाज में पूँछा कितना खर्चा आयेगा 

कुछ दैर मन मैं हिसाब लगाकर वो बोला 3000 ₹ 

उसका हिसाब सुनकर मैंने मन ही मन उसे दो चार गालियाँ और दी हरामी गुप्ते नाश हो जाये तेरा 500 ₹ के काम के तु 3000 ₹ माँग रहा है, और फिर उससे बोला भाई कुछ कम कर लो। 

तब उस फ्रीज के मिस्त्री ने अपनी उदारता की आखिरी बॉल खेलते हुए 500 ₹ कम कर लिये औेर  फ्रीज को एक ही घंटे मे ठीक करके  और 2500 ₹ जैब मे रखकर वो तो चलता बना। 

तो यह थी भेया मिस्त्रियों की कौम।

जो खुद लूटे तो का काम होता है 

और दूसरा लूटे तो हराम होता है। 


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