राजनीति

राजनीति

2 mins
444


विश्वविद्यालय में चुनाव की सरगर्मी बढ़ गयी थी पढ़ने वाले पढ़ाई में लगे हुये थे और चुनाव प्रचार वाले अपने काम को तेज़ी से अंजाम देने में लगे हुये थे। तभी बस स्टाप पर बस का इन्तजार करते तन्वी की सहेलियों के पास नेताजी साथ एक झुण्ड हाथ जोड़ कर अपने पक्ष में वोट देने के लिये कहने आया और साथ ही उसने सबके घरों के पते भी ले लिये कि वोट वाले दिन घर पर गाड़ी भेज देंगे और आप बस हमारे नेता को ही वोट दीजियेगा।

अभी एक टोली गयी ही थी उनके पास दूर से छात्राओं की एक टोली दिखी। उसमें उसकी कक्षा के लोग नजर आ रहे थे। पास आने पर उसकी सहेली बोली- सुनो वो हमारे भैया के मित्र हैं। सब लोग उन्हीं को वोट देना।

घर पँहुचने पर माँ से उसने कहा- कल मुझे सुबह ही जाना है वोट देने, मेरे नाश्ते पानी की चिन्ता ना करना। अगले दिन सुबह ही तड़के घर के दरवाज़े पर एक जीप आ खड़ी हुई। उसमें बहुत से संगी साथी थे। सबके संग वह भी विश्वविद्यालय पहुँच गयी। वहाँ जा कर झटपट वोट देने वालों की पंक्ति में लग गयी। गरम-गरम पूड़ी और आलू की सब्जी के पैकेट सबको बाँटे जा रहे थे और बताया जा रहा था कि किसको वोट देना है।

 सब मजे से खा पी कर वोट दे आये। जब नतीजा आया तो पता चला कि सहेली के भाई का दोस्त विजयी हो गया है तो सब उसके पीछे पड़ गये कि हमने तो उसी को वोट दिया था तभी वो जीता और अब तो पार्टी बनती है। उधर जीत की खुशी में दोस्त की बहन की सहेलियों में धाक भी जमानी थी तो शाम को चाऊमीन की पार्टी विश्वविद्यालय के पास के रेस्तरां में चल रही थी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama