राजा राममोहन राय
राजा राममोहन राय
"नमस्ते बच्चों,आज जिन महापुरुष की हम बात करेंगे वे हैं ,राजा राममोहन राय । उन्हें आधुनिक भारत और बंगाल के नवयुग का जनक कहा जाता हैं। इतिहास उन्हें देश में सती प्रथा के विरोध करने वाले प्रथम व्यक्ति के रूप मैं याद रखेगा। वे महान शिक्षा विद, विचारक और प्रवर्तक भी थे।इनका जन्म 22 मई 1772 को बंगाल के हूगली जिले के राधानगर गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम रामकंतो रॉय और माता का नाम तैरिनी था।राम मोहन का परिवार वैष्णव था, जो कि धर्म सम्बन्धित मामलो में बहुत कट्टर था।"
" कट्टर परिवार और सती प्रथा का विरोध ?यह तो विरोधाभास हुआ,चाचाजी ?"परीक्षित ने कहा।
"हां, आश्चर्य की बात है।इन्हें वेदों और उपनिषदों का ज्ञान था, साथ ही बाइबिल ,कुरान और उन्होंने अन्य इस्लामिक ग्रन्थों का भी अध्ययन किया था।"
"एक हम हैं कि संस्कृत भाषा को बोझ समझते हैं!"अविचल ने अफसोस जताते हुए कहा।
"15 वर्ष की उम्र तक उन्होंने बंगला,पर्शियन,अरेबिक और संस्कृत जैसी भाषाएँ सीख ली थीं।
उन्होंने समाज में फैली कुरीतियों और अंध-विश्वासों का पूरजोर विरोध किया और मूर्ति पूजा का भी खुलकर विरोध किया,वे एकेश्वरवाद के पक्षधर थे। "
"इसका क्या अर्थ है, चाचू ?",निधि ने पूछा।
"जो व्यक्ति इसमें विश्वास करे की ईश्वर एक है,वह एकेश्वर वादी हुआ।
उन्होंने विधवा विवाह के पक्ष में भी अपनी आवाज़ उठाई।
उनका उद्देश्य भारत को प्रगति की राह पर ले जाना था।ये इनके प्रयासों का ही फल था कि लॉर्ड बेंटिक ने सती प्रथा को अपराध घोषित किया।"
"कितनी अमानवीय और क्रूर थी यह प्रथा !"कोमल सिहर उठी।
"हां, बच्चो,समय - समय पर समाज में ऐसे महान व्यक्ति हुए हैं जिन्होंने कुरीतियों को दूर करने में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।"
"चाचाजी, हम कितने भाग्यशाली हैं कि हमारी भारत भूमि में इतने अनमोल रत्न हुए हैं।"
"बच्चो,आप सब से अपेक्षा है कि आप उनके दिखाए मार्ग पर चलें और देश की प्रगति में अपना योगदान दें।"
"जी, अवश्य ।"
"अच्छा,कल फिर एक नए विषय पर चर्चा करेंगे,नमस्ते।"
"नमस्ते,चाचाजी,धन्यवाद।