Sajida Akram

Inspirational

5.0  

Sajida Akram

Inspirational

"क़लम "

"क़लम "

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बचपन में स्याही,काग़ज़ और कलम की क़दर की होती तो आज मनोज को लोगों के घरों से कचरा उठाने की नौबत नहीं आती ..।

 आज 40 की उम्र में वो चाहता है। उसके बच्चे  पढ़ाई का महत्व समझें । वो अक्सर अपने माता-पिता को दोष देता है । उस समय पिताजी ने अपनी "शराब"

पीने की लत की वजह से मजदूरी करने न भेजा होता तो आज हमारा भी भविष्य कुछ और होता ।

बचपन में अपने हम उम्र बच्चों को देखता था तो वो भी घर से कोयला लाकर घर की दीवारों पर आड़ी-तिरछी रेखाएं खिंचता था । गांव के स्कूल के हेडमास्टर थे । उन्होंने बच्चों को स्कूल में बुलाया और पढ़ाई का महत्व समझाया ,पर मनोज के पिता ने ये कहकर मना कर दिया हमें नहीं पढ़ाना ,ये मजदूरी से चार पैसा तो कमाकर लाएगा।

आपके स्कूल से क्या फायदा होगा...।

  मनोज को बस जबसे ही पढ़ाई की धून है बच्चों को पढ़ाने के लिए दिन में नगरपालिका में कचरा ढ़ोने की गाड़ी चलाता है, वहाँ की ड्यूटी के बाद एक दुकान पर सेल्स मेन की नोकरी करता है थक कर रात 11बजे घर आता है ।वो चाहता है मेरे बच्चेंं अच्छी शिक्षा प्राप्त करें ,दोनों पति-पत्नी की मेहनत रंग लाई बेटा अखिल12में बोर्ड एग्ज़ाम में टॉप किया है ,और साथ में आई.आई.टी(I. I. T.)के इंट्रेनस एग्ज़ाम की तैयारी कर रहा है ,स्कूल के फैक्लटी ने भी अखिल की मेहनत देखकर ट्यूशन के पैसे न लेकर उसको मदद की राज्य सरकार ने भी उसके आगे की पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप दी है ।अखिल को अपने पिता का नाम रोशन करना है .।

  न्यूज चैनल वालों ने मनोज से पूछा उसके बेटे की12वीं कक्षा में पूरे राज्य में मेरिट में टॉप करने पर तो वो आंखों में आंसू भरकर यही कह रहा था मेरे बेटे ने मेरा सपना पूरा किया ...।

धीरे-धीरे की पढ़ाई ने अच्छी रफ्तार पकड़ ली ।अखिल को कॉलेज से स्कॉलरशिप भी मिल गई और कॉलेज के प्रोफेसर उसकी मेहनत और पढ़ाई में अच्छा होने की वजह से सब स्पोर्ट करते थे ....।

अखिल ने अपनी पूरी जान झोक दी फिर भी घर के हालात अच्छे नहीं होने की वजह से उसने छोटी-मोटी नोकरी कर ली और अपना पोस्प ग्रेजुएशन पूरा किया अब उसके प्रोफेसर चाहते थे वो पी.एच.डी.करें मगर उसका सपना या कहें उसके बाबा का सपना पूरा करने की धून सवार थी ..।

वो आगे की पढ़ाई करने के लिए अपने ही घर में आई.एस की तैयारी में जूट गया अब उसका एक ही लक्ष्य था । जगह -से जगह ज्ञान इकट्ठा कर के और पुरानी किताबें खरीद कर उसकी इन दिनों कई अच्छे स्टूडेंट्स से भी पहचान हो गई थी ,उनका भी लक्ष्य आई.एस.का एग्जाम में पास होना था ऐसे ही कभी स्ट्रीट लाइट की रोशनी में बैठकर पढ़ना, या किसी बगीचे में पेड़ की छाया में बैठ कर अपनी पढ़ाई में मग्न रहना ।

क्योंकि उसे अपनी आर्थिक स्थिति का मालूम था मेरे बाबा मुझे कहीं ऊँचे शहर में पढ़ने नहीं भेज पाएंगे और अपने छोटे भाई-बहन की पढ़ाई में मदद करता था ।

उसने घर से ही स्कूल के छात्रों को पढ़ाने लगा जिससे वो अपने पढ़ाई के साथ थोड़ा टाइम निकाल कर पैसे भी कमाने की कोशिश कर रहा था उसे एहसास था उसकी माँऔर बाबा जैसे-तैसे खिंच-तान कर महीने का ख़र्च पूरा करतें हैं ।

बस घर आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए थोड़ी ज़्यादा मेहनत करता ।के बाबा का हाथ भी बंटा पाए एक दिन एक बड़े अधिकारी के बच्चों को पढ़ाने गया वहां उन बच्चों के पिता से मुलाक़ात हुई , भी बड़ी अच्छी पोस्प पर अधिकारी थे उनका नाम आरिफ़ कुरेशी था अखिल से बहुत प्रभावित हुए और बातचीत में पता चला के वो भी स्टूडेंट्स है ।

उन्होंने कहा तुम्हें कभी भी पढ़ाई में मेरी मदद की ज़रूरत हो बेझिझक मुझे बताना ,इतना ही अखिल के लिए काफी था समय के साथ वो उन कुरेशी जी से पढ़ाई में मदद लेने लगा ।

अब क्या था अखिल ने उन गुरु बना लिया और वो पूरी तन्मयता से जुट गया प्री की तैयारी में ...जब अखिल का प्री का रिजल्ट आया तो उन कुरेशी जी का ख़ुशी का ठिकाना नहीं था अखिल बहुतअच्छे मार्क्स लाकर मेरिट लिस्ट में बहुत अच्छे स्थान पर आया ...।

अखिल भी अपनी कामयाबीसे ख़ुश था अब वो मेन एग्जाम की तैयारी में जुट गया ।वो अधिकारी भी पूरे जोश- ख़रोश से दिल से अखिल की पढ़ाई में लग गए ...

मेन एग्जाम कोई बच्चों का खेल नहीं था अखिल को अपने बहुत ही कम साधनों में तैयारी करनी थी ख़ुद्दारी भी कूट-कूट कर भरी थी उसमें कभी किसी से अपनी किसी भी तरह की बेवजह मदद नहीं लेना उसका उसूल था खुद अपनी मेहनत से ही आगे बढ़ना ...।

जब इंसान ख़ुद अपनी मदद करता है तो क़ुदरत भी उसके साथ खड़ी दिखती है उसके रास्तें खुलते जातें हैं।

अब वै रात देखता न दिन बस उस पर एक ही धून सवार थी मुझे आई.एस का मेन एग्जाम पास करना है ...

वो दिन भी आया अखिल के माँ -बाबा सब दुआएं कर रहें थे उसके साथ जुड़े हर कोई उसकी कामयाबी की दुआ कर रहा था जब इतने हाथ दुआ में उठे तो रब भी अखिल की कामयाबी कहां रोकनेवाला था ...।

उसको मेरिट लिस्ट में अच्छी पोजीशन मिली और अखिल कोआई.एस के लिए इंटरव्यू के लिए कॉल आया इतने में तो सारे मिडिया ने पूरी देश में तहलका मचा दिया हर एक मिडिया उसके और उसके बाबा के बड़े -बड़े इंटरव्यू और चैनल्स वाले उसके घर के हालात और ये सब दिखा रहे थे कैसे एक कचरा बिनने वाले के बेटे अखिल ने आई.एस. में सैलेक्ट होकर बाबा-माँ का नाम रैशन किया ...।

अखिल का इंटरव्यू भी अच्छे से निकल गया अब उसे अपने सबसे बड़े मददगार के पास जाकर उन अधिकारी का धन्यवाद करना था वो उनके घर गया कुरेशी जी का भी ख़ुशी से लफ़्ज़ नहीं निकल रहे थे उन्होंने ने अखिल को अपने गले से लगाकर बधाइयां दी ये सिर्फ तुम्हारी मेहनत और तुम्हारे बाबा का सपना पूरा हुआ ....

बेटाअखिल तुम कामयाबी की चकाचौंध में अपने बाबा-माँ का ध्यान रखना,ये हमेशा याद रखना कभी अपने उसूलों से समझोता मत करना .।

मेरी यही दुआ है तुम एक नेक और ईमानदार अधिकारी बनो और देश की सेवा करो बस......!



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