प्यासी झील....
प्यासी झील....
अरे, राधे! तू आ गया, कोई दिक्कत तो नहीं हुई सफ़र में, राधे के फूफा जी मोतीलाल जी ने पूछा।
ना! फूफाजी कोई दिक्कत नहीं हुई, राधे ने मोतीलाल के चरण स्पर्श करते हुए कहा।
अच्छा चल! भीतर अब अपनी बुआ और सलोनी से मिल लें, मोतीलाल जी बोले।
राधे अपनी बुआ और फूफेरी बहन सलोनी से मिला, दोपहर हो चली थी, दोपहर के खाने का समय भी हो गया था, बुआ ने सबके लिए खाना परोसा और बोली खाना खाकर जाकर थोड़ा आराम कर ले, थक गया होगा।
और खाना खाकर राधे आराम करने चला गया, आराम करते करते शाम हो चली थी राधे को किसी की बाँसुरी की तान सुनाई पड़ी और वो जाग उठा, बाहर आया और बुआ से पूछा कि ये बाँसुरी कौन बजा रहा है?
बुआ बोली, है एक पगला! ना जाने कितने सालों से झील के किनारे वाले टीले पर बैठकर ऐसे ही बाँसुरी बजाता रहता है।
राधे का मन ना माना और वो उस ओर चला आया जहाँ से बाँसुरी की आवाज आ रही थी, वो वहाँ पहुँचा देखा तो वो पगला अपनी धुन में मस्त बाँसुरी पर अपनी जादूगरी दिखा रहा था।
राधे कुछ देर वहीं बैठकर उसकी बाँसुरी सुनता रहा, जब पगले ने बाँसुरी बजाना बंद किया तो उसका ध्यान राधे की ओर गया और उसने राधे से पूछा।
कौन हो भाई?
मैं राधे! आपकी बाँसुरी सुनकर चला आया, बहुत ही मीठी तान थी , मुझसे रहा नहीं गया, राधे बोला।
हाँ, वो भी ऐसे ही भागी आया करती थी, पगला बोला।
कौन थी वो लड़की? वह लड़की कहाँ है? राधे ने पूछा।
उसका नाम बिन्दिया था! बहुत चाहती थी वो मुझे, लेकिन गाँव वालों को हमारा मिलना जुलना अच्छा नहीं लगता था, वो ठहरी बनिए की लड़की और मैं किसान का बेटा, पगला बोला।
फिर क्या हुआ? राधे ने पूछा।
फिर एक रोज उसके घरवालों ने उसका ब्याह तय कर दिया और उसके चारों भाइयों मुझे एक वीरान जगह ले जाकर बाँध दिया कि मैं उससे मिल ना पाऊँ, मुझे बहुत मारा, मेरा तन लहूलुहान हो गया , मेरी सदरी और गले का ताबीज उसे दिखाकर बोले कि तेरा बिरजू तो मर गया, अब चुपचाप ब्याह कर ले।
तो फिर क्या हुआ? उसने ब्याह कर लिया, राधे ने पूछा।
नहीं! ब्याह वाले रोज़ वो लाल जोड़ा पहनकर और हाथों में मेहँदी रचाकर तैयार हुई, लेकिन जैसे ही थोड़ी रात हुई, सब लोग कामों में व्यस्त हुए तो वो खिड़की से भाग निकली और जाकर आत्महत्या कर ली, पगला बोला।
कहाँ आत्महत्या की उसने? राधे ने पूछा।
ये ही वो झील है, पगला बोला।
अच्छा ! इसलिए तुम यहाँ बैठकर बाँसुरी बजाते हो, राधे ने पूछा।
हाँ, इसलिए ! पगला उदास होकर बोला।

