DURGA SINHA

Tragedy

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DURGA SINHA

Tragedy

प्यार

प्यार

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नीना समझ नहीं पा रही थी कि उसने क्या ग़लत किया। उसे याद हैप्रथम मिलन में अजय ने कहा था

“तुम्हारी यही अदा तो मुझे सबसे ज्यादा पसंद है जो तुम्हें औरों से अलगकरती है।”

कितना घमंड हुआ था उसे यह सुन कर, कितनी ख़ुश हुई थी वह, उसका मन झूम उठा था।

एक -एक शब्द नीना को बखूबी याद थे और वह वही उसकी पसंद हीबनी रहना चाहती थी।लेकिन आज ...आज अजय को

क्या हो गया है। अब क्यों वह, दूसरी औरतों की तरह उसे देखना चाहताहै।

नीना अभी कल्पना में ही गुम थी कि अजय ने कमरे में प्रवेश किया 

“ क्या सोच रही हो ...?”

“ कुछ नहीं...!”

“ आज तुम डार्क लिप्स्टिक लगाना ...तुम डार्क लिप्स्टिक लगाती क्योंनहीं हो ...?”

अजय ने कहा

“मुझे नहीं पसंद। लाइट कलर में, मैं ग्रेसफ़ुल लगती हूँ।”

(कह नहीं पाई कि,तुम्हें ही तो लाइट लिप्स्टिक पसंद थी, अब क्या होगया, वह दूसरी औरत नहीं बनना चाहती, वही पहली ही रहना चाहती है, क्यों दूसरी औरतों की तरह बनाना चाहते हो )

“तुम्हारी हिम्मत नहीं, डरती हो तुम .. बस एक ही ढर्रे पर चलना ही तुम्हेंआता है।...अरे कुछ चेंज तो करो ख़ुद को ...देखो दूसरे कैसे तैयार होतेहैं, कितने स्मार्ट लगते हैं ...।”

“ दूसरों की देखा-देखी तैयार होऊँ मैं...? नहीं … कभी नहीं! कभी भीनहीं। मैं अपने तरीक़े से ही तैयार होऊँगी।अपनी स्टाइल है यह ..!”

नीना ने कुछ इठलाते हुए गर्वित स्वर में कहा।

“स्टाइल ... माय फ़ुट ... !”

कहते हुए अजय बाहर निकल गया। नीना मन मसोस कर रह गई।


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