बच्चे
बच्चे
कक्षाध्यापिका ने कक्षा में प्रवेश किया। बच्चे बहुत शोर मचा रहे थे। चुप करा कर सभी को बिठाया ही था कि सचिन ने मोहित को धक्कादेकर गिरा दिया।
मोहित ज़ोर - ज़ोर से रोने लगा। उसे चोट लगी थी। हाथ और पैर मेंभी छिल गया था शायद टेबल में निकली कील जवाबदार थी। वह रोएजा रहा था। टीचर ने ध्यान नहीं दिया उलटे रोने से परेशानी दिखाते हुएउसे ही डाँटने लगी और बोली
“ क्या शोर मचा रखा है ? चुप कर ! अब इतना भी घायल नहीं हो गयाहै?
जैसे ही टीचर ब्लैक बोर्ड की ओर मुड़ी मोहित ने आव देखा न तावसचिन को एक ज़ोरदार थप्पड़ रसीद कर दिया। अप्रत्याशित, थप्पड़पड़ते ही अकचका कर सचिन घबरा कर ज़ोर -ज़ोर से रोने लगा।
सचिन के रोने की आवाज़ सुनते ही टीचर ने पलट कर मोहित की ओरदेखा और डांटते हुए कक्षा से बाहर जाने की सज़ा सुना दी
और सचिन को गोद में उठाकर प्यार करने लगी, पुचकारने लगी।
सचिन सिर झुकाए, तमतमाए चेहरे से, धीमे-धीमें बाहर जाने लगा तब बच्चों ने रोष भरे स्वर में चिल्लाते हुए कहा,
“ मैडम!ग़लती तो सचिन की थी”
“ चुप करो “...... बीच में बात काटते हुए टीचर ने असलियत जताते हुएस्पष्ट किया
“ जानते नहीं हो कितने बड़े आदमी का बेटा है सचिन ?”.....
बच्चे तो ठहरे बच्चे, अभी भी नहीँ समझ पाए, न समझ पा रहे थे किऐसा क्यों ?
ग़लती किसकी सज़ा किसको ?