परिवार
परिवार
“ हाय राम !”
“ क्या हुआ ? गिर गईँ क्या?
“ नहीं ...नहीं !”
“ फिर क्या हुआ ?”
“ नहीं .. कुछ ख़ास नहीं !”
“फिर क्यों चिल्लाईँ , इतनी ज़ोर से ?”
“ मैं कहाँ चिल्लाई .. मैं तो समाचार पत्र पढ़ रही थी !”
“ऐसा क्या पढ़ लिया कि गोली लग गई ?”
“ गोली लगने जैसी ही बात है ! आपने नहीं पढ़ा क्या ?”
“ पढ़ा तो मैंने भी पूरा पेपर
लेकिन ... ऐसी तो कोई ख़बर मेरे पढ़ने में नहीं आई । तुमने ऐसा क्या पढ़ लिया ...?”
“ आज तो... चोरी, बलात्कार ,हत्या , हिंसा ,... की कोई ख़बर ही नहीं छपी है ... अब पढ़ूँ क्या ?”